खनिज माफिया और पुलिस की मिली भगत उजागर
बिलासपुर|बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट चकरभाठा के ठीक सामने सेना के आधिपत्य में दी गई जमीन को खनिज माफिया की नज़र लग गई है, हाईकोर्ट द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित होने के बावजूद खनिज माफिया ने एयरपोर्ट के सामने स्थित शासकीय जमीन को खोदकर छल्ली – छल्ली कर दिया है,
चकरभाठा पुलिस के संरक्षण में इन दिनो एयरपोर्ट के बगल में स्थित तेलसरा की शासकीय भूमि पर जेसीबी लगाकर क्षेत्र के जमीन माफिया एव उनके गुर्गे लगातार तेलसारा की शासकीय भूमि से मुरूम के अवैध उत्खनन को लगातार अंजाम दे रहे है।
आलम तो यह है, कि खनिज माफिया ने शासकीय खर्च पर बनाई गई wbm सड़क को ही पूरी तरह से खोदकर काट दिया है।
पत्रकारों की टीम जब यहां पहुंची तो बेखौफ़ होकर 5 से 6 जेसीबी के जरिए तेलसरा क्षेत्र की शासकीय भूमि में मुरूम की खुदाई की जा रही थी थोड़ी ही देर में चकरभाठा थाने के पैट्रोलिंग वाहन यहां से गुजरा उसके बाद भी बेधड़क खुदाई चलती रही जिससे साफ समझा जा सकता है कि खनिज माफिया को किस तरह से पुलिस का सरंक्षण मिला हुआ है|
पत्रकारों से इस संबंध में चर्कभाठा थाना प्रभारी से उनका पक्ष जानना चा हा तो उन्होने रात्रि के समाय घर में होना तथा खाना की बात कहते हुये फोन काट दिया, जिसके बाद चकरभाठा डीएसपी को फोन लगाया गया लेकिन उन्होने भी इस अत्यंत गंभीर मामले में गंभीरता नही दिखाते हुए सुबह बात करने की बात कही। पत्रकारों द्वारा जानकारी देने के 2 दिनो बाद खनिज आधिकारी रमाकांत सोनी ने कार्यवाही करते हुए तेलसर के इस मैदान से 4 जेसीबी और 3 हाइवा को जप्त किया था।
इसके बाद भी खनिज माफिया की हरकतों में कोई सुधार नहीं आया और वे अभी भी देर रात जेसीबी के माध्यम से मुरूम खुदाई को अंजाम देने से बाज नही आ रहे है।
पूरे मामले का सबसे शर्मनाक पहलू यह सामने आ रहा है, कि पूरे एयरपोर्ट एरिया का हाईकोर्ट द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किए जाने के बावजूद स्थानी पुलिस की मिलीभगत से अवेध खुदाई का इतना बड़ा खेल इस क्षेत्र में बेखौफ़ होकर खेला जा रहा है।
गौर तलब है कि चकरभाठा थाना प्रभारी रविंद्र अनंत वही पुलिस निरीक्षक है, जिन्हे मस्तुरी थाना प्रभारी रहने के दौरान क्षेत्र में बड़ा जुआ संचालित करने के आरोप में लाइन अटैच कर दिया गया था।
चांदी की चंद जूतियों के बदले पुलिस के अधिकारियो को इस तरह अपना ईमान नहीं बेचना चाहिए
बहरहाल समय रहते इस अवैध खुदाई के बड़े मामले में अंकुश नहीं लगाया गया तो आनेवाले भविष्य में एयरपोर्ट निर्माण और रनवे विस्तार के लिए सरकारी जमीन ही नही बच पाएगी।