जशपुर सीट भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्या पूर्व मंत्री गणेश राम भगत लड़ेंगे चुनाव!
जशपुर।जशपुर सीट भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। यहाँ प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा को कई चैलेंज के दौर से गुजरना पड़ रहा है। यहां दावेदारों की लंबी फेहरिस्त के अलावे दावेदारों के बीच इतनी खींच तान मची हुई है कि पार्टी के आला नेताओं को फिलहाल कुछ सूझता हुआ नजर नहीं आ रहा है।
पार्टी सूत्रो के मुताबिक शुरू में जब पार्टी ने 63 प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगाया था उस सूची में जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनि भगत का नाम सबसे उपर था और उनका टिकट लगभग तय माना जा रहा था लेकिन जैसे ही इस बात की भनक लगी राजनीति तेज हो गयी । आपसी गुटबाजी सोशल मीडिया के जरिये सामने आने लगा। आखिर में यहां भाजपा क्व छग प्रभारी ओम माथुर सहित प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और सह प्रभारी नितिन नवीन को आना पड़ा । कोर कमेटी की बैठक हई और बैठक में जो कुछ हुआ उसका रिजल्ट आना बाकी है ।खबर है कि भाजपा जशपुर में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिए इस सीट को लेकर पार्टी के भीतर मंथन अभी भी जारी है। पार्टी के आला नेता पिछले चुनाव में भाजपा की हुई हार के कारणों को दुबारा दोहराना नहीं चाहते इसलिए प्रत्याशी चयन को लेकर काफी बारीकी से विमर्श किया जा रहा है ।आपको बता दें कि यहां से मुख्य रूप से 3 नामो की चर्चा है । पूर्व आजाक मंत्री व जनजातीय समूह के बड़े नेता गणेश राम भगत, जिला पंचायत अध्यक्ष रायमुनि भगत और जनपद अध्यक्ष शारदा प्रधान । इन्हीं 3 नामो को लेकर पार्टी ने सर्वे भी किया है और मंथन भी इन्हीं 3 नामो पर जारी है । बताया जा रहा है कि इन 3 नामो में पूर्व आजाक मंत्री गणेश राम भगत नाम पर मुहर लग सकता है । क्योंकि गणेश राम भगत भाजपा के सबसे सीनियर, कई बार के विधायक और मंत्री भी रहे हैं । इसके अलावे हिंदुत्व के एजेंडे पर काम करने वाले स्व दिलीप सिंह जूदेव के बाद दूसरे नेता हैं । जूदव क बाद दूसर नता ह । जनजातीय समाज में अच्छी पकड़ और पैठ होने के नाते इनके पीछे भीड़ काफी है और सबसे खाश बात यह कि डिलिस्टिंग जैसे मुद्दे की ये अगुवाई कर रहे है ।
2008 में हुए विधानसभा चुनाव में जशपुर से इनका टिकट काटकर इन्हें सीतापुर से टिकट दिया गया था । हांलाकि सीतापुर से इनकी हार हुई । 2013 में इन्होंने पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी से बगावत कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी इन्हें ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ 1 2018 में इन्हें फिर से टिकट नहीं मिली लेकिन इस बार इनका पलड़ा काफी भारी दिख रहा है । माना जा रहा है कि यहां के सिटिंग विधायक को मात देने के लिए गणेश राम भगत ही एक मात्र चेहरा है जिनके पास कार्यकर्ताओ की बड़ी फौज है और वह स्वयं एक बड़ा चेहरा हैं। कहा जा रहा है कि गणेश राम भगत को लेकर इस बार भाजपा का एक बड़ा खेमा भी एकजुट और एकमत है और पार्टी सर्वे में इन्हें जिताऊ प्रत्याशी के तौर पर देखा जा रहा है ।
इधर जनपद अध्यक्ष शारदा प्रधान भी सर्वे सूची में ठीक ठाक नम्बर पर हैं। पार्टी सर्वे के मुताबिक रजनी प्रधान भी बेहतर उम्मीदवार हो सकते है लेकिन वरिष्ठता , कार्यकर्ताओं की भारी भरकम सँख्या, और जनजातीय समाज मे जमीनी पकड़ होने के कारण पार्टी को लगता है गणेश राम भगत बेहतर प्रत्याशी हो सकते हैं।
हांलाकि यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी को किसी नए और नामचीन चेहरे की तलाश है और पार्टी नया चेहरा तलाश रही है इसलिए पूर्व विधायक जगेश्वर राम भगत के बेटे गंगाराम भगत और सरकारी नौकरी छोड़कर सैंकड़ो लोगों के साथ भाजपा प्रवेश करने वाला उरांव समाज के नेता उमेश प्रधान की भी चर्चा है लेकिन ये दोनो चेहरे नए तो हैं लेकिन नामचीन नहीं है ऐसे में पार्टी के सामने गणेश राम भगत ही एकमात्र विकल्प दिख रहे हैं ।
बहरहाल, राजनीति में बड़े फैसले आखिरी वक्त में लिए जाते है और आखिरी वक्त में पार्टी किसके नाम पर मुहर लगाती है यह तो पार्लियामेंट्री बोर्ड के नेता ही तय करेंगे।