बिलासपुर

धान खरीदी केंद्र में धान का उठाव नहीं होने से किसनों को हो रही परेशानी

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धान खरीदी केंद्र में धान का उठाव नहीं होने से किसनों को हो रही परेशानी

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। मुंगेली जिला अंतर्गत आने वाले गीधा धान खरीदी केंद्र मैं धान का समय पर उठाव नहीं होने की वजह से किसानों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विदित हो किसान बड़ी संख्या में धान बेचने के लिए केंद्र तक पहुंच रहे हैं। लेकिन धान रखने की जगह नहीं होने की वजह से उन्हें केंद्र के बाहर ही ट्रैक्टर पर अपने धान को रखकर इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या आ रही है, कि उन्हें ट्रैक्टर का भाड़ा अब दो गुना देना पड़ेगा। किसानो से मिली जानकारी के अनुसार शाखा प्रबंधक देवी सिंह राजपूत ने किसानो को स्पष्ट रूप से कहा की आज की तारीख मे धान खरीदी नहीं हो सकती। चाहे आप किसी भी अधिकारी से सम्पर्क कर ले,, शाखा प्रबंधक के ऐसे जवाब के बाद किसानो के बीच हड़कंप मचा हुआ है। क्योंकि धान से भरे सभी ट्रैक्टर किसानो ने किराये से लाये है। ऐसे मे ट्रेक्टर मालिकों ने किसानो पर समय पर ट्रेक्टर वापस करने या दो गुना भाड़ा देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।शाखा प्रबंधक से समस्या की वजह पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि राइस मिलर्स वालों के द्वारा गाड़ियां नहीं लगाई जा रही है, और धान का उठाव नहीं किया जा रहा है। जिस वजह से अब केंद्र में धान रखने की जगह नहीं बची है। शाखा प्रबंधक ने यह भी बताया कि इस स्थिति की जानकारी नोडल अधिकारी से लेकर समस्त उच्च अधिकारियों को दी जा चुकी है। बीती रात एसडीएम द्वारा केंद्र का निरीक्षण भी किया जा चुका है। शाखा प्रबंधक ने आने वाली इस समस्या की जानकारी दी। लेकिन गंभीरता नहीं बरतने की वजह से मामूली समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। धान खरीदी केंद्र मे उपजे इस समस्या की मुख्य वजह राइस मिलर्स को बताया जा रहा है। शाखा प्रबंधक की माने तो राइस मिलर्स अपनी सुविधानुसार धान का उठाव कर रहें है। जबकि किसानों की समस्याओं को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। मुंगेली गीधा मार्ग पर सैकड़ो की संख्या में ट्रैक्टर सड़कों पर खड़े हैं और किसान असमंजस में है कि आखिर हम दो गुना भाड़ा कैसे वहन करेंगे। एक तरह से देखा जाये तो दोनों ही तरफ से नुकसान सिर्फ़ किसानो का ही होता नज़र आ रहा है। किसानो को अपने ट्रेक्टर से भरे धान लेकर वापस अपने घर जाना पड़ रहा है। प्रशासन की छोटी सी भूल का ठीकरा किसान सीधे राज्य सरकार पर फोडने लगे है।

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