सीपत

40 घंटे तक तड़पती रही गर्भवती गाय । समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हुई मौत*

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*40 घंटे तक तड़पती रही गर्भवती गाय । समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हुई मौत*

*जिला पशु चिकित्साल में पदस्थ्य डॉ. पर लापरवाही बरतने का आरोप,मामले में जांच की मांग*

*सीपत (सतीश यादव ):–*
पेट में मृत बछड़े को लेकर प्रसव पीड़ा से 40 घंटे तक गाय तड़पती रही। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। गौपालक ने गाय की मौत पर जिला पशु चिकित्साल में पदस्थ्य डॉ. पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और मामले में जांच की मांग की है।

बता दें कि सीपत निवासी गोविंद शुक्ला की गर्भवती गाय को प्रसव पीड़ा हुई। इस दौरान गाय के बछड़े का दो पैर बाहर निकलकर रुक गया। दो घंटे तक चरवाहों और आसपास के अनुभवी ग्रामीणों की मदद से प्रसव कराने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली

। गाय की हालत बिगड़ते देख गोविंद ने शाम 5 बजे गांव में स्थित पशु चिकित्सालय में डॉक्टर से मुलाकात करने पहुंचा, तो देखा की अस्पताल में ताला लगा हुआ था। ग्रामीणों ने बताया कि पशु चिकित्सालय सुबह 7 से 11 बजे तक ही खुलता है। अन्य समय बंद रहता है।

प्रसव पीड़ा के दर्द से तड़पती गाय को राहत दिलाने पास के ग्राम जांजी के पशु चिकित्सा विभाग के फील्ड अधिकारी को घर बुलवाया गया। उन्होंने गाय के बछड़े का पैर को पकड़कर बाहर निकालने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। गाय की तकलीफ को देखते हुए दर्द का इंजेक्शन लगाकर राहत दिलाने का प्रयास की गई। तीन दिनों तक यही स्थिति रही और गाय ने इलाज

*दूसरे दिन हुआ डॉ. से संपर्क लेकिन आने में लगा दिए 5 घण्टे*

प्रसव पीड़ित गाय के इलाज के लिए दूसरे दिन सुबह सीपत के पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ. संजय राज से फोन के माध्यम से संपर्क हुआ पशु पालक गोविंद ने पूरे मामले की पूरी जानकारी दी और जल्दी घर आने का निवेदन किया, डॉ. संजय ने सूचना के घण्टो बाद दोपहर साढ़े बारह बजे पीड़ित गाय के इलाज के लिए घर पहुंचे तो देखा कि बछड़ा गाय के पेट के अंदर ही मर गया था, प्रसव कराने कोशिश की लेकिन सफलता नही मिली तब उन्होंने कहा की ऑपरेशन के माध्यम से ही गाय के पेट से मृत बच्चे को बाहर निकाला जा सकता है। और इसका ऑपरेशन बिलासपुर जिला चिकित्सालय में ही संभव है।

*पीड़ित गाय को लेकर बिलासपुर जिला अस्पताल पहुंचे लेकिन डॉ. बंजारे ने नही उठाया फोन*

पशु पालक गोविंद ने जिला पशु चिकित्सालय में पदस्थ्य डॉ. रामनाथ बंजारे से संपर्क करने के बाद गाय को पिकअप वाहन के माध्यम से गिरते पानी मे तिरपाल लगाकर बिलासपुर स्थित जिला पशु चिकित्सालय पहुंचे लेकिन वहां के डॉ. रामनाथ बंजारे अस्पताल में नही मिले, गोविंद का पूरा परिवार घण्टो डॉ. बंजारे को फोन लगाते रहे लेकिन डॉ. बंजारे ने फोन उठाना मुनासिब नही समझा अतः थक हारकर उसी अवस्था मे पीड़ित गाय को वापस सीपत ले आ गए तीसरे दिन सुबह 9 बजे गाय की मृत्य हो गई।

*पेट के अंदर बछड़ा मर चुका था. डॉ. संजय*

सीपत के पशु चिकित्सक प्रभारी डॉ. संजय राज ने कहा कि गाय की हालत बिगड़ने के बाद गौपालक ने मुझे जानकारी दी। मैंने जाकर जांच किया, तो गाय के पेट के अंदर उसका बछड़ा मर चुका था। इसलिए बेहतर इलाज के लिए मैंने बिलासपुर जिला पशु चिकित्सालय रेफर किया, क्योंकि ऑपरेशन के लिए संसाधन व्यवस्था सीपत के अस्पताल में नहीं है।

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