नवागढ़

बस स्टैंड नवागढ़ मे नहीं है यात्रियों के लिए शौचालय व पीने के पानी की व्यवस्था

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बस स्टैंड नवागढ़ मे नहीं है यात्रियों के लिए शौचालय व पीने के पानी की व्यवस्था

नवागढ़ संजय महिलांग

बस में सफर करने वाले यात्री, प्यास लगने पर दुकानों से पानी की बोतल व पाउच खरीदने को मजबूर

शौचालय ना होने से महिला यात्री होती हैं परेशान, प्रतिदिन 100 से अधिक यात्री बसों का हैं स्टॉपेज

नगर पंचायत नवागढ़ में स्थित बस स्टैंड पर यात्रियों को कोई मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। बस स्टैंड पर न तो महिला यात्रियों को शौचालय है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था और प्रतीक्षालय तक नहीं हैं। इस बस स्टैंड से प्रतिदिन गुजारने वाली 100 से अधिक बसों के यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं।

इन नगरों के लिए प्रतिदिन इस बस स्टैंड से बसें

नवागढ़ के इस बस स्टैंड से प्रतिदिन दिन रात में 100 से अधिक यात्री बसें निकली है। जो पुणे,हैदराबाद, नागपुर, विशाखापत्तनम,इलाहबाद, रायपुर, बिलासपुर, भाटापारा, मुंगेली, कवर्धा, बेमेतरा सहित अन्य नगर व महानगरों के लिए यात्री बसों में सफर करने वाले यात्री बस स्टैंड पर भीषण गर्मी में यात्री प्यास लगने पर दुकानों से पानी की बॉटल और पाउच खरीद रहे हैं।

नगर पंचायत स्थित बस स्टैंड पर यदि प्यास लगती है तो पीने का पानी नहीं मिलेगा गला तर करने के लिए पानी की बोतल या पानी पाउच होटलों से महंगे दामों में खरीदना पड़ रहा है। हालात ये है कि बस स्टैंड पर कहीं भी सरकारी पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

खुले में शौच जाते हैं यात्री

बस स्टैंड पर लोगों को गला तर करने कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है। जबकि हर रात और दिन दो सैकडो से अधिक बसों का स्टॉपेज होता है। इनमें हजारों की संख्या में यात्री आते जाते हैं। तेज गर्मी में बसों से उतरते ही यात्री पीने के लिए पानी और टॉयलेट घर तलाशते हैं, लेकिन उन्हें कहीं भी पानी का स्रोत और टॉयलेट नजर नहीं आता है।

वहीं प्यास बुझाने यात्री होटलों पर पहुंचते हैं और टॉयलेट के लिए जान हथेली पर रखकर सड़क पारकर खुले में जाने को मजबूर बने हुए हैं। खासकर महिलाओं को शर्मिंदगी महसूस होती है। प्यास बुझाने के लिए यात्री होटलों पर पहुंचते हैं। जहां उनसे यही पूछा जाता है क्या चाय पिएंगे, नाश्ता करेंगे यदि नहीं तो आगे बढ़ा देते हैं।
इलहाबाद से आई बस से नवागढ़ बस स्टैंड पर उतरे यात्रियों में संगीता साहु, रंजनी साहु, सावित्री यादव ने टॉयलेट को तलाशा जब टायलेट नहीं मिला तो मजबूरी ओर शर्मिंदगी महसूस कर सड़क पार जाना पड़ा। वहीं माखन साहू,दिनेश साहू प्यास लगने पर दुकानों से पानी की बोतल और पाउच खरीदते नजर आए। हालांकि कुछ होटल दुकान संचालक मानवता दिखा देते हैं और बच्चों महिलाओं को पानी पीने देते हैं।

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