तीर्थ क्षेत्र शिवरीनारायण में दो दिवसीय नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न।
समर्पित भाव से श्रद्धा और विश्वास ही है भगवान से मिलन का माध्यम : डॉ. चिन्मय पण्ड्या।
• श्रद्धा और विश्वास रूपी आँखों से ही भगवान् के दर्शन होते हैं : डॉ. चिन्मय पण्ड्या।
• अध्यात्म जगत में श्रद्धा, समर्पण और विश्वास का है बड़ा महत्व : डॉ. चिन्मय पण्ड्या।
• भगवान् उन्हीं को दिखते हैं जिनके पास समर्पण के साथ श्रद्धा और विश्वास रूपी आँखें होती हैं : डॉ. चिन्मय पण्ड्या।
शिवरीनारायण/ यु मुरली राव – अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा शिवरीनारायण के विश्व गीता मंगल भवन प्रांगण में गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में दिनांक 21 व 22 अप्रैल 2023 को दो दिवसीय नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के साथ गायत्री शक्तिपीठ शिवरीनारायण का प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अंतिम दिन शांतिकुंज हरिद्वार के केन्द्रीय प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्विद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। सर्वप्रथम प्रातः युग संगीत, यज्ञ एवं संस्कार संपन्न हुए तत्पश्चात डॉ. चिन्मय पण्ड्या द्वारा गायत्री शक्तिपीठ शिवरीनारायण में ध्वजारोहण सहित गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी के प्राण स्वरूप नवनिर्मित प्रखर प्रज्ञा और सजल श्रध्दा का अनावरण किया गया, साथ ही यज्ञशाला का लोकार्पण किया गया। उसके बाद भगवान् महाकाल की भाव प्रतिष्ठा के साथ गायत्री माता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त विश्व गीता मंगल भवन में मुख्य कार्यक्रम स्थल में शामिल होकर डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी परिजनों को पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचारों से प्रेरित करते हुए कहा कि गायत्री परिवार का आधार आत्मीयता व सहकारिता है तथा विचार क्रांति अभियान पूज्य गुरुवर के प्रति अटूट श्रद्धा, समर्पण और विश्वास के बल पर टीका है। कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री महामंत्र के साथ दीप प्रज्ज्वलन एवं देवमंच पर पुष्पांजलि समर्पित कर किया गया। तत्पश्चात आगंतुक सभी अतिथियों का स्वागत-सम्मान किया गया। इसके पश्चात शांतिकुंज संगीत टोली द्वारा “साधक का सविता को अर्पण, शिष्यों का गुरु को समर्पण” युग प्रज्ञा संगीत प्रस्तुत किया गया। इस मौके पर डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि शिष्यों की साधना जितनी बलवती होगी, जितना अटूट श्रद्धा और विश्वास होगा उतना ही भगवान् का आशीर्वाद उसी रूप में मिलेगा। डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने मीरा के समर्पण, अर्जुन की श्रद्धा और प्रह्लाद के विश्वास का उदहारण देते हुए कहा कि जिस तरह श्रद्धा, निष्ठा एवं समर्पण से ही भक्त प्रह्लाद के जीवन की रक्षा हुई, श्रीकृष्ण ने मीरा को जहर से बचाया उसी तरह आज भी भगवान अपने शिष्यों को बचाते हैं। उन्होंने बताया कि अध्यात्म जगत में श्रद्धा, समर्पण और विश्वास से ही भगवान् मिलते हैं, उनको देखने के लिए समर्पित भाव से श्रद्धा और विश्वास रूपी आँखों की आवश्कता है। उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ सबको मिलकर एक सृजनशील समाज का निर्माण करना है, राष्ट्र को सशक्त व मजबूत बनाना है। कार्यक्रम के दौरान आशा सुल्तानिया द्वारा लिखित किताब जिसमें पूज्य गुरुदेव व माताजी के साथ स्मृति-अनुभवों का समावेश है, का विमोचन भी किया गया। अंत में भगवान् शिवरीनारायण की छायाचित्र भेंटकर डॉ. चिन्मय पण्ड्या का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम के उपरान्त दो विवाह संस्कार भी संपन्न कराये गए। साथ ही डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी द्वारा श्रीराम स्मृति उपवन का भी उदघाटन किया गया। कार्यक्रम का समापन शांतिकुंज टोली द्वारा सायंकालीन दीपयज्ञ के माध्यम से किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ने किया। इस मौके पर गायत्री परिवार छ.ग. की जोन समन्वयक आदर्श वर्मा, शांतिकुंज से जोन प्रभारी सुखदेव निर्मलकर सहित शांतिकुंज टोली के अन्य सदस्य, शक्तिपीठ मुख्य प्रबंध ट्रस्टी आशा सुल्तानिया, सहायक प्रबंध ट्रस्टी पवन सुल्तानिया, कोषाध्यक्ष देवेन्द्र अग्रवाल सहित कार्यकारिणी सदस्य प्रदीप अग्रवाल, नरेद्र केशरवानी, छतराम श्रीवास, राहुल थवाईत मौजूद रहे। कार्यक्रम हेतु पुरुषोत्तम सुल्तानिया, अखिलेश सुल्तानिया, वेद प्रकाश थवाईत एवं गायत्री शक्तिपीठ की टीम का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में बिलासपुर, पामगढ़, कोरबा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, जांजगीर-चाम्पा, अकलतरा से वरिष्ठ कार्यकर्ताओं सहित दीया मण्डल, प्रज्ञा मण्डल, महिला मण्डल गायत्री परिवार के कार्यकर्तागण एवं शिवरीनारायण नगर तथा विभिन्न गावों से गायत्री परिजनों की उपस्थिति रही।