Sunday, May 11, 2025
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छठ पर्व पर सूर्य देव को अर्घ्य देने हजारों की संख्या में छठ घाट में उमड़े श्रद्धालु व्रतियों में आस्था और उमंग का सैलाब

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छठ पर्व पर सूर्य देव को अर्घ्य देने हजारों की संख्या में छठ घाट में उमड़े श्रद्धालु

व्रतियों में आस्था और उमंग का सैलाब

– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। आस्था समुद्र से भी अधिक गहरा और आकाश की तरह असीम होता है, जिसकी थाह पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है । आस्था का यही स्वरूप रविवार को यहां छठ घाट पर नजर आया ।सभी धर्म में उपासना की अपनी पद्धतियां है। लेकिन सूर्य उपासना के महापर्व छठ की महिमा इसलिए भी अद्भुत है, क्योंकि यहां पूजा के समय साक्षात सूर्य देव आंखों के सामने होते हैं। ऐसा किथसी और पूजन में संभव नहीं। लोकआस्था का यह महापर्व छठ पूरे उल्लास और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। विधि विधान के साथ छत्तीस घंटे का व्रत करते हुए व्रती सूर्य उपासना कर रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्य देव की बहन छठी मैया भगवान कार्तिकेय की पत्नी है, जिनकी उपासना कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को की जाती है। कुछ भक्त मानते हैं कि इस दिन भगवान सूर्य देव ही छठी मैया के स्वरूप में दर्शन देते हैं।
कभी यह पर्व केवल बिहार और उत्तर भारत में ही मनाया जाता था लेकिन अब इस पर्व की विशेषताओं के कारण इसे पूरे मध्य और उत्तर भारत में अंगीकार कर लिया गया है। दावा किया जाता है कि बिलासपुर की तरह भव्य और विशाल छठ घाट के साथ छठ पर्व और कहीं नहीं मनाया जाता। यहां सबसे लंबा छठ घाट भी मौजूद है। इसी घाट पर रविवार दोपहर बाद से ही व्रती पूजा अर्चना के लिए पहुंचने लगे। नहाय-खाय के अवसर पर कद्दू, चना दाल, अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों ने शनिवार को पूरी शुद्धता के साथ खरना और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया । इसके साथ ही छत्तीस घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हुआ। छठ पर्व पर शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। सामान्यतः संतान प्राप्ति, संतान और पूरे परिवार की मंगल कामना के साथ महिलाएं यह व्रत रखती है लेकिन कुछ पुरुष भी यह व्रत रखते हैं।
दोपहर बाद बांस की टोकरी दउरा में पूजन सामग्री लेकर व्रत बाजे के साथ घाट पर पहुंचे। दउरा में पांच प्रकार के फल, कंद, सब्जियां, ठेकुआ आदि मौजूद थे। प्रसाद की पवित्रता को ध्यान में रखकर बैंडबाजे के साथ सर पर दउरा रखकर घर के पुरुष सदस्य महिलाओं के साथ घाट पर पहुंचे, जहां अरपा नदी की मिट्टी से चौरा बनाकर गन्ने का मंडप सजाया गया। चौरा में प्रसाद का सूपा रखकर धूप, दीप आरती की गई। रविवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य देव को शाम 5:12 मिनट पर दूध एवं जल का अर्घ्य प्रदान किया गया। सभी ने सूर्य देव को प्रणाम करते हुए जगत के कल्याण की कामना की।

जैसे ही सूर्य देव अस्त हुए, व्रती पूजा का दउरा सर पर रखकर बैंड बाजे के साथ एक बार फिर घर लौट गए। अब यह सभी पुनः सोमवार तड़के घाट पर पहुंचें, जहां एक बार फिर पूर्व मुखी होकर उगते हुए सूर्य देव को नदी के जल में कमर तक खड़े होकर जल एवं दूध से अर्घ्य दिया गया। प्रसाद वितरण और ब्रह्म बाबा की पूजा के बाद दूध एवं शरबत से व्रतधारी व्रत का पारन करेंगे ।

