अमृत सरोवर योजना से चौहा के ग्रामीणों की जीवन की बदली दशा और दिशा
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। मनरेगा के तहत अमृत सरोवर पनपीता तालाब गहरीकरण होने से मस्तूरी ब्लॉक के ग्राम चौहा के ग्रामीणों के जीवन की दशा और दिशा बदल गई है। ग्रामीणों को निस्तारी की सुविधा के साथ ही, खेती-किसानी के लिए सिंचाई सुविधा का एक अन्य विकल्प मिल गया है।
साथ ही आजीविका के लिए मछली पालन कर किसान अपनी आय में भी वृद्धि कर रहे है साथ ही मनरेगा योजना के तहत पंजीकृत परिवारों को भी रोजगार प्राप्त हुआ।मस्तूरी विकासखण्ड में तालाब गहरीकरण से ग्रामीणों को अनेकों सुविधाएं प्राप्त हुई है। गांव में पनपीता तालाब का क्षेत्रफल तो अधिक था लेकिन उबड़ खाबड़ और गहराई नहीं होने से अधिक मात्रा में पानी का भराव तालाब में नहीं हो पाता था। यहां बरसात के मौसम का पानी भी सूख जाता था जिससे ग्रामीणों को निस्तारी की समस्या, मछलीपालन करने वाले लोगों को आर्थिक नुकसान एवं किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल पाता था। खेती किसानी के कामों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ग्रामवासियों ने बताया कि तालाब गहरीकरण के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव होने के बाद कार्य स्वीकृत कया गया। कार्य स्वीकृत होन के बाद मनरेगा के तहत जॉब कार्ड धारियों में पात्र मजदूरों के माध्यम से 4956 मानव दिवस सृजित कर कार्य संपूर्ण किया गया। अमृत सरोवर पनपीता तालाब गहरीकरण में ग्रामीणों, मनरेगा के मजदूर, सरपंच, सचिव, तकनीकी सहायक, रोजगार सहायक का विशेष योगदान रहा है। तालाब गहरीकरण होने से अब पूरे वर्षभर पनपीता तालाब में पानी भरा रहता है जिससे तालाब के पानी का उपयोग ग्रामीण अपने रोजमर्रा के जीवन में बड़े आसानी से कर रहे है। कृषि के कार्यों एवं निस्तारी के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में ग्रामीणों को मिल रहा है। तालाब गहरीकरण से जल संग्रहण भी अधिक हो रहा है और आस पास के क्षेत्रों में भू-जल स्तर भी ऊंचा हुआ है। मछली पालन करने वाले ग्रामीणो के आमदनी में वृद्धि होने से उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों ने मनरेगा के तहत मिलने वाले इस सहयोग के लिए सरकार का धन्यवाद दिया है।