
बिलासपुर एयरपोर्ट की जनहित याचिका में जमीन हस्तांतरण के मामले में केंद्र सरकार ने लिया यू-टर्न
प्रकरण की अगली सुनवाई उच्च न्यायालय में 3 नवंबर को
– सुरेश सिंह बैस
बिलासपुर। बिलासा देवी एयरपोर्ट की जनहित याचिका में जमीन हस्तांतरण के मामले केंद्र सरकार ने यू टर्न ले लिया है। विस्तृत समाचार यह है कि बिलासपुर स्थित उच्च न्यायालय में माननीय न्यायाधीश गौतम भादुड़ी एवं न्यायाधीश दीपक तिवारी की खंडपीठ में बिलासा देवी एयरपोर्ट के उन्नयन के संबंध में पत्रकार कमल कुमार दुबे एवं उच्च न्यायालय प्रैक्टिसिंग बार की तरफ से दायर जनहित याचिका लगाई गई थी।

जिसमे सुनवाई के दौरान पिछले आदेश के तारतम्य में केंद्र सरकार रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से डिप्टी सोलोसिटर जनरल ने एक हलफ़नामा उच्च न्यायालय में पेश किया एवं ये बताया कि 1014 एकड़ ज़मीन जो बिलासपुर एयरपोर्ट के लिए वापस हस्तांतरण होनी है और राज्य शासन की तरफ़ से ज़मीन के वापसी को लेकर रुपये 93 करोड़ केंद्र सरकार को प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन चूँकि ये ज़मीन 2015-16 के समय अदान प्रदान की गई थी। और केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को ज़मीन के अलॉटमेंट के बदले जिस राशि का भुगतान किया था ।उसका आज की रेट के अनुसार रकम वापस मिलने चाहिए ।और इस पर केंद्र शासन के रक्षा मंत्रालय की कैबिनेट मीटिंग के पश्चात फ़ैसला लिया जाना लंबित है। लेकिन केंद्र सरकार की तरफ़ ये भी बताया गया कि 270 एकड़ की ज़मीन जिसका की एयरपोर्ट की विस्तारीकरण के लिए फ़िलहाल अत्यंत आवश्यकता है। प्रस्तावित कार्य में काम चालू करने के निर्देश दिये जाने के लिए केंद्र सरकार तैयार है लेकिन अगर राज्य शासन उसके लिए अलग से एक नया आवेदन प्रस्तुत करता है तो तत्कालीक रूप से 270 एकड़ की भूमि केंद्र सरकार, राज्य सरकार को ज़मीन हस्तांतरण कर सकती है। बाक़ी शेष भूमि के लिए केंद्र सरकार अपने कैबिनेट मीटिंग के पश्चात कोई निर्णय ले पाएगी। इस पर राज्य सरकार की तरफ़ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के द्वारा यह बताया गया की उनके द्वारा पहले ही आवेदन केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया जा चुका है ।और केंद्र सरकार को राज्य सरकार के द्वारा संपूर्ण राशि रुपए 93 करोड़ भी ट्रांसफर की जा चुकी है। उनकी तरफ़ से कोई भी कार्रवाई शेष नहीं है। और आज केंद्र सरकार के द्वारा ज़मीन हस्तांतरण के संबंध में नवीन शर्तों का समावेश करना, न्यायालय के समक्ष उनके पिछले जवाब एवं हलफ़नामे तथा आदेश के
विरुद्ध है।
इस पर माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात आदेश दिया कि दोनों केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के सचिवों को एक साथ बैठकर इस विवाद को निराकरण करना चाहिए। क्योंकि वायुसेवा एवं एयरपोर्ट आम जनता लिए तैयार किया जा रहा है। और ये याचिका प्रतिद्वंदी याचिका न हो कर एक जनहित याचिका है। इसलिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार दोनों को इस विवाद का निराकरण करना चाहिए।
उच्च न्यायालय में सभी पक्षकारों ने यह भी बताया कि बिलासपुर से दिल्ली लिए सीधी वायु सेवा पिछले कुछ दिनों से ट्रायल पर चल रही थी। और ट्रायल बहुत कुछ सफल भी रहा है इस पर उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, एएआई अलायन्स एयर को इस सीधी वायु सेवा को निरंतर रखने के लिए प्रयास करने लिए कहा है और साथ ही बिलासपुर से कोलकाता और दूसरे मेट्रो सिटीज़ के लिए भी निरंतर सीधी वायु सेवा प्रदान की जानी चाहिए। जिस पर अलायन्स एयर की तरफ़ से ये बताया गया कि शीघ्र ही बिलासपुर से दिल्ली के लिए विंटर शेड्यूल के तहत सीधी वायु सेवा चालू होने जा रही है। और बिलासपुर से कोलकाता के लिए भी सीधी वायु सेवा चालू हो रही है।जिसके लिए केंद्र सरकार एएआई अलायन्स एयर प्रयासरत है।
उच्च न्यायालय ने बिलासपुर से भोपाल एवं बिलासपुर से इन्दौर की वायु सेवा जो ग़लत तरीके से बंद कर दी गई थी। उसमें भी एएआई और डीजीसीए को उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए हैं। एवं उन्हें ये भी हलफ़नामा पेश करने के लिए निर्देश देते हुए यह पूछा है कि वो किस पालिसी के तहत बिलासा एयरपोर्ट की उड़ान, स्कीम 05 से बाहर कर दिया है?
उच्च न्यायालय ने बाक़ी सभी निर्माण कार्य जैसे की नाईट लैंडिंग की फैसिलिटी, बाउंड्री वॉल का निर्माण, एप्रोच रोड आदि सभी कार्यों को जल्द से जल्द पूर्ण करने के लिए आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने प्रकरण को तीन हफ़्ते के बाद फिर से उच्च न्यायालय ने प्रकरण को तीन हफ़्ते के बाद फिर से सुनवाई लिए 3 नवंबर की तारीख निश्चित की है। प्रकरण में याचिकाकर्ता की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव एवं अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने पैरवी की एवं राज्य शासन की तरफ़ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा एवं केंद्र सरकार की तरफ़ से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकान्त मिश्रा ने पैरवी की। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को प्रोग्रेस रिपोर्ट आगामी तिथि तक प्रस्तुत करने के लिए आदेश दिये है एवं प्रकरण की आगामी सुनवाई 3 नवम्बर 2023 को निर्धारित की है।