छठ घाट पर नहीं थी पांव रखने की जगह

कोरोना के प्रभाव के चलते एक वर्ष छठ पूजा प्रभावित हुई थी, लेकिन अब कोरोना का प्रभाव पूरी तरह से खत्म होने का यह असर देखा गया कि छठ घाट पर पैर रखने की भी जगह नहीं थी हजारों की संख्या में लोग पूजा करने और पूजा पाठ देखने के लिए एकत्र हुए थे । दोपहर 12:00 बजे से ही यहां व्रतियों के आने का क्रम आरंभ हो गया था। यहां घाट करीब 900 मीटर लंबा है ,लेकिन अच्छी जगह की तलाश में लोग पहले से आकर अपना स्थान ग्रहण करते दिखे। शाम होते होते यहां जन सैलाब उमड़ पड़ा। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार साठ से सत्तर हज़ार श्रद्धालु छठ घाट में पहुंचे। इनमें से अधिक संख्या उन लोगों की रही जो छठ व्रत तो नहीं रखते लेकिन इस पूजा में सम्मिलित आवश्यक होते हैं।

आयोजन समिति ने उपलब्ध कराई सुविधा

छठ महापर्व पर तोरवा पुल के नीचे स्थित एशिया के सबसे बड़े छठ घाट में हजारों लोगों के आगमन को ध्यान में रखकर छठ पूजा समिति द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। यहां पार्किंग के लिए दस स्थल बनाए गए है, तो वहीं घाट में प्रवेश के लिए चार प्रवेश द्वार बनाए गए है। बीमार, बुजुर्ग और विकलांग श्रद्धालुओं के लिए घाट पर बैटरी चलित गाड़ी की व्यवस्था भी की गई। व्यवस्थाओं को बनाने में छठ पूजा समिति के दो सौ वॉलिंटियर्स के अलावा पुलिस, नगर सेना, भारत स्काउट एवं गाइड के वॉलिंटियर्स भी मौजूद रहे। सुरक्षा के मद्देनजर एसडीआरएफ की टीम नदी में नाव के साथ पूरे वक्त तैनात है। बाहर से आने वाले व्रतियों के लिए छठ घाट स्थित भवन में ठहरने और भोजन की व्यवस्था की गई, तो वहीं समिति द्वारा अर्घ्य देने के लिए एक क्विंटल दूध की व्यवस्था की गई। आयोजन स्थल पर पुलिस कंट्रोल रूम के साथ अपोलो द्वारा फर्स्ट एड काउंटर एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र दास द्वारा निशुल्क चाय की व्यवस्था की गई। इस अवसर पर छठ घाट में मेला भी लगाया गया था, जहां तरह-तरह के दुकानों के साथ झूले और खेल खिलौने नजर आए। पूरे समय समिति के वॉलिंटियर्स वॉकी-टॉकी के साथ सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं को अंजाम देते दिखे। महिलाओं के कपड़े बदलने के लिए भी कुछ-कुछ अंतराल में चेंजिंग रूम बनाए गए हैं। वही छठ घाट पर पृथक पटाखा जोन भी तैयार किया गया है।

नगर विधायक शैलेश पांडे भी छठ घाट पहुंचे

इस अवसर पर विधायक शैलेश पांडे भी शामिल हुए। अपने उद्बोधन में पाटलिपुत्र संस्कृति विकास मंच एवं छठ पूजा समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार दास ने कहा कि नगर में भी छठ महापर्व को पूरी तरह से अंगीकार कर लिया गया है। और अब यह केवल उत्तर भारतीयों का नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ियों का भी बड़ा पर्व है। नगर में न केवल विश्व का सबसे बड़ा मानव निर्मित छठ घाट है बल्कि बिलासपुर जैसा भव्य आयोजन देशभर में कहीं नहीं होता। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने के लिए उपस्थित अपार जनसमूह का हृदय से आभार करते हुए कहा कि यह आयोजन छठ पूजा समिति के वॉलिंटियर्स, नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, यातायात पुलिस, नगर सेना, भारत स्काउट एंड गाइड मीडिया और अन्य सामाजिक संगठनों के सहयोग के बिना कभी इतना सफल नहीं हो पाता । उन्होंने इसके लिए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया है। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की है कि आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और विशाल एवं भव्य स्वरूप दिया जाएगा।

