बिलासपुर।डी.पी. विप्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती अंजू शुक्ला का श्री तुलसी पीठ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पद पर मनोनयन किया गया है।इस पद पर उनका मनोनयन डॉ. स्वामी भगवदाचार्य अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री तुलसी जन्म भूमि न्यास एवं सनातन धर्म परिषद के द्वारा किया गया ।
डॉ. श्रीमती अंजू शुक्ला को इस पद पर मनोनीत किये जाने पर डॉ. स्वामी भगवदाचार्य ने कहा कि डॉ. अंजू शुक्ला के मार्गदर्शन में छ.ग. में तुलसी साहित्य का प्रचार प्रसार और प्रत्येक जिलों में तुलसी पीठ की स्थापना हो सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि आप जैसे विदुषी एवं रामभक्त के द्वारा ही यह संभव हो सकेगा। ज्ञात हो कि 19, 20 एवं 21 अप्रैल को तुलसी धाम श्री तुलसी जन्म भूमि राजापुर सुकरखेत, गोण्डा, (उ.प्र.) में आयोजित पंचम विश्व तुलसी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। 20 अप्रैल को डी.पी. विप्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अंजू शुक्ला को स्मृतिचिन्ह एवं प्रमाण पत्र से उनके साहित्यक एवं रामचरित मानस में महत्वपूर्ण योगदान के लिए विश्व तुलसी सम्मान प्रदान किया गया। उपरोक्त सम्मेलन में विश्व भर सेे आए साहित्यकारों ने रामचरित मानस के रचयिता तुलसी के साहित्य पर चर्चा भी की थी। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. (श्रीमती) अंजू शुक्ला ने तुलसीदास की पुस्तक रामचरित मानस अवधि भाषा में सोलहवीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रंथ है। इसकी रचना में दो वर्ष, सात माह, छब्बीस दिन का समय लगा था और इसे संवत् 1633 के मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में रामविवाह के दिन पूर्ण किया था। इस ग्रंथ को अवधि साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे तुलसी रामायण या तुलसीकृत रामायण भी कहा जाता है। रामचरित मानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामचरित के नायक राम है, जिनको एक मर्यादा पुरूषोŸाम के रूप में दर्शाया गया है। जो कि अखिल ब्रम्हाण्ड के स्वामी हरिनारायण भगवान के अवतार है। राम को एक आदर्श चरित के रूप में दर्शाया गया है। जो सम्पूर्ण मानव समाज को यह सिखाता है कि जीवन को किस प्रकार जिया जाए भले ही उसमें किसी भी प्रकार बाधा हो। तुलसी के राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम है। ज्ञात हो कि डॉ. शुक्ला छत्तीसगढ ही नहीं वरन भारतवर्ष के जाने माने समाजशास्त्री एवं साहित्य तथा रचनाकार के रूप में जानी जाती है।
डॉ. शुक्ला इंडियन सोसियोलॉजीकल सोसायटी के आजीवन सदस्य है तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी, कार्यशाला, सिम्पोजियम के लगभग 50 पेपर प्रकाशित हो चुके है। युग पुरूष स्वामी विवेकानंद, स्वामी शंकराचार्य, गंगा संरक्षण हमारी जिम्मेदारी तथा विधवा महिलाओं की समस्या, विधवाओं का संघर्ष, शिक्षा साहित्य एवं शोध, डॉ. रामनारायण शुक्ल पुस्तक प्रकाशित हो चुके हैं। उपरोक्त तुलसी पीठ छत्तीसगढ़ का अध्यक्ष मनोनीत किये जाने पर महाविद्यालय प्रशासन समिति के अध्यक्ष श्री अनुराग शुक्ला, वरिष्ठ दानदाता सदस्य श्री राजकुमार अग्रवाल जी, डॉ. मनीष तिवारी, प्रो. ए.श्रीराम आई.क्यू.ए.सी. प्रभारी, डॉ. एम.एस. तंबोली, डॉ. संजय तिवारी, डॉ. विवेक अंबलकर, डॉ. एम.एल. जायसवाल, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. सुषमा शर्मा, डॉ. आभा तिवारी, प्रो. किरण दुबे, प्रो. प्रो. जयंत राय, प्रो. विश्वास विक्टर, डॉ. ऋचा हाण्डा, डॉ. अजय यादव, श्री शैलेन्द्र तिवारी,, प्रो. निधीश चौबे, प्रो. प्रदीप जायसवाल, प्रो. प्राची तिवारी, प्रो. रूपेन्द्र कुमार, श्री अविनाश सेठी, श्री एस.आर. चंद्रवंशी, श्री लक्की यादव, श्री वीरेन्द्र साहू, श्री जित्तू ठाकुर, श्री गोविन्द सेठी, श्री शिवा गेंदले, श्री आशीष चतुर्वेदी, श्री चित्रकांत निरडवार, श्री परिवेश दीवान, श्री विकास सिंह, श्री उमेश साहू, श्री बृजेश बोले, श्री बलराम जायसवाल, श्री हिमेश साहू, श्री मनोज मेंसराम, श्री अरूण नथानी, श्री यश मिरानी, श्री सुरेन्द्र अहिरवार, श्री सचिन सूर्या, श्री सन सूर्या, श्री नीरज गोस्वामी, श्री विक्रान्त श्रीवास्तव, श्री प्रवीण देवांगन तथा श्री यजूर तिवारी ने बधाई दी है।