तिरछी नजर👀👀👀
खबर है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम और सभी मंत्रियों को नवा रायपुर में शिफ्ट होने के लिए कहा है। कृषिमंत्री रामविचार नेताम तो नवा रायपुर में शिफ्ट हो चुके हैं। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल और महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े भी वहां शिफ्टिंग की तैयारी कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री के फरमान का असर यह हुआ कि कई मंत्री, जिन्होने मौजूदा सरकारी बंगले की साज-सज्जा कराने जा रहे थे उन्होने फिलहाल काम को रुकवा दिया है। नवा रायपुर के सरकारी बंगलों के काम में तेजी आ गई है। कहा जा रहा है कि सीएम विष्णुदेव साय और बाकी मंत्री भी इस साल के आखिरी अथवा नये साल में नवा रायपुर के बंगले में शिफ्ट हो जाएंगे। दूसरी तरफ, वर्तमान के सीएम-मंत्रियों के बंगलों का क्या उपयोग किया जाए, इस पर भी मंथन शुरु हो गया है।
जेल में हंगामा क्यूं बरपा
पिछले दिनों जेल में जो कुछ हुआ, उससे सरकार और भाजपा संगठन में बेचैनी दिख रही है। अब हंगामा क्यूं बरपा, इसके किस्से छनकर सामने आ रहे हैं। बताते हैं कि एक विचाराधीन बंदी और पुलिस के बड़े अफसर की बंद कमरे में काफी कुछ हुआ। क्या हुआ, इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा रहा है। मगर आवाज कमरे के बाहर और बैरक तक सुनाई दे रही थी। इसके बाद अफसर को हड़बड़ाहट से बाहर निकलते देखा गया। चूंकि विचाराधीन बंदी भी ताकतवर हैं इसलिए बात चौक-चौराहों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई लोग इसके लिए जेल प्रशासन की लचर व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। फिलहाल तो जेल प्रशासन ने अफसर को क्लीन चिट देकर सब कुछ ठीक होने की बात कही है, लेकिन विचाराधीन कैदी भी कानून की पढ़ाई किए हुए हैं। कुछ ऐसी बातें सुनाई दे रही है कि जिससे आने वाले दिनों में सरकार के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। बंदी और अफसर के बीच जो कुछ हुआ वह अवकाश का दिन था। जेल नियमों के मुताबिक अवकाश के दिन बंदियों से पूछताछ नहीं की जा सकती है। चर्चा है कि गृहमंत्री विजय शर्मा ने कुछ प्रमुख अफसरों को बुलाकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली है। विजय शर्मा इस प्रकरण से नाराज हैं। न सिर्फ गृहमंत्री बल्कि पार्टी संगठन ने भी पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। संगठन के एक ताकतवर पदाधिकारी ने कई प्रमुख लोगों से इस प्रकरण को लेकर चर्चा की है। यह मामला ठंडा होते नहीं दिख रहा है। आने वाले दिनों में जंग तेज होगी। इसका नतीजा क्या निकलता है, यह देखने वाली बात है।
गो कबूतर गो….
