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तिरछी नजर 👀 : मुख्य अतिथि गायब…. ✒️✒️

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टिकट के दावेदार रहे एक युवा नेता ने राजधानी के बड़े दशहरा उत्सव के आयोजकों को मुश्किल में डाल दिया है। युवा नेता ने दशहरा उत्सव का पूरा खर्च उठाने का भरोसा दिलाया था और तैयारी में जुटने के लिए कह दिया। इसके बाद आयोजकों ने युवा नेता को मुख्य अतिथि बना दिया।

कुछ दिन पहले युवा नेता की जगह पार्टी ने किसी और को प्रत्याशी बना दिया। फिर क्या था, युवा नेता ने मोबाइल उठाना बंद कर दिया और शहर छोड़कर दूसरी जगह प्रचार करने निकल गए। अब दशहरा उत्सव में दो दिन रह गए और बेचैन आयोजक नये मुख्य अतिथि की खोज कर रहे हैं, जो कि उनका खर्चा उठा सके। अभी एक प्रत्याशी ने आश्वासन दिया है। फिर भी आयोजक निश्चिन्त नहीं हो पा रहे हैं।

चुनाव संचालन का जिम्मा कंपनियों को..

भाजपा की लगभग सीटें घोषित हो गयी है। चुनाव अभियान में तेजी आ गयी है। राष्ट्रीय नेता और आरएसएस की टीम घर-घर जनसंपर्क कर रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस पर हमले तेज हो गये है। यानि चुनाव की तैयारियों की तमाम रणनीतियां तय हो गयी है लेकिन भाजपा के प्रदेश स्तरीय चुनाव अभियान समिति की घोषणा नहीं हुई है। प्रमुख विपक्षी दल होने के कारण भाजपा को सबसे पहले चुनाव अभियान समिति की घोषणा कर रणनीति तैयार करना था लेकिन यह बीते दिनों की बात हो गयी है। पहले चुनाव प्रबंधन स्थानीय नेता देखते थे अब यह काम बम्बई और दिल्ली की कंपनियां कर रही है। चुनाव मैनेजमेंट करने वाली कंपनियां ही तमाम रणनीति तय कर रही है और नेताओं को कार्यक्रम देकर हवा का रुख को पलट देने का दावा कर रहे हैं।कार्यकर्ताओं और जुझारू लोगों की जरुरत खत्म हो रही है। समर्पण के साथ चुनावी रणनीति बनाने वाले ठगे महसूस कर रहे हैं। प्रबंधन का काम करने वाली कंपनियों ने यह काम छिन ली है। भाजपा दफ्तर में बैठे पुराने और दिग्गज नेताओं के हाथ बंधे हुए है। सब चीज दिल्ली की कंपनियां कर रही है। पहले यह तय हुआ था कि भाजपा के एक दिग्गज नेता को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाकर जिम्मेदारी दी जायेगी लेकिन मामला ठंडे बस्ते में पड़ा।

कांग्रेस में शांति, भाजपाई परेशान

कांग्रेस के टिकट वितरण के बाद जिस तरीके से सिर्फ फुटौव्वल और बगावत हर चुनाव में होता है। वह इस बार नहीं दिख रहा है। इससे कांग्रेसियों ने राहत की सांस ली है और भाजपाई परेशान है। आगामी दिनों सरकार आने की संभावना को देखते बागी भी शांत हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ के प्रभारी सुश्री सैलजा ने कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं को उनके क्षेत्र तक सीमित कर टिकिट बांटने के अधिकार दे दिये है। इससे सबसे ज्यादा फायदा डिप्टी सीएम टीएस बाबा का हुआ। अपने क्षेत्र में एक बार फिर दबदबा हासिल हो गया। टिकिट वितरण के बाद बाबा चुनाव जीताने के रणनीति में भी जुट गये है। विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत कोरबा लोकसभा क्षेत्र में मनमाफिक टिकिट बांटने के बाद जितने के रणनीति के लिए चांपा-जांजगीर इलाके में सक्रिय है। विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव को देखते हुए महंत क्षेत्र में काम कर रहे हैं। सभी नेताओं को टारगेट भी दे दिया गया है।

बिलासपुर में नुकसान का डर

बिलासपुर संभाग में पिछले बार भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी। जोगी कांग्रेस ने भाजपा को सफलता दिलाने में बड़ी भूमिका निभायी थी। इस बार जोगी कांग्रेस का इस क्षेत्र में प्रभाव बेहद कमजोर दिख रहा है। परंपरागत सीट कोटा व मरवाही भी जोगी कांग्रेस के हाथ से निकलकर किसके पास जाएगी यह देखने लायक रहेगा। बिलासपुर संभाग में हुए टिकिट वितरण से कांग्रेसी भी ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस के परंपरागत इलाके में कांग्रेस को ही असंतुष्ट कांग्रेसियों से चुनौती मिल रही है। भाजपा एक बार फिर अपनी खोयी हुई सीट पाने में जोरदार कवायद में लगी हुई है। भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टी में असंतुष्ट लोगों की फौज है परंतु इस इलाके में बसपा सहित अन्य छोटे दलों की भूमिका निर्णायक हो सकते हैं।

