वीरेन्द्र साहू रिपोर्टर/
तिल्दा नेवरा :-
अयोध्या के आचार्य नरेंद्र रामदास जी महाराज”शिवलिंग महासती चरित्र” कथा सुनाते हुए कहा की
सती देवी भगवान शिव की पत्नी थीं। उन्होंने अपने पिता के खिलाफ अपने पति के लिए सच्ची प्रेम और समर्पण की प्रतीक्षा की। लेकिन उनके पिता, दक्ष राजा, भगवान शिव के प्रति अत्याचारी थे और वे सती को उनकी अनुमति के बिना शिव जी के यज्ञ में शामिल होने नहीं देना चाहते थे। सती देवी ने इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया और उन्होंने अपने देह को धारण किया, जिससे उनके शरीर ने ज्वालामुखी में समाहित हो गया।
इसके बाद, भगवान शिव ने सती के पति के रूप में महाकाल रूप धारण किया और उन्होंने उनकी शव धारण की। यह भगवान शिव के तटस्थ साक्षी हुए कि उनकी पत्नी के प्रति उनका प्रेम अद्वितीय और अचल है। यही कारण है कि शिवलिंग पूजा में भगवान शिव की पत्नी सती के प्रतीक रूप में उन्हें स्मरण किया जाता है।यह कथा भक्ति, प्रेम और समर्पण के भाव को दर्शाती है
आचार्य नरेंद्र रामदास जी महाराज ने कहा की “शिवलिंग महासती चरित्र” एक प्रेरणादायक कथा है जो धार्मिक और नैतिक मूल्यों को समझाती है। इससे धैर्य, समर्पण, प्रेम, परिवार का महत्व और आत्मत्याग की महत्वपूर्ण सीख सकते हैं।
कथा सुनने के लिए प्रमुख रूप से सुभाष श्रीमती मंजू केशरवानी , ,रमेश केशरवानी ,उमेश राजू केशरवानी ,अमित श्रीमती स्वाति केशरवानी ,आशीष श्रीमती स्नेहा केशरवानी ,अविनाश श्रीमती पूजा केशरवानी, श्रीमती प्रियंका कैलाश केशरवानी, दशरथ लाल ,पूनमचंद ,विजय ,संजय ,मनीष ,अंकित ,सौर्य हर्ष ,धैर्य , ओम ,सवी ,कविश के साथ साथ हजारों की संख्या में महिला ,पुरुष और भक्तगण कथा का आंनद ले रहे है