न्यायाधीश ने परिवार के महत्व को बताया, और 06 वर्षों का तनाव मिनटों में समाप्त
पिथौरा के न्यायालय में आयोजित लोक अदालत में 195 मामलों का हुआ निराकरण
पिथौरा/ स्वप्निल तिवारी -प्रेम विवाह के बाद पारिवारिक रिश्ते में इतनी ज्यादा दरारें बढ़ गई थी कि बाप और बेटे सहित परिवार के मध्य लड़ाई झगड़ा मारपीट तक की स्थिति उत्पन्न हो गई, 6 सालों तक मुकदमा चलने के बाद आखिरकार लोक अदालत में न्यायाधीश के द्वारा परिवार के महत्व बताया जाने के बाद परिवार में सुलह हो गया,और विवाद को मिनटों में समाप्त हो गया । यह एक सच्ची घटना है, पिथौरा न्यायालय के एक डांडिक प्रकरण में जहां पर प्रार्थी सुनील प्रधान ने परिवार से बाहर जाकर प्रेम विवाह कर लिया था इसी बात को लेकर के उसके पिता के साथ उसका विवाद हो गया और विवाद इतना बढ़ गया कि मारपीट तक की स्थिति निर्मित हो गई थी जमीन का भी विवाद शुरू हो गया लिहाजा समझौता की सारी गुंजाइश खत्म हो चुकी थी लेकिन आज नेशनल लोक अदालत में पिथौरा न्यायालय के पीठासीन अधिकारी श्री प्रतीक टेम्भूरकर ने दोनों पक्ष को बुलाकर परिवार के महत्व को बताया तथा समझाइश देते हुए विवाद को समाप्त करने की सलाह दी । जिस पर दोनों पक्ष राजी हो गए और विवाद को यहीं समाप्त करते 06 वर्षो से लंबित मामला मिनटों में सुलझ गया ।
बतादें की आज आयोजित लोक अदालत में 323 प्रकरण रखे गए थे, जिसमें 195 मामलों का निराकरण किया गया जहाँ पर जमीन विवाद से सम्बंधित एक मामला भी आया, जिसमे पड़ोसी कृषक के विरुद्ध मेड़ काट कर कब्जा करने व बोरवेल्स लगा लेने की बात को लेकर विगत 10 वर्षों से राजस्व न्यायालय में मामला चल रहा था विवाद अब पिथौरा की अदालत में दीवानी प्रकरण के रूप में तब्दील हो चुका था जिसमे न्यायाधीश ने पड़ोसी कृषकों को समझाइश देते हुए सुलह कर लेने हेतु कहे जाने पर दोनों पक्ष तैयार हो गए और मामले का पटाक्षेप मिनटों में हो गया ।
ज्ञात हो कि लोक अदालत आपसी सुलह या बातचीत की एक प्रणाली है । यह एक ऐसा मंच है जहां अदालत में लंबित मामलों (या विवाद) या जो मुकदमेबाजी से पहले के चरण में हैं, उन 2 पक्षों में समझौता किया जाता है या सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाया जाता है । सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार आज प्रदेश के सभी न्यायालयों सहित पिथौरा में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था ।