रेलवे बुधवारी बाजार के सड़कों पर गिट्टी सीमेंट डालकर भूले रेलवे के अधिकारी और ठेकेदार
धूलगर्द सेआम नागरिक और दुकानदार हो रहे परेशान
सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। लगता है रेलवे के अधिकारी सड़क पर गिट्टी बिछाकर भूल गए हैं। रेलवे के नॉर्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट मैदान से स्टेशन जाने वाली सड़क पर पिछले काफी समय से बड़े- बड़े गड्ढे बन गए हैं। रेलवे की यह सबसे व्यस्त सड़क है, जहां से हर दिन हजारों लोग आते-जाते हैं। विशेष कर इसी मार्ग पर दो स्कूल, खेल मैदान और बुधवारी बाजार होने की वजह से हर दिन यहां हजारों लोगों की आवाजाही है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाने से इस सड़क पर से गुजरना कठिन सिद्ध हो रहा था।
अपेक्षा तो यह की जा रही थी कि रेलवे सड़क की मरम्मत शीघ्र करें।
लेकिन रेलवे अपने अधिकारियों के घर के आसपास की सड़कों को छोड़कर अन्य सड़कों को लेकर हमेशा से ही उपेक्षा का भाव रखता है। खासकर रेलवे बुधवारी बाजार को लेकर उसकी सोच जगजाहिर है । इसलिए ना तो इस बाजार के आसपास की स्थिति सुधारने की कोई कोशिश रेलवे द्वारा होती है। और ना ही सड़क की मरम्मत की जाती है। शायद रेलवे को यह लगता है कि उनकी जिम्मेदारी केवल रेलवे अधिकारी और कर्मचारियों के प्रति ही है। बुधवारी बाजार हो या फिर आम सड़क, यहां से अन्य लोग भी गुजरते हैं, उस पर खर्च करना रेलवे को फिजूल खर्ची लगता होगा। रेलवे के अधिकारी शायद यह भूल जाते हैं कि रेलवे भी भारत सरकार का ही अंग है, और बुधवारी बाजार से गुजरने वाली सड़क भी कोई बांग्लादेश से गुजरने वाली सड़क नहीं है, यह भी इसी देश की सड़क है। जिसकी देखभाल व मरम्मत की जिम्मेदारी स्वयं की बनती है
इधर हर वर्ष रेलवे नॉर्थ ईस्ट इंस्टिट्यूट मैदान में दशहरा का बड़ा उत्सव होता है। इससे पहले यहां बंगाली स्कूल में दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसलिए हर वर्ष दशहरा के पहले इस सड़क की अनिवार्य रूप से मरम्मत की जाती रही है। इस वर्ष भी बरसात के बाद बुधवारी बाजार मुख्य मार्ग पर बने गड्ढो में गिट्टी और सीमेंट रेत का मिक्चर भरा गया था। उम्मीद की जा रही थी कि एक-दो दिनों में उस पर डामरीकरण भी कर दिया जाएगा। त्यौहार बीत गया लेकिन यह नहीं हो पाया। लोगों ने गिट्टी और धूल के बीच ही दशहरा, दुर्गा पूजा उत्सव मनाया। इस लापरवाही के कारण एक तरफ जहां सड़क पर चारों तरफ गिट्टी ही गिट्टी बिखरे पड़े हैं तो वही इस मिक्सचर से उठने वाला धूल राहगीरों के साथ यहां के दुकानदारों को भी बहुत परेशान कर रहा है। लोग कह रहे हैं कि इससे तो गड्ढे ही भले थे। यहां सड़क पर और आसपास के दुकानदार वर्तमान में सड़क से उठ रहे धूल से काफी परेशान है। रेलवे हर महीने उनसे किराए के नाम पर मोटी रकम तो लेता है। लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं देता । दुकानदार जानते हैं कि अगर उन्होंने इस मामले में भी शिकायत की तो उल्टे उन्ही पर गाज गिरेगी। क्योंकि रेलवे यहां किसी तानाशाह की तरह व्यवहार करने से हिचकता नहीं है।
भर्राशाही यह है कि रेलवे अपने क्षेत्र में ना तो खुद सड़क बनाने को तैयार है और ना ही नगर निगम को ही सड़क बनाने या मरम्मत करने देता है। इसका खामियाजा आम लोग उठा रहे हैं। पिछले करीब एक महीने से यहां सड़क पर गिट्टी और सीमेंट डालकर छोड़ दिया गया है। जिसके चलते आने जाने वाले लोग और दुकानदार परेशान हो रहे हैं। खास बात है कि इसी सड़क से लोग रेलवे स्टेशन भी जाते हैं।, तो वहीं स्कूली बच्चों को भी यहीं से जाना पड़ता है, जिनमे से अधिकांश रेलवे कर्मचारियों के ही बच्चे होते हैं। बुधवारी बाजार के अधिकांश ग्राहक भी रेलवे कर्मचारी ही है। तब भी रेलवे की उपेक्षा समझ से परे हैं । इसे रेलवे के अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही एवं हठधर्मिता ना कहे तो और क्या कहें।, कि उन्हें आम लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। उनकी प्राथमिकताओं में तो केवल अधिकारियों के बंगले और उनके घर के सामने की सड़क को चमकाने भर की है। जिसमें फिलहाल वे कामयाब है। तो फिर आम लोगों की फिक्र क्यों की जाए।