रायपुर वॉच

चुनाव के चार महीना पहले क्यों हटा दिए गए मोहन मरकाम

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रायपुरः चुनाव सिर पर है और छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पार्टी के तेज तर्रार प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम को हटा दिया है। मोहन मरकाम का हटना सामान्य नही है। यूं तो पिछले करीब छह महीने से उन्हें हटाए जाने की चर्चा चल रही थी लेकिन मामला टलता रहा। आखिरकार बुधवार की शाम नई नियुक्ति के आदेश जारी हो गए।
नई नियुक्ति और मोहन मरकाम को हटाने से एक बात शीशे की तरह साफ हो गई है कि राज्य में सत्ता के साथ ही संगठन भी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारों से चलेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो संगठन को सत्ता से आंख मिलाने की इज़ाजत नही होगी। क्योंकि मोहन मरकाम को उसी की सजा मिली है।
गौरतलब हो कि पिछले करीब डेढ़ साल से पीसीसी चीफ मोहन मरकाम और राज्य के मुखिया भूपेश बघेल की नही बन रही थी। उनके बीच की तल्खी न केवल पार्टी की कई बैठकों मेें दिखाई दी थी बल्कि कई कार्यक्रमों में सार्वजनिक भी हुआ था। यहां तक की एआईसीसी के रायपुर अधिवेशन के समय भी दोनो के बीच की तल्खियां सामने आ गई थी।
और तो और छत्तीसगढ़ विधानसभा में पीसीसी अध्यक्ष रहते हुए मोहन मरकाम द्वारा अपनी की पार्टी की सरकार के खिलाफ भ्रष्ट्राचार के गंभीर आरोप लगाना पूरी पार्टी और सरकार को सकते में ला दिया था।
हाल में सीएम को विश्वास में लिए बगैर पीसीसी महामंत्रियों के प्रभार में बदलाब करना और प्रभारी कुमारी सैलजा द्वारा उसे निरस्त करने के निर्देश देने बाबजूद उन निर्देशों पर अमल नही करना मोहन मरकाम की पीसीसी चीफ के पद से विदाई को पक्का कर दिया था। और वो हो गया।
लेकिन इस बदलाब से एकबात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई है कि राज्य में सत्ता और संगठन में तालमेल जरूरी है। संगठन सत्ता से तालमेल कर चलेगा। संगठन से सत्ता नही चलेगी।
यानी 2023 का पूरा दारोमदार सीएम भूपेश बघेल पर रहेगा और वे सत्ता का नेतृत्व करते हुए संगठन को भी साधकर 2023 मेे विजयश्री के लिए पूरी टीम का नेतृत्व करेंगें।
मोहन मरकाम को इसबात के लिए बधाई मिलनी चाहिए कि वे सत्ता से रबर स्टाम्प अध्यक्ष के रूप में नही बल्कि एक दमदार अध्यक्ष के रूप में अपनी पारी खेलकर शहीद हो गए। उन्हें एक दमदार अध्यक्ष के रूप में याद किया जाएगा।

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