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राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने कहा- आयोग में चार हजार से अधिक प्रकरणों पर‌ कार्य जारी

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राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने कहा-
आयोग में चार हजार से अधिक प्रकरणों पर‌ कार्य जारी

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। कोर्ट निर्देश के बाद भी सरकार ने आयोग को सिक्यूरिटी नहीं दिया है। इससे सुनवाई में परेशानी होती है। मामले में कोर्ट कन्टैम्ट करूंगी। यह बातें प्रार्थना सभा में सुनवाई के बाद पत्रकारों छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष नें कही। डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि मैने अब तक पूरे प्रयास और ईमानदारी से आयोग का काम किया है। चार हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि प्रार्थना सभा में आज 239 वीं सुनवाई हई। जिला स्तर पर 15 वीं सुनवाई के दौरान 45 प्रकरण सामने आये हैं। सुनवाई में आयोग की सदस्य डॉ. अर्चना उपध्याय ने भी शिरकत किया।
डा. नायक ने बताया कि बैठक में छोटे बड़े कुल 45 प्रकरणों को सुना गया। पति की मौत और दूसरी विवाह मामले में महिला के संपत्ति संबधी विवाद का निराकरण किया गया। जिला खेल परिसर एसईसीएल स्थित बैडमिंटन कोर्ट में महिलाओं के लिए अधिकारी को आयोग ने निर्देश दिया है कि खेलने की व्यवस्था करें। एक अन्य प्रकरण में बताया कि गांव की एक महिला कच्ची शराब बनाने का काम करती है। लोगों ने जब विरोध किया तो महिला ने गांव वालों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। जांच पड़ताल के बाद महिला को समझाइश देकर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। इसके अलावा जमीन और रूपयों के लेन देन संबधित विवादों का भी निराकरण किया गया।
सारी सुविधा होने के बाद भी पति की मौत के बाद सास ससुर को घर
से निकालने का मामला सामने आया। आयोग ने जांच पड़ताल के दौरान पाया कि महिला झूठ बोल रही है। महिला आर्थिक कमजोरी को लेकर आयोग को गलत जानकारी दी हैं। मामले का निराकरण किया गया। एक प्रकरण को लेकर आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि पति पत्नी अलग अलग रहते हैं। पत्नी का आरोप है कि साइंटिस्ट पति सिगरेट पीता है। विरोध करने को लेकर लड़ाई झगड़ा करता है। इसलिए दो साल से अलग रहती है। वैज्ञानिक पति ने आरोप से इंकार करते हुए कहा कि पिता और मां के बहकावे में आकर पत्नी उसके साथ दुर्व्यवहार करती है। पत्नी जान बूझकर बिना किसी वजह दोनों बच्चों के साथ मायके में रहती है। जबकि अपने बीमार बच्चे के लिए साथ रहने को तैयार हूं। वह बच्चों को मिलने भी नहीं देती है। किरणमयी नायक ने बताया कि सुनवाई के दौरान पाया गया कि डॉ. पति पत्नी के बीच एक ग्यारह साल की बेटी 11 वीं की छात्र है। आठ साल का बेटा डाउन सिन्ड्रोम पीड़ित है। महिला के घर आयोग की टीम को भेजा गया। लेकिन महिला और उसके माता पिता ने आयोग के सदस्य के साथ दुर्व्यवहार किया। अन्ततः कड़ाई से पेश आने पर दोनो पक्ष सुनवाई में पहुंचे। दोनो पक्षों ने बच्चो को अपने साथ रखने की बात कही। चूंकि बेटी की परीक्षा चल रही है इसलिए मई में अगली सुनवाई के दौरान बेटी समेत सभी से बातचीत होगी। बच्चों की मां ने कहा कि यदि पति बच्चों से मिलना चाहते हैं तो इसके पिता के घर यानी मायके आना होगा। वह पति के घर बच्चों के घर नहीं जाएगी। पति आठ साल के डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित बेटे का इलाज रायपुर में करवाना हैं तो करवा सकते हैं… लेकिन वह रायपुर नहीं जाएगी। पति ने कहा कि बच्चा अपनी मां से अलग नही रह सकता है। इसलिए पत्नी को बच्चे के साथ रायपुर में रहना होगा। पत्नी ने इंकार करते हुए कहा कि पति की सम्पत्ति या अहसान नहीं लेगी। मामले में आगोग अध्यक्ष डा. नायक ने कहा कि माजरा समझ में आ रहा है। सिगरेट को सिर्फ अलग रहने का बहाना बताया जा रहा है। दरअसल महिला बेवकूफ बना रही है। मामला कुछ और है… मई में रायपुर में सुनवाई के दौरान सारा मामला सामने आ जाएगा।

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