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प्रदेश की राजनीति में उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर का वर्चस्व लौटा धर्मजीत सिंह ऐसे अकेले विधायक जो तीन पार्टी से चुनाव जीते तो वही पुन्नू लाल मोहले किसी चुनाव में कभी नहीं हारे

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प्रदेश की राजनीति में उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर का वर्चस्व लौटा
धर्मजीत सिंह ऐसे अकेले विधायक जो तीन पार्टी से चुनाव जीते तो वही पुन्नू लाल मोहले किसी चुनाव में कभी नहीं हारे

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। अब जबकि विधानसभा चुनाव में परिणाम सामने आ चुका है और छत्तीसगढ़ सहित तीन राज्यों में भाजपा की बंपर जीत हुई है। अब बस कुछ ही घंटा की बात रह गई है मुख्यमंत्री के पद पर कौन अरुण हो रहा है। यह शीघ्र ही कुछ घंटे में साफ हो जाएगा। हालांकि पार्टी हाई कमान को इसके लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हाईकमान भी चाहता है की सर्वस्वीकार्य, सुयोग्य और समीकरणों में फिट बैठता हुआ ही चेहरा मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जाए। लेकिन यह तो तय है कि मुख्यमंत्री चाहे कोई भी बने अब प्रदेश की राजनीति में बिलासपुर संभाग का दबदबा निश्चित तौर पर रहने वाला है। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के बाद राजनीति में एक नए किस्म का संतुलन सामने आ रहा है । इसके हिसाब से प्रदेश में सरकार बनाने वाली पार्टी बीजेपी के कई दिग्गज नेता बिलासपुर इलाके में नजर आ रहे हैं ।जिससे एक बार फिर अविभाजित मध्य प्रदेश में नब्बे के दशक में चलने वाली सरकार की राजनीति का दौर वापस होता हुआ दिखाई दे रहा है। अभी कई दिग्गज बिलासपुर और उत्तर छत्तीसगढ़ में होने की वजह से इस बार बीजेपी की राजनीति का झुकाव इस इलाके की ओर रहेगा ऐसा नजर आ रहा है। जैसा कि मालूम है कि अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने में बिलासपुर इलाके में कांग्रेस की राजनीति में कई दिग्गज नेता थे। उस दौर में भी छत्तीसगढ़ इलाके की राजनीति में बिलासपुर इलाके के नेताओं का दबदबा रहा है। याद किया जा सकता है कि एक समय में कांग्रेस के बड़े नेताओं में बी.आर. यादव, राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, चित्रकांत जायसवाल, अशोक राव, बंशीलाल धृतलहरे जैसे नेताओं का दबदबा रहा। इससे और पहले की बात करें तो गणेश राम अनंत, डॉ. भंवर सिंह पोर्ते,बिसाहू दास महंत,वेदराम,,कृष्ण कुमार गुप्ता जैसे नेता कांग्रेस में काफी असरदार माने जाते थे । वहीं बीजेपी में भी लखीराम अग्रवाल, दिलीप सिंह जूदेव,बलिहार सिंह, लरंग साय,मनहरण लाल पाण्डेय जैसे नेताओं की वजह से इस इलाके की पहचान रही है । बीते कुछ समय से इस मामले में वैक्यूम जैसी स्थिति रही है । लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर इलाके से बीजेपी में कई बड़े नेताओं ने फिर से अपनी जगह बना ली है । इस बार बिलासपुर से जीतकर आने वाले अमर अग्रवाल प्रदेश में पंद्रह साल तक मंत्री रह चुके हैं । बिल्हा के विधायक धरम लाल कौशिक छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं ।इसी इलाक़े की लोरमी सीट से विधायक चुनकर आए अरुण साव 2019 में बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद चुने गए थे और इस समय प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष हैं। उनके नाम के साथ कई संभावनाएं जुड़ी हुईं हैं। इसी तरह मुंगेली से चुने गए पुन्नू लाल मोहले लंबे समय तक सांसद और विधायक निर्वाचित होते रहे हैं । पुन्नूलाल मोहले ऐसे नेता हैं , जो अब तक सांसद या विधायक का एक भी चुनाव नहीं हारे । उनकी गिनती अनुसूचित जाति के बड़े नेताओं में होती है। तखतपुर विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतकर आए धरमजीत सिंह भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह के साथ 2023 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद एक अनोखा रिकार्ड भी दर्ज हो गया है। वो यह कि ये ही ऐसे इकलौते विधायक हैं जिसने अलग-अलग चुनावों में तीन अलग-अलग पार्टियों से चुनाव जीता है। ये कांग्रेस पार्टी फिर जोगी कांग्रेस के बाद भाजपा से भी चुनाव जीतकर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति हैं। वे लोरमी सीट से कई बार कांग्रेस के विधायक चुने गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के करीबी रहे धरमजीत सिंह ने 2018 का पिछला चुनाव लोरमी से जीता था। वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनकी गिनती कद्दावर नेताओं में होती है। इसी तरह रायगढ़ इलाके में ओपी चौधरी भले ही पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतकर आए हैं। लेकिन आईएएस छोड़कर सियासत में कदम रखने के बाद उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इस बार के चुनाव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान काफी चर्चित रहा। जिसमें उन्होंने ओपी चौधरी को चुनाव जीतने पर बड़ा आदमी बनाने की बात कही है। इसी तरह सरगुजा इलाके में भरतपुर सोनहत से चुनाव जीतकर आई रेणुका सिंह भी मौजूदा सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री हैं। इसी इलाके के रामानुजगंज सीट से जीते बीजेपी नेता राम विचार नेता भी पहले कई बार विधायक हैं रहे और प्रदेश सरकार में मंत्री भी मंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। वे राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। इस तरह देखा जाए तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में विधानसभा चुनाव के बाद एक नया संतुलन बना है। जिसमें उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर इलाके में कई कद्दावर नेता चुनकर आए हैं।ज़ाहिर सी बात है कि इस इलाक़े के नेताओं को सत्ता में भी बड़ी ज़िम्मेदारी मिल सकती है। इसका असर इस इलाके की राजनीति पर आने वाले समय में भी दिखाई देगा। और अगर सौभाग्य से इस क्षेत्र से चुने गए किसी विधायक को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है (जो की पूरी संभावना भी दिख रही है) तब तो निश्चित ही उत्तर छत्तीसगढ़ और बिलासपुर का दबदबा चहुंओर दिखाई देगा।

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