चुनाव आयोग ने तबादले के लिए कुछ निर्दश जारी किए थे।इसकी अवहेलना करने पर राजस्व सचिव भूवनेश यादव निपट गये। आयोग के निर्देश को राजस्व विभाग समझ नहीं पाया और सीएम से अनुमोदन के बिना लंबी चौड़ी सूची तहसीलदार, नायब तहसीलदार व अन्य अफसरों की तबादला सूची जारी कर दी। इससे सीएम हाउस नाराज हो गया और भूवनेश यादव बिना विभाग के सचिव रह गये। दिल्ली से आये अभिनाश चंपावत को राजस्व विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के करीबी लोगों के भी तबादले हो गए । यही नहीं,बहुत सारे अफसरों की पदोन्नति जारी आदेश हो गया है। अब पदस्थापना और निरस्तीकरण का खेल चलेगा।
बिलासपुर का दबदबा
बिलासपुर जिले के अधिकारियों का प्रभाव राजधानी रायपुर के सीएम हाउस, डिप्टी सीएम व मंत्रियों के यहां बढ़ा है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का तबादला छुटपुट रूप से निकल रहा है। इससे बिलासपुर जिला लगभग खाली हो गया है। बिलासपुर जिले के ज्यादातर अधिकारियों की पदस्थापना रायपुर के महत्वूपर्ण जगहों में अलग-अलग हुई है। सीएम हाउस में तीन अधिकारी पदस्थ हुए है। डिप्टी सीएम अरूण साव के विशेष सहायक के रूप में भी पदस्थापना हुई है। मंत्रियों के स्टाफ में भी बिलासपुर के अधिकारियों को देखा जा सकता है।
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भाजपा प्रवेश के लिए कतार
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है अगले सप्ताह तिथि की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लग जायेगी। अधिकारी और राजनेता चुनाव के पहले सारे काम निपटाने में दिन रात जुटे है। दल और निष्ठा बदलने वाले राजनेता भी नये ठिकाने की तलाश में है। कांग्रेस के ज्यादातर असंतुष्ट नेताओं का नया ठिकाना सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा हो गई है। केन्द्र में भाजपा की सरकार आने की संभावना व राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद कई बड़े कांग्रेसी नेता भाजपा ज्वाइनिंग करने के लिए लाइन लगाये है। कुछ अधिकारी भी भाजपा में शामिल होना चाहते है पर उन्हें हरी झंडी नहीं मिल रही है। जोगी कांग्रेस के प्रमुख नेता अमित जोगी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें थी लेकिन फिलहाल भाजपा ने अमित जोगी को लेने से इंकार कर दिया है। विधानसभा चुनाव के समय जोगी कांग्रेस से भाजपा को बहुत अपेक्षा थी वह पूरा नहीं होने पर मोहभंग होने की हल्ला है।
भाजपा संगठन का दखल
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले किसानों के खाते में धान का समर्थन मूल्य एकमुश्त देने व राजधानी रायपुर में बड़े किसान सम्मेलन करने भाजपा संगठन के पदाधिकारी जोर-शोर से जुटे थे। हर जिले को वृहद स्तर पर किसानों को एकत्रित कर राजधानी रायपुर लाने की जिम्मेदारी सौंपा गई थी। इस काम में सबसे बड़ी भूमिका क्षेत्रीय महामंत्री अजय जामवाल ,संगठन महामंत्री पवन साय व उनकी टीम सम्हाले हुए थे। भाजपा सरकार लाने के बाद लोकसभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट लाने की अहम जिम्मेदारी पवन साय की होने के कारण सर्दी बुखार में भी सारे जिले से संपर्क जिम्मेदारी, प्रबंधन व्यवस्था देखते रहे। लोकसभा चुनाव में मोदी का प्रभाव होने के बावजूद भी भाजपा संगठन मैदानी स्तर पर मेहनत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। सरकार और मंत्री के भरोसे चुनाव नहीं छोड़ रही है ।संगठन के सभी मोर्चा प्रकोष्ठ को दौड़ा रहे हैं। भाजपा संगठन अपनी नीति और कार्यकर्ता के लिये मंत्रालय में भी दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस संगठन को संगठन की ताकत और समर्थन भाजपा से सीखने की जरूरत है।
साहू समाज पर नजर..
छत्तीसगढ़ में लोकसभा टिकिट वितरण के बाद कई समाज खफा है। 12 प्रतिशत जनसंख्या होने का दावा करने वाली साहू समाज को भाजपा ने एक मात्र सीट बिलासपुर लोकसभा में दिया है। जबकि कांग्रेस ने दुर्ग और महासमुंद सीट पर साहू समाज को उतारा है। यादव समाज दोनो दलों से लोकसभा टिकिट की मांग की है लेकिन भाजपा ने नहीं दिया । आदिवासी समाज ने भी कंवर आदिवासी को ज्यादा तवज्जों दी गयी है। जमीनी स्तर पर कमजोर कांग्रेस जाति समीकरण के सहारे मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। विधानसभा चुनाव की तरह जाति समीकरण बैठाने में भाजपा लगी है। असम के सासंद रामेश्वर तेली छत्तीसगढ़ के भाटापारा के निवासी है। इस बार उसकी भी टिकट कट गयी है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी साहू समाज से हैं इसलिए साहू समाज को साधने की कवायद फिर से चल रही है।
जंग में सबकुछ जायज है..
चर्चा है कि वन प्रमुख ने अपनी कुर्सी बचाने के सारे संसाधन झोंक दिए हैं। कुछ पेशेवर लोगों की सेवाएं ले रहे हैं। जिन अफसरों के नाम आगे आ रहे हैं, उनके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से अभियान शुरू करवाया है। एक की तो सोशल मीडिया में ईडी की रिपोर्ट चलवाई और बाकियों के लिए भी अभियान शुरू करवाया है। इसका क्या असर होगा, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पेशेवर दलबदलु
भाजपा में प्रवेश के लिए कांग्रेस नेताओं की लाइन लगी है। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर की अध्यक्षता में कमेटी बनी हुई है, और यह कमेटी प्रवेश के इच्छुक नेताओं के नामों पर चर्चा कर अनुशंसा प्रदेश नेतृत्व को भेजती है। इसके बाद ही दूसरे दलों के नेताओं को प्रवेश दिया जा रहा है।
खास बात यह है कि कमेटी को सबसे पहले आवेदन एक कांग्रेस नेता का था जो कि आयुर्वेदिक डॉक्टर भी हैं। मगर कमेटी ने उन्हें भाजपा में शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वजह यह है कि नेताजी इतनी बार दल बदल चुके हैं, कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों के नेता तंग आ चुके हैं। जबकि पूर्व सीएम रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल ने भी डॉक्टर नेता को भाजपा में शामिल करने की सिफारिश की है। फिर भी डॉक्टर नेता ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। देखना है कि आगे क्या होता है।