रायपुर वॉच

2 हजार करोड़ के शराब घोटाले से छत्तीसगढ़ शर्मसार : अरुण साव

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रायपुर । छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि मतदाताओं ने सोचा नही था कि शराबबंदी का वादा करने वाली कांग्रेस शराब से लूट के कीर्तिमान रचेगी। छत्तीसगढ़ आज शर्मसार है। कांग्रेस की सरकार ने जनता से शराबबंदी का वादा कर जनादेश लिया था। आज उस शराब में जिस तरह के घोटाले सामने आये हैं, ऐसा समूचे भारत में दो-चार ही उदाहरण हैं।

अरुण साव ने कहा ईडी ने कांग्रेस नेता और रायपुर के महापौर ऐजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर 2 हज़ार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले का खुलासा किया है। ईडी में अनुसार घोटाले के इस रकम में से अपना कमीशन रख कर अनवर ढेबर शेष राशि ‘पॉलिटिकल मास्टर’ को सुपुर्द कर दिया करता था। और उस राशि से ‘राजनीतिक गतिविधियां’ संचालित होती थी। इस खुलासे से जो तथ्य मिले हैं, वह हमें न केवल शर्मिंदा करता है बल्कि सोचने पर विवश करता है कि क्या कोई चुनी हुई सरकार इस बेदर्दी से अपने ही मतदाता को लूट सकती है, उसके भरोसे को भी तार तार कर सकती है।

उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि प्रदेश से लूटे गये रकम से भूपेश बघेल गांधी परिवार का प्यादा बन समूचे देश में कांग्रेस के चुनाव का खर्च वहन करते हैं, उनका एटीएम बने हैं। लगातार अनेक तरह के षड्यंत्र आदि इसी रकम से कर के देश का माहौल भी ख़राब किया जा रहा है। आप यह जान कर आश्चर्य करेंगे कि बड़ी संख्या में ऐसी कच्ची और देसी शराब प्रदेश भर के 800 दुकानों में खपाये गये हैं, जिसे वैध तरीक़े से भी बेचा नहीं जा सकता है। इस शराब से शासकीय खजाने को तो अरबों का चूना लगा ही, प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य और उसकी जान का भी सौदा किया गया।

कांग्रेस के खज़ाने में जमा की जा रही थी रक़म : साव
साव ने कहा आरोप के अनुसार फ़ैक्ट्री में शराब बना कर उसे सीधे दुकानों को बेचा जा रहा था और यह रक़म सीधे कांग्रेस के खज़ाने में जमा की जा रही थी। इस तमाम क़वायद का सबसे बड़ा प्यादा महापौर ऐजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर था, जो अपने ‘पॉलिटिकल मास्टर’ के लिए यह सारा धत्कर्म करता था। इससे पहले पड़े छापे में  मिले व्हाट्सएप चैट्स जो अलग-अलग कोर्ट में कांग्रेस सरकार के लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे में दाखिल किए गए हैं, वे भी इस घोटाले की सारी परतें उधेड़ कर रख देती है।

किसी भी अंडरवर्ल्ड सरग़ना से अधिक ख़तरनाक तरीक़े से कांग्रेस सरकार न केवल इस घोटाले को, बल्कि कोल, आयरन पैलेट्स, रेत, ट्रांसपोर्ट घोटाले आदि को अंजाम दे रही थी। छत्तीसगढ़ बदलने के नारे के साथ आयी इस सरकार ने पूरी सरकार को ‘अंडरवर्ल्ड’ के रूप में बदल दिया था। और इस तमाम घोटाले का असली लाभार्थी, असली मास्टरमाइंड और ‘पॉलीटिकल मास्टर’ कौन था, इसके बारे में अब कोई भी संदेह नहीं रह गया है। सबसे गंभीर बात ईडी के हलफनामे में यह है कि भूपेश सरकार में गई कानूनी तरीके से शराब की बिक्री कराई गई जो खराब क्वालिटी की थी, पता नहीं पैसा कमाने की हवा में इस शराब सिंडिकेट ने कितनी जान के साथ खिलवाड़ किया है? इस मामले में एक भोले-भाले आदिवासी नेता को इसलिए विभागीय मंत्री बना कर रखा गया ताकि वे ख़ामोश रहें और ‘पोलिटिकल मास्टर’ पूरा मलाई साफ करते रहें। इसकी जितनी निंदा की जाय, कम है।

1200 करोड़ रूपए की अवैध कमाई की गई
नकली होलोग्राम लगाकर घटिया शराब अधिक दाम में बेची गई, इससे 1200 करोड़ रूपए की अवैध कमाई की गई। यह बात भ्रष्टाचार से ज्यादा गंभीर है, जो सरकार जनता की जान की रक्षा करने के बजाय घटिया शराब पिलाकर उसकी जान जोखिम में डाले, ऐसी सरकार को एक पल भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए। न केवल शराब घोटाला बल्कि अन्य तमाम घोटाले के तार सीधे तौर पर मुख्यमंत्री निवास से जुड़े हैं।  सीएम की सबसे करीबी उप सचिव और अनेक अधिकारी, कांग्रेसी नेता आदि इन मामलों में जेल में बंद है।

साव ने कहा हम यह मांग करते हैं कि घोटाले से जुड़े ये सभी मामले एमपी-एमएलए कोर्ट में चले। इसकी फ़ास्ट ट्रैक में सुनवाई हो। अगर मुख्यमंत्री इस्तीफ़ा नहीं देते हैं तो ये तमाम मामले प्रदेश से बाहर सुनवाई कर शीघ्र इस पर फ़ैसला हो। छत्तीसगढ़ प्रदेश के इस दाग को मिटाने के लिए इस सरकार  को सत्ता में एक मिनट भी बने रहने  देना अन्याय होगा।

भाजपा के सवाल :

अरुण साव ने सवाल किया कि यह highest political executive (सर्वोच्च कार्यपालिक राजनेता) कौन हैं, जिसका करीबी का संबंध अनवर ढेबर से है? जिन political executive (कार्यपालिक राजनेता) को अनवर ढेबर की लूट का हिस्सा मिलता था वे कौन लोग हैं?  क्या इस सिंडिकेट के बारे में रायपुर नगर निगम महापौर को जानकारी थी या नहीं? अगर उनको जानकारी थी तो इसकी शिकायत उन्होंने सरकार या कांग्रेस संगठन से की थी? क्या अनवर ढेबर अपने महापौर भाई के लिए प्रदेश के सर्वोच्च नेता की शह पर काम कर रहे थे?

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