चर्चा है कि महादेव सट्टा से जुड़े कुछ अहम साक्ष्य मिले हैं। इससे केस में नया मोड़ आ गया है। कहा जा रहा है कि प्रदेश में कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। वैसे तो ईओडब्ल्यू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ केस दर्ज कर चुकी है। भूपेश राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि यह मुद्दा फिलहाल उनके खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं है, लेकिन आगे की कार्रवाई प्रदेश की राजनीति में तूफान ला सकती है।अब कार्रवाई अभी होगी या फिर चुनाव निपटने के बाद, यह स्पष्ट नहीं है। मगर इसको लेकर दबे स्वर में काफी कुछ कहा जा रहा है।
महामंत्री पर उतरा गुस्सा
सीएम का गृह प्रवेश पिछले दिनों धूमधाम से हुआ । मंत्री,विधायक,सांसद अफसर सैकड़ों कार्यकर्ता सभी पहुंचे। पूरी व्यवस्था एक महामंत्री ने संभाल रखी थी। मंच से लेकर लंच तक सब कुछ उनके इशारे पर आयोजित था। वे मानो पुलिस बैंड के स्टिक मास्टर की तरह डायरेक्ट कर रहे थे। किसी को सीएम से मिलना हो, बधाई देना हो, कौन एक गुलाब देगा, कौन पूरा बुके देगा। कौन फोटो खिंचा सकता है, कौन सिंगल या ग्रुप में फोटो खिंचेगी…आदि आदि । इसी दौरान वे कुछ प्रोटोकॉल भूल गए। विधायकों की अनदेखी करने लगे। फस्ट टाइमर तो चुप रहे क्योंकि यह भी उनके लिए प्रशिक्षण वर्ग जैसा ही था। एक दो वरिष्ठ भी चलता है कहकर, महामंत्री को बख्श दिया। उन्होने यही उपक्रम आठ बार के कद्दावर से किया तो पलटवार से पसीना आ गए। नेताजी ने इतनी खरी खरी सुनाई कि महामंत्री सहम गए। मौजूद लोग कहने लगे अच्छा दिया भैया ने बहुत चढ़ गया था, तीन महीने में ही।
सौरभ की नेक सलाह
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद संगठन के एक प्रमुख पदाधिकारी की सिफारिश पर पूर्व विधायक सौरभ सिंह को मुख्यमंत्री का राजनीतिक सलाहकार बनाने का हल्ला मचा था। पार्टी के भीतर अंतर विरोध के चलते मामला लटक गया, इसके बाद कई प्रकार के राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। पिछले दिनों सौरभ सिंह ने अपने फेसबुक में पोस्ट किया कि मांगों मत । इसका उन्होंने व्याख्या किया कि जिसने बनाया है वही सब देता है। अब इसका लोग अलग-अलग राजनीतिक अर्थ निकाल रहे है। यह माना जा रहा है कि देर सबेर सौरभ सिंह को खनिज निगम का अध्यक्ष बनाया जा सकता है? सौरभ सिंह खनिज के बेहद जानकार है सत्ता के समीकरण को भांपने में माहिर है।
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भाजपा प्रवेश से कार्यकर्ताओं में बेचैनी
प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो रहे है। भाजपा ने बकायदा पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और महामंत्री संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में अन्य दलों के नेताओं के भाजपा प्रवेश के लिये टीम गठित किया है, इसकी सूची दिनोदिन लंबी होती जा रही है। दिग्गज और चतुर चालाक राजनेताओं के भाजपा प्रवेश के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ती जा रही है। कई चर्चित चेहरों से पूर्व विधायक व संगठन के पदाधिकारियों को भी आपत्ति हो रही है। कार्यकर्ता सोशल मीडिया में खुलकर लिखने लगे है।
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मंत्रियों को लेकर चर्चा
लोकसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा काफी आगे है। प्रत्याशी चयन के बाद बैठकों का दौर एक चरण पूरा होने वाला है। सत्ता और संगठन के पदाधिकारी चुनाव जीतने के लिये ऐड़ीचोटी का जोर लगा दिये है। रायपुर लोकसभा के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल, दुर्ग लोकसभा के प्रत्याशी विजय बघेल सहित कई प्रत्याशी लीड बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मिली जीत से ज्यादा लीड होने पर केन्द्रीय मंत्री बनाये जाने की संभावनाएं बढऩे को देखते हुए काम कर रहे है। केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद कई दिग्गज नेताओं के नाम अभी से चलने लगे है। यह माना जा रहा है कि सरोज पाण्डेय, विजय बघेल, संतोष पाण्डेय, बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीते तो प्रबल दावेदार हो सकते है।
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कैबिनेट फेरबदल पर
अभी से मंथन!!!
लोकसभा चुनाव के बाद मंत्री मंडल और संगठन में संभावित फेरबदल की अटकलें अभी से लगाई जा रही है। हर नेता अपने अनुसार आंकलन करने में लगा है। भाजपा के एक गुट का दावा है कि संगठन में फेरबदल होगा, यह फेरबदल किस रूप, किस स्तर पर होगा यह तो समय ही बताएगा। वहीं मंत्री मंडल में फेरबदल भी होगा। दो नये मंत्री लिये जाने की अटकलें लगाई जा रही है, यह मंत्री कौन हो सकते हैं यह हाईकमान तय करेगा। मंत्री मंडल में फेरबदल जाति समीकरण के अनुसार होंगे, योग्यता के आधार पर होंगे। सामान्य वर्ग से अमर अग्रवाल, राजेण मूणत, पुरंदर मिश्रा। पिछड़ा वर्ग से दुर्ग विधायक यादव समाज व आदिवासी वर्ग से बस्तर को प्रतिनिधित्व देने की मांग अभी से उठने लगी है।