सूर्य देव को प्रातः अर्घ्य दिया गया

सोमवार सुबह 6:21 मिनट पर उदित सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान किया गया। इसके लिए व्रती रात 2:00 बजे से ही घाट पर पहुंचने लगे। जिनके लिए चाय, दूध आदि की निःशुल्क व्यवस्था समिति द्वारा की गई। वहीं 200 मीटर का पटाखा जोन बनाया गया है। पूरा घाट छठी मैया के गीतों से गूंज रहा है, जिसने अलौकिक छटा उत्पन्न कर दी है । इस अवसर पर छठ घाट को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। घाट की साफ सफाई कर विद्युत झालरों की आकर्षक सजावट भी की गई है जिससे यहां का नजारा देखते ही बन रहा है।

इनका रहा सहयोग

संरक्षकगण एच. पी. एस. चौहान, एस. पी. सिंह, डॉ. ब्रजेश सिंह, व्ही. एन. झा, आर. पी सिंह (सहजानंद), कमलेश चौधरी, एस. के. सिंह, लव कुमार ओझा, प्रवीण झा, बिनोद सिंह अध्यक्ष : डॉ. धर्मेंद्र कुमार दास कार्यकारी अध्यक्ष अभय नारायण राय उपाध्यक्ष: जे. के. एन. एस. सिंह, राकेश दीक्षित, गोपाल सिंह, बी. के. आर. मिश्रा, संजय सिंह राजपूत, सुधीर झा,
अशोक झा सचिव विजय ओझा कोषाध्यक्ष डॉ. कुमुद रंजन सिंह
संयुक्त सचिव दिलीप चौधरी, सी. एम. सिंह, धनंजय झा, बी. एन. ओझा, बी. बी. तिवारी, अर्जुन सिंह, मुन्ना सिंह, हरि ओम दुबे, पंकज सिंह (बिसलेरी), पंकज सिंह (रामा वैली), मुकेश झा,प्रशांत सिंह, राघव झा कार्यालय सचिव नागेंद्र प्रसाद सिंह, सतीश सिंह, रामसखा चौधरी, विनोद सिन्हा, पीसी झा, बृजराज सिंह, राजकिशोर श्रीवास्तव, लकी ठाकुर, ई. आनंद मोहन मिश्रा, बीरेंद्र सिंह, आनंद चौधरी, जगदानंद झा, कमलेश सिंह, नवल वर्मा, धीरज झा, रूपेश कुशवाहा, अभिषेक प्रभाकर, शशि नारायण मिश्र, संतोष गिरी, चंदन सिंह, राहुल शर्मा, रंजय सिंह विभागीय प्रभारी अनिल सिंह, गणनाथ मिश्रा,राम गोस्वामी, संतोष सिंह, युगल किशोर झा, जितेंद्र ठाकुर, प्रकाश देबनाथ, जय शुक्ल, दीनबंधु सेन (मामा), आनंद तिवारी, पवन पाण्डेय, प्रमेंद्र सिंह, राज कुमार सिंह (देवरी), संतोष सिंह राजा, रविन्द्र सिंह (लाफार्ज),अनमोल झा, अमरकांत तिवारी, निर्भय चौधरी, अभिषेक कुमार सिंह, आदित्य कुमार सिंह, रंजीत ठाकुर, मुरारी दुबे, केशव झा, कुंदन ठाकुर, अभिषेक ठाकुर, बिरेन्द्र तिवारी, विजय दुबे, रवीन्द्र सिंह, श्रीमती सपना सराफ, सुभम झा, वैभव कुलदीप, आदित्य ठाकुर, आशीष चौधरी, विक्रम चौधरी, अक्ष झा, श्याम चौधरी, आनंद झा, हर्ष ठाकुर,प्रशांत मिश्रा, प्रिंस कुमार झा, सुरेश सिंह, राहुल सिंह, संतोष सिंह, अमन ओझा,रवि रंजन ओझा, रजनीश सिंह, हर्ष सिंह, संतोष ओझा, सूरज सिंह, सुभाष तिवारी, प्रभात कुमार चौधरी, सी.पी. साहू।

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