धर्म की जय हो , अधर्म का नाश हो ।
प्राणियों में सद्भावना हो,विश्व का कल्याण हो ।।
गौ माता की जय हो,
गौ हत्या बंद हो, गौ वंश समृद्ध हो
*श्री शनिदेव मां महामाया बोल बम समिति , कवर्धा
*कांवरिया नर्मदा उद्गम अमरकंटक से जल लाकर करेंगे कवर्धा में स्वयंभू पंचमुखी बूढ़ा महादेव का जलाभिषेक*
भगवान अवघड़दानी शिवशंकर की पवित्र आराधना का पुनीत पावन महीना श्रावण मास में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी *श्री शनिदेव मां महामाया बोल बम कांवरिया समिति कवर्धा* शहर से दिनांक 18-08-2023दिन शुक्रवार को अमरकंटक , मध्यप्रदेश के लिए प्रस्थान करेगी।
शिवशंकर के भक्तगण सदा अपने प्रभु के शरणागत रहकर प्रथम दिवस दिनांक :- 19-08-2023 दिन :- शनिवार को अमरकंटक के करीब स्थित श्री *जालेश्वर महादेव* तक पदयात्रा कर जलाभिषेक करेंगे ।
मां नर्मदा की गोद मे भगवान श्री सत्यनारायण कथा पश्चात कांवर में नर्मदा उद्गम अमरकंटक से जल भर कर काँवरि पूजन एवम समस्त कांवरियों को धर्म निष्ठा पूर्वक सदाचरण का व्यवहार करते हुए कवर्धा पंचमुखी बूढा महादेव में जलाभिषेक करने का संक्लप होगा । तृतीय दिवस दिनांक:- 20-08-2023 दिन :- रविवार को समस्त कांवरिये एक साथ अपना अपना कांवर कंधे पर लेकर अमरकंटक से मां नर्मदे की जय जयकारा लगाते हर नर्मदे,नर्मदे हर,बोल बम बम बोल,हर हर बम बम,सीताराम सीताराम भजनआदि ऊंचे ऊंचे स्वर में गाते हुए घनघोर जंगलों के ऊंचे नीचे पहाड़ों के बेहद ही कठिनतम कंटीले पथरीले रास्तो को पार करते हुए खारीडीह विश्राम स्थल पहुंचेंगे । चतुर्थ दिवस दिनांक 21-08-2023 दिन सोमवार की यात्रा काल का आरम्भ दैनिक क्रिया सम्पन्न करने के बाद पैदल नङ्गे पांव चलते चलते पंडरीपानी मध्यप्रदेश पश्चात , पंचम दिवस दिनांक 22-08-2023 दिन:- मंगलवार को कुकदूर छत्तीसगढ़ ,षष्ठम दिवस दिनांक :- 23-08-2023,दिन:- बुधवार खडोदा कला छत्तीसगढ़ में रात्रि विश्राम रहेगा ।
इस कांवर पदयात्रा के अंतिम दिवस *दिनांक :-24-08-2023 दिन:- गुरुवार को कवर्धा श्री पंचमुखी बूढा महादेव में पूण्य सलिला , जगत जननी मा नर्मदा जल से अभिषेक पश्चात यात्रा सम्पन्न करेंगे ।*
वर्षों से जलाभिषेक की पावन परंपरा रही है। श्री रामचरित मानस में भगवान श्री रामचन्द्र जी ने भी अपने हृदयांगम रहने वाले ईष्ट भगवान औघड़दानी शंकर के जलाभिषेक करके अपनी मनोवांछित फल प्राप्त किये थे ।
मनोकामना की पूर्ण प्राप्ति हेतु अत्यंत सामान्य भाव पूर्वक भगवान शिव शंकर के आराधना करते रहना चाहिए ।
यहां इस काँवरि यात्रारम्भ के प्रणेता का स्मरण सहज रूप से आ ही जाता है ।
इसकी शुरुआत कबीरधाम जिले की कवर्धा शहर से मां काली शंकर के महान उपासक,गौसेवक, गौवंश रक्षक, गौलोकवासी *राजपुरोहित पण्डित अर्जुन प्रसाद शर्मा जी को प्रथम कांवरिया पदयात्री* बनने का सौभाग्य मिला ।
इनके भगीरथ प्रयास से 05 सदस्यी समूह ने घनघोर,बीहड़ जंगल मे, सतपुड़ा मैकल की ऊंचे ऊंचे शिखरों को चीरकर निकली, कलयुग में शिव शम्भू से साक्षात्कार कराने वाली पाप नाशिनी , मोक्षदायिनी मां नर्मदा उद्गम अमरकंटक से कांवर लोटा में जल भरकर नङ्गे पांव पदयात्रा करते हुए कवर्धा शहर के मध्य अत्यंत ही प्राचीन शिव मंदिर बूढा महादेव में जलाभिषेक कर आरम्भ किये थे ।
जो की आज कवर्धा शहर या कबीरधाम जिला ही नही वरन सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में हजारों हजार की संख्या में हरेक गांव गलियों में दिखाई दे रहा है ।
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