सावन सोमवार और नाग पंचमी के दुर्लभ संयोग पर रतनपुर स्थित प्राचीन बूढ़ा महादेव मंदिर में उमड़े शिव भक्त: जलाभिषेक के लिए लगी लंबी कतार
बिलासपुर।.सुरेश सिंह बैस -रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के साथ ही यहां स्थित बूढ़ा महादेव मंदिर भी अति प्राचीन और विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल है। इस मंदिर के प्रति गहरी जन आस्था है। यही कारण है कि दूर दूर से शिव भक्त सावन के अंतिम सोमवार को यहां दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। वैसे तो सावन के पूरे महीने ही यहां शिव भक्तों के पहुंचने का क्रम जारी रहता है, लेकिन सभी सोमवार, विशेषकर सावन सोमवार को यहां शिव भक्तों का रेला उमड़ पड़ा और हर तरफ कांवड़ियों का मेला नजर आया।
शिव को प्रिय सावन महीने के सातवें सोमवार को शिव भक्तों का जत्था देशभर के शिवालयों के साथ-साथ बूढ़ा महादेव मंदिर में भी उमड़ पड़ा है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने कांवरिये रविवार शाम से ही पवित्र नदियों से जल लेकर बूढ़ा महादेव शिव मंदिर की ओर बढ़ चले थे। अंचल के सभी शिव मंदिरों में भक्तों का रेला लगा हुआ है।, विशेषकर धार्मिक नगरी रतनपुर स्थित बृधेश्वर महादेव के प्राचीन मंदिर में भक्तों की लंबी कतार तड़के से नजर आई । रतनपुर में राम टेकरी की तराई पर स्थित इस प्राचीन मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है जो अपने आप में कई गूढ़ रहस्यों को समेटे हुए हैं।
वैसे तो रतनपुर स्थित महामाया मंदिर, पंचमुखी मंदिर, कंठी देवल मंदिर में भी श्रद्धालु सावन के अंतिम सोमवार को पहुंच रहे हैं । लेकिन सर्वाधिक भीड़ बृद्धेश्वर महादेव मंदिर में नजर आ रही है। किवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापर युग में राजा वृद्ध सेन ने किया था, बृद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर और फिर धीरे-धीरे जन भाषा में बूढ़ा महादेव कहा जाने लगा । जनश्रुति है कि सन 1050 में राजा रत्न देव ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। यहां जटा रूप में विराजित शिवलिंग में जितना भी जल अभिषेक किया जाता है। वह जल कुंड में समाहित हो जाता है। मंदिर परिसर में ही एक जलकुंड भी मौजूद है। माना जाता है कि अभिषेक पश्चात जल सुरंगों से होते हुए उसी कुंड में पहुंच जाता है। मंदिर प्रवेश द्वार पर एक पाषाण नंदी विराजमान है, जिन का दर्शन और पूजन परम शुभकारी माना है।