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पुलिस प्रशासन ने किया अगाह अफवाहों से बचें, आओ समझे हिट एंड रन नियम क्या है

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पुलिस प्रशासन ने किया अगाह
अफवाहों से बचें, आओ समझे हिट एंड रन नियम क्या है ?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2)
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भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) का वास्तविक अर्थ
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कमलेश लव्हात्रे ब्यूरो चीफ
बिलासपुर

भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 में उप-धारा (2) में एक अतिरिक्त प्रावधान पेश करती है जो उन स्थितियों को संबंधित करती है जहां अपराधी घटना के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को रिपोर्ट किए बिना घटनास्थल से भाग जाता है । ऐसे मामलों में सजा बहुत कड़ी होती है, इसमें अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है ।

चूंकि हिट एंड रन के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(2) के तहत एक नया प्रावधान किया गया है। वर्तमान में हिट एंड रन के मामले, जिसके परिणामस्वरूप लापरवाह और लापरवाह ड्राइविंग के कारण मृत्यु होती है, आईपीसी की धारा 304 (ए) के तहत दर्ज किए जाते हैं, जिनमें अधिकतम 2 साल की कैद की सजा होती है । वर्ष 2021 की दिल्ली रोड क्रैश रिपोर्ट के अनुसार, 555 मामले (कुल मामलों का 46.01%) थे, जहां अपराध में शामिल वाहनों की पंजीकरण संख्या अज्ञात थी, जो हिट और रन के मामले को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में बढ़ती वाहन दुर्घटना के मद्देनजर कानून की अपर्याप्तता पर टिप्पणी की थी। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए, खंड 106(2) के तहत नया प्रावधान पेश किया गया है जो लंबे समय से लंबित था ।

धारा 106(2) को हिट एंड रन दुर्घटनाओं को कवर करने और दुर्घटना की तुरंत रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है। इसे वर्ष 2019 में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में पेश किए गए शब्द ‘गोल्डन ऑवर” के भीतर पीड़ित को बचाने के उद्देश्य से पेश किया गया है ।

/////इस धारा से किसे डरना//// चाहिए ? –

ऐसे वाहन चालक जो एक्सीडेंट के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को सूचना दिए बगैर भाग खड़े होते हैं और घायल व्यक्ति का ‘गोल्डन ऑवर” चला जाता है, ऐसे गैर जिम्मेदार वाहन चालकों पर यह कानून प्रभावशील होगा 1

/////आखिर क्या करें////

यदि किसी चालक से एक्सीडेंट हो जाता है तो वह अपने मोबाइल से डायल 112, पुलिस अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट को सूचना देवे या थाने में स्वयं जाकर सूचना दें ताकि पीड़ित को समय पर इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सके। इससे वाहन चालक को भी कानून राहत मिल सकेगी। यहां यह समझना आवश्यक है कि सड़क दुर्घटना से घायल व्यक्ति स्वयं वाहन चालक हो सकता है, उसके परिवार के सदस्य भी हो सकतें है, इसलिए सड़क दुर्घटना की समय पर सूचना दिया जाना अब वाहन चालक की नैतिक नहीं बल्कि कानूनी जिम्मेदारी होगी, इसलिए कानून में लायी गई इस मानवीय पहलुओं को समझते हुए इसका विरोध नहीं करना चाहिए ।

///// ध्यान देंवे////

यदि कोई वाहन चालक एक्सीडेंट के बाद पुलिस अधिकारी अथवा मजिस्ट्रेट को सूचना दे देता है तो यह कानून ऐसे वाहन चालक पर लागू नहीं होगा और पहले की ही भांति कानूनी स्थिति रहेगी ।

अतः अफवाहों पर ध्यान ना दें जिम्मेदारी से वाहन चलावे ।

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