*NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) और हिंदी शिक्षण पर कार्यशाला*
बिलासपुर/यु मुरली राव -बच्चों के वर्तनी संबंधी अशुद्धियों में नंबरिंग किस प्रकार दिया जाए उस कार्य में हम हमेशा संशय की स्थिति में रहते थे कि हमने बच्चों की समझ को ध्यान देकर मात्राओं को ध्यान नहीं दिया और उनकी अगर ज्यादा गलतियां हो तो आधा नंबर ही काट दिया करती थी कहीं हम गलत तो नहीं थे क्योंकि सभी हमें यही राय दिया करते थे कि हम हिंदी टीचर हैं और हमें मात्राओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
उक्त बाते रायपुर में आयोजित कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ पी के जैन , पूर्व सदस्य , एन सी आर टी नई दिल्ली ने कही । आपकी उपस्थिति हिंदी विषय के शिक्षकों के लिए ऊर्जा का काम की शिक्षकों को नई नई जानकारियां प्राप्त हुई ।
शिक्षक ने अपने विचार में कहा कि मैं बच्चों की समझ पर नंबर दे दिया करती थी परंतु कल की कार्यशाला में मेरी शंका का अपने बखूबी समाधान किया कि हमें हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हिंदी की समझ को पहले प्राथमिकता देना उचित होगा।
दूसरा उच्चारण संबंधी समस्या का जो आपने आसान तरीका बताया अगर सभी प्राथमिक शाला में टीचर इसका उपयोग करना शुरू कर दे तो उच्चारण संबंधी समस्या का पूर्ण रूप से समाधान निकल आएगा।
डिजिटल तरीके से बच्चों को होमवर्क कार्य देकर नई शिक्षा नीति के नियमों का पालन
पांचवी कक्षा से प्रारंभ करना।
विज्ञापन लेखन ,संवाद लेखन NEP संबंधित सारी ज्ञानवर्धक जानकारियां देकर किया गया ।
कार्यशाला बहुत से स्कूलों के शिक्षकों की आपसी मित्रवत जान पहचान हुई और सभी शिक्षक आपस में मिलकर उनके स्कूल से संबंधित कार्यविधियों की जानकारियां मिली। शारदा पब्लिक स्कूल की श्रीमती मीना मैम, के पी एस पुलगांव की विभूति मिश्रा मैम , संध्या जी , मोदक जी ,स्वाति जी , करुणा जी , प्रतीश जी आदि का सहयोग प्रशंसनीय रहा ।