एसपी कांफ्रेंस के बाद मुंगेली एसपी गिरजा शंकर जायसवाल को हटा दिया गया। उनकी जगह लूपलाईन में चल रहे भोजराज पटेल को एसपी बनाया गया है। भोजराज को भूपेश सरकार में अच्छी पोस्टिंग मिली थी लेकिन आखिरी के साल में उन्हें हटाकर बीजापुर भेज दिया गया था। अब वो मुख्यधारा में आए हैं। पुलिस के कई अफसर जो भूपेश सरकार के करीबी रहे हैं वे भी एक-एक कर मुख्य धारा में आ रहे हैं। जल्द ही पीएचक्यू में फेरबदल होने वाले हैं, और इससे सबकुछ साफ हो जाएगा। दूसरी तरफ, गिरिजाशंकर जायसवाल को हटाने का संकेत अगस्त महीने में ही मिल गया था। जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होने कबूतर को उड़ाने की कोशिश की और गो-गो कबूतर बोलने के बाद भी वह उनके हाथ से चिपका रहा। कई लोग इसे अपशकुन मान रहे थे कुछ लोग हंसी मजाक में यह कहते सुने जा रहे थे कि कबूतरी प्रेगेन्ट थी इसलिए नही उड़ पाई। अब जायसवाल खुद ही उड़ गए।
सीएस के तेवर
कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएस अमिताभ जैन ने भी तेवर दिखाए। उन्होनें कलेक्टरों के खुद का प्रचार करने पर नाराजगी जताई। धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी की कहीं खाना बनाते हुए और कहीं बच्चों को खाना परोसते तस्वीर मीडिया में सुर्खियों में रहती है। लेकिन उनका व्यवहार ठीक इसके उलट हैं। वो एक प्रदेश की अकेली ऐसी कलेक्टर हैं जिनके खिलाफ व्यापारियों और स्थानीय अफसरों ने एकराय होकर सीएम से हटाने की मांग की है। सीएम ने कांफ्रेंस में कलेक्टरों के तौर-तरीकों पर नाराजगी जताई है। नम्रता ही रही खैरागढ़ कलेक्टर के खिलाफ भी कुछ इसी तरह की शिकायतें है। ये अलग बात है कि ऐसे अफसरों पर कार्यवाही नहीं हो पाती है। मगर इस बार सरकार कुछ गंभीर दिख रही है। आगे क्या होता है यह तो कुछ दिन बाद पता चलेगा।
एक्शन में सरकार
सीधे और सरल माने जाने वाले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पूरी टीम एक्शन में आ गयी है। बनती हुई धारणाएं को बदलने की कवायद तेज हो गयी है। यह सरकार और पार्टी दोनों के हितों में बड़ा कदम है। मंत्रालय में लंबे समय से अटके फाईलों को जल्दी निकालने के संकेत दिये गये हैं। कलेक्टर, एस पी कांफ्रेस के बाद जिन जिलों में लंबे समय से शिकायत मिल रही थी वहां के कलेक्टर, एस.पी. हटा दिये गये हैं। आगामी दिनों कुछ और अधिकारियों को हटाए जायेंगे। दुर्ग और राजनांदगांव रेंज के पुलिस अधिकारियों के प्रति नाराजगी जाहिर की गयी है। राजनांदगांव में अवैध शराब बिकने की शिकायत अधिक मिली है। दुर्ग जिले में बढ़ते अपराध को रोकने में नाकामी पर शीर्ष स्तर पर नाराजगी है। दोनो मैदानी इलाके राजनीतिक लिहाज से भी संवेदनशील है, इसलिए आगामी दिनों और फेरबदल हो सकते हैं। नये अफसर की तलाश जारी है।
एक और मंत्री के पीए विवादों में
प्रदेश के एक सक्रिय मंत्री के पी.ए.के खिलाफ भाजपा के ही नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। मंत्री के पीए ने बेमेतरा में पदस्थापना के समय मंदिर की जमीन को कांग्रेस विधायक के परिवार को आबंटित कर दिया था। इसकी शिकायत भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर बेमेतरा के भाजपा नेताओं ने प्रमाण के साथ किया था। बताया जाता है कि प्रदेश के एक जिले के महत्वपूर्ण पदाधिकारी के पैतृक जमीन को एक भू-माफिया को देने दबाव बनाया गया । हिला-हवाला करने वाले आरआई का कोरिया तबादला कर दिया गया है। भाजपा के पदाधिकारी के पक्ष में रिपोर्ट देने वाले आरआई का तबादला होने पर पार्टी पदाधिकारी भी सकते में हैं। प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन तक शिकायत की गयी है। इस मामले में कई रोचक घटनाक्रम चला परंतु भाजपा पदाधिकारी की एक नहीं चली। चर्चित विवादास्पद पीए की जन्म कुंडली निकालकर लंबी लड़ाई की तैयारी की जा रही है।