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आयुष्मान कार्ड के लाभ से वंचित कर मरीज को परेशान करते अस्पताल प्रबंधन की हरकत हुई उजागर

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आयुष्मान कार्ड के लाभ से वंचित कर मरीज को परेशान करते अस्पताल प्रबंधन की हरकत हुई उजागर

बिलासपुर।आयुष्मान कार्ड का उपयोग मुफ्त इलाज के लिए करते हैं। यह एक बीमा-आधारित स्वास्थ्य सेवा योजना है जो सरकार द्वारा एक वर्ष में प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सेवाओं तक कैशलेस पहुंच प्रदान करती है। यह देश में कहीं भी सरकारी या निजी अस्पतालों में स्वीकार्य है परंतु कुछ निजी अस्पतालों के द्वारा जिस तरह मरीजों को गुमराह करके उनसे नगद राशि के भुगतान हेतु तरह-तरह के कारण और उपायों के द्वारा उन्हें विवश करके उनसे राशि वसूली जाती हैं।यह घटना बिलासपुर की है जिसकी जानकारी सपना सराफ (सामाजिक कार्यकर्ता) के द्वारा मीडिया को अवगत कराया गया।
यह घटना बिलासपुर के बीटीआरसी अस्पताल की है विगत 15 दिनों से पीड़ित बालिका जिसका नाम मोनिका सिदार ग्राम गोकुलपुर नेवर ब्लॉक तखतपुर की रहने वाली है। बच्ची अधिक जल जाने के कारण उसे इस अस्पताल में एडमिट किया गया माता-पिता आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय होने के कारण अपने कुछ जेवर बेचकर बच्ची के इलाज के लिए बड़ी परेशानी झेलते हुए कुछ राशि बिलासपुर अस्पताल लेकर आए। आयुष्मान कार्ड होने के कारण उन्होंने इलाज के पूर्व आयुष्मान कार्ड से इलाज करने के लिए बात रखी गई थी।मरीज के पिता विनोद कुमार सिदार द्वारा अवगत कराया गया कि जब अस्पताल में बच्ची को भर्ती किया गया तब उन्होंने आयुष्मान कार्ड के जरिए बच्ची के इलाज के लिए डॉक्टर को आयुष्मान कार्ड दिया गया वह कार्ड अस्पताल प्रबंधन ने रख लिया जब अस्पताल प्रबंधन के द्वारा मरीज के परिजनों को भुगतान की रकम एक लाख दस हजार रुपए बताई गई तो उन्होंने अनुरोध किया इस रकम का भुगतान पूर्व में ही जमा किये आयुष्मान कार्ड के लाभ के अंतर्गत कर लिया जाए । डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के द्वारा उनके पिता को गुमराह करते हुए यह बताया गया कि आयुष्मान कार्ड आपका ब्लॉक हो चुका है। जब मरीज के परिजन के द्वारा आयुष्मान कार्ड के बारे में पता कराया गया तो यह जानकारी सामने आई की आयुष्मान कार्ड ब्लॉक नहीं है केवल अस्पताल प्रबंधन के द्वारा नगद राशि की भुगतान हेतु मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और राशि भुगतान के लिए दबाव बनाने के लिए यह बात उनसे कहीं जा रही हैं। मरीज के परिजनों को आयुष्मान कार्ड का लाभ उन्हें प्राप्त नहीं हो पा रहा था उन्होंने इसकी जानकारी सपना सराफ (सामाजिक कार्यकर्ता ) को अवगत कराया। इसके बाद सपना सराफ के द्वारा संबंधित विभाग रायपुर में शिकायत दर्ज करा दी गई है। मीडिया कर्मियों के द्वारा घटना की सत्यता और कारण के जानकारी के लिए अस्पताल प्रबंधन के डॉक्टर और स्टाफ से जानकारी मांगी गई तो वहां कार्यरत डॉक्टर के द्वारा डॉ.शशिकांत साहू से बात करने के लिए कहा गया जो उस समय अस्पताल में मौजूद नहीं थे। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा सही कारण और जानकारी देने में असमर्थ लग रहे थे सभी लोग अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे थे। जिस तरह से आम आदमी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए इस योजना का लाभ उन तक पहुंच सके सरकार ने योजना निकली है वास्तव में धरातल में इसकी सत्यता कुछ और ही दिख रही है प्रशासन इस तरह के अस्पताल की छानबीन और सख्त कार्रवाई करके नागरिकों को उनके सुविधाओं का अधिकार दिलाने के लिए सतत रूप से प्रयासरत होना चाहिए। इस तरह के अस्पताल प्रबंधन के ऊपर सख्त कार्रवाई करके सही संदेश नागरिकों के हित के लिए देना चाहिए। अन्यथा आने वाले समय में योजना केवल कागजों में रह जाएगी धरातल में सत्यता कुछ और ही रहेगी। जबकि हर साल 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज का लाभ दिया जाता है। यह कार्ड हर साल अपडेट होता रहता है, यानि हर साल लाभार्थी 5 लाख रुपए के मुफ्त इलाज का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। बिलासपुर जैसे महानगरों में अस्पतालों की सुविधाओं को लेकर जिस तरह से कमियां और खामियां नजर आ रही है अब देखना होगा कि प्रशासन कब और कैसे इनकी कसावट करके नागरिकों के हित में कार्य करती है।

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