डीए लेने में पिछड़े आला अफसर

चुनाव और क्रिकेट का बुखार इन दिनों चारो तरफ चढ़ा हुआ है।राजनीतिज्ञ सत्ता वापसी के लिए सारे जोड़ तोड़ में लगे हैं। इससे बेफिक्र होकर क्रिकेट प्रेमी क्रिकेट प्रेमी रोहित शर्मा व विराट कोहली का शानदार प्रदर्शन देख रहे हैं। सरकारी अधिकारी व कर्मचारी अपने अच्छी पोस्टिंग और मिलने वाले डी.ए.समेत अन्य सुविधाओं देनी वाली सरकार खोजने में लगे हैं । समीकरण भांपने में माहिर अधिकारी जनता की नब्ज टटोलने में लगें है। प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस डीए यानी महंगाई भत्ते के मामले में राज्य कर्मचारियों से भी पीछे चल रहे हैं। यानी जो अफसर राज्य के अफसरों -कर्मियों के डीए का फैसला करते हैं वे अपने डीए के बारे में ही सरकार के सामने बात नहीं रख पाए। राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य कर्मचारियों के दबाव में उनका डीए बढ़ाया था। लेकिन अखिल भारतीय सेवा के डीए में बढ़ोतरी नहीं की। पहले केन्द्र में डीए बढते ही उनका भी डीए यहां बढ़ जाता था, लेकिन पहली बार वे डीए के मामले में राज्य कर्मियों से पीछे हो गए । हाल ही में केन्द्र सरकार ने डीए में 4 फीसदी की और बढ़ोतरी कर दी, इस तरह अब वे केन्द्र से 8 फीसदी पीछे चल रहे हैं। कई अफसर इस बात से दुखी हैं कि आईएएस आईपीएस और आईएफएस अफसरों के एसोसिएशन भी सरकार पर इसके लिए दबाव नहीं बना पा रहे हैं। जिनकी ऊपरी कमाई है उन्हें भले ही डीए की परवाह नहीं है। चुनाव में किस पार्टी की सरकार बन सकती है। –

कवर्धा के बदलते समीकरण.

कवर्धा जिले की दो विधानसभा क्षेत्र पंडरिया और कवर्धा पर सबकी नजर लगी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का गृह क्षेत्र में भाजपा की अग्नि परीक्षा होनी है। कई राजनीतिक समीकरण बदलने की अटकलें है। कवर्धा में दिग्गज कांग्रेसी नेता मो.अकबर और भाजपा के जुझारू विजय शर्मा के बीच मुकाबला रोचक होता जा रहा है। अकबर की रणनीति के आगे भाजपा व संघ टिक पाती है या नहीं , यह देखना है। इसी तरह डॉ.रमन सिंह की भांजी भावना बोहरा को पंडरिया से टिकट मिलने के बाद यह सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गयी है। भारी संसाधन और राजनीतिक पकड़ से लड़ी जा रही पंडरिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नीलू चंद्रवंशी के पक्ष में सामाजिक समीकरण तेजी से तैयार हो रहे हैं। इससे किसको कितने क्षेत्र में नुकसान होता है इस पर बाजार में सटोरियों की निगाह लग गयी है। वैसे तो हाई प्रोफाईल कई सीटों पर अगले सप्ताह से सटोरियों की नजर दौडऩे लगेंगे और बाजार खुल जाएगा।

एक और कका-भतीजा…

छत्तीसगढ़ में इस बार परिवाद की हवा कुछ ज्यादा ही बह रही है। कई सीटों में परिवार के सदस्य ही आमने सामने हैं। पाटन विधानसभा क्षेत्र में कका व भतीजे भूपेश बघेल व विजय बघेल के बीच मुकाबला है । इसी तरह अकलतरा में भी बैरिस्टर छेदी लाल परिवार के सदस्य भाजपा के सौरभ सिंह व कांग्रेस के राघवेन्द्र सिंह, यानि चाचा-भतीजे भी आमने सामने हैं। इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में भी इसी तरह रिश्तेदार आमने सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

सीट बदलने से रिस्क जोन से बाहर

तीसरी बार सीट बदलने वाले युवा नेता सतनामी समाज के राज महंत रूद्र गुरु की किस्मत ने एक बार और साथ दे दिया नवागढ़ विधानसभा सीट मैं बाहरी का विद्रोह ठंडा पड़ गया भाजपा प्रत्याशी दयाल दास बघेल अपने घर में ही अपनी पार्टी से गिर गए हैं क्षेत्र बदलने वाले हुए एकमात्र मंत्री और विधायक के रिस्क जोन में जाने का डर पार्टी को लग रहा था समीकरण को अपने पक्ष में बना लिया है सतनामी समाज में प्रभाव को देखते हुए दिया गया था कांग्रेस के वोट बैंक अनुसूचित जाति में काफी प्रभाव रखने वाले रुद्रा को नवागढ़ की जनता हाथों हाथ ले रही है वैसे पूरे बेमेतरा जिला में कांग्रेस आगे निकलते दिख रही है

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