बिलासपुर

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्राओं के छात्रावास में – गंदे पानी व कीड़े युक्त भोजन मिलने पर मचे हंगामे के बाद आखिरकार कुलपति ने तत्काल कड़ी कार्रवाई की

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गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्राओं के छात्रावास में –
गंदे पानी व कीड़े युक्त भोजन मिलने पर मचे हंगामे के बाद आखिरकार कुलपति ने तत्काल कड़ी कार्रवाई की

बिलासपुर/सुरेश सिंह बैस -बिलासपुर। केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्राओं के हॉस्टल में गंदे पानी एवं कीड़े युक्त भोजन भरोसे जाने के बाद छात्राओं ने विश्वविद्यालय के प्रबंधन खिलाफ मोर्चा खोला। इसके परिणाम में आखिरकार कुलपति को सामने आना पड़ा और तत्काल आवश्यक कार्रवाई किए जाने का उन्होंने निर्देश दिया है। ज्ञातव्य हो केंद्रीय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाली छात्राओं ने जिस बात की आशंका जाहिर की थी, आखिरकार वह सच साबित हुई। मेस में गंदे पानी से भोजन बनाने और खाने में कीड़े मकोड़े परोसने की वजह सेंट्रल यूनिवर्सिटी की छात्राएं फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गई। पिछले दो दिनों से छात्राओं का इलाज चल रहा है। कुछ छात्राओं को सिम्स भी जाना पड़ा है।, तो वहीं कुछ छात्राओं की ज्यादा तबीयत खराब होने के कारण हॉस्टल में ही मेडिकल कैंप लगाकर छात्राओं का इलाज करना पड़ रहा है।
विदित हो कि पिछले पंद्रह दिनों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी के बिलासा देवी और मिनीमाता गर्ल्स हॉस्टल में वाटर प्यूरीफायर खराब था। और वॉटर प्यूरीफायर तत्काल सुधारने के बजाय गंदे टंकी के पानी से ही भोजन तैयार किया जा रहा था। इस समस्या को लेकर छात्राओं ने बीटेक की शिक्षिका, हॉस्टल वार्डन को बार-बार शिकायत की, पर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।गत रविवार को छात्राओं ने मोर्चा खोलते हुए बताया था कि किस तरह से बदबूदार पानी से भोजन तैयार किया जाता है। और भोजन बनाने में भी सफाई नहीं रखी जाती है । जिससे भोजन परोसे जाने पर भोजन से कीड़े निकलते रहते हैं। इस घटना के बाद छात्राओं ने कुलपति के आवास का घेराव किया। उक्त घटना कुलपति के संज्ञान में आने के बाद उनके आदेश पर व्यवस्था बहाली की कोशिश तो हुई लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गंदे पानी की वजह से एक-एक कर छात्राओं की तबीयत बिगड़ने लगी, लेकिन आरोप है कि इसके बाद भी वार्डन उन्हें अस्पताल जाने से रोक रही थी। मजबूरन छात्राओं ने ही एंबुलेंस बुलाया, जिसमें पंद्रह से अधिक छात्राओं को बैठाया गया। वार्डन ने एंबुलेंस को भी अस्पताल ले जाने से रोक दिया। काफी जद्दोजहद के बाद सुबह छात्राएं सिम्स पहुंच पाई। जहां उनका इलाज किया गया।


छात्राओं ने जानकारी देते हुए बताया कि मेस के नाम पर उनसे प्रति महीना ₹3,350 लिया जाता है। जिस हॉस्टल की छात्राएं शिकायत कर रही हैं, वहां करीब 400 छात्राएं हैं। इस तरह से एक महीने में मेस का चार्ज तेरह लाख 40,000 रुपया बैठता है। लेकिन यहां तय मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता। परिसर व रूम सहित किचन की साफ सफाई पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया जाता है। उस पर ऊपर से तुर्रा यह है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन हालत सुधारने की बजाय मामले को छुपाने में अपनी पूरी ताकत जाया कर रहा है। विश्वविद्यालय के चिकित्सक तो छात्राओं के बीमार होने और फूड प्वाइजनिंग की बात से ही इनकार कर रहे हैं। कभी यूनिवर्सिटी में मारपीट हो रही है, कभी छात्राएं गंदा खाना खाकर बीमार पड़ रही है, ऐसे में नेक की टीम भी जहां ग्रेडिंग के लिए आने वाली है, जिससे सेंट्रल यूनिवर्सिटी की परेशानी बढ़ती दिख रही है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए आखिरकार बुधवार को कुलपति प्रो आलोक कुमार चक्रवाल ने हॉस्टल का औचक निरीक्षण किया ।‌ निरीक्षण के दौरान छात्राओं से उनकी समस्याओं को उन्होंने सुना और साफ-साफ कहा कि बेटियों के बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर कोई भी समझौता नहीं होगा। उन्होंने छात्राओं के स्वास्थ्य व अन्य समस्याओं की बारीकी से जानकारी ली, और शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। छात्रावास में उन्होंने शीघ्र ही व्यवस्था सुव्यवस्थित और साफ सफाई के साथ संचालित करने के लिए कड़े आदेश दिए हैं। निरीक्षण के दौरान उन्होंने मेस में जाकर नाश्ते एवं भोजन का निरीक्षण एवं यांत्रिकी विभाग, भंडार शाखा, का भी निरीक्षण किया। उन्होंने इसके बाद जिम्मेदार कर्मचारियों को‌ एवं हॉस्टल वार्डन को आवश्यक निर्देश दिया है। निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्राओं के स्वास्थ्यगत परेशानियों के लिए तत्काल मेडिकल सुविधाएं दिए जाने की पहल शुरू कर दी है।

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