रायपुर वॉच

तिरछी नजर 👀 : नरसिम्हन स्टाईल में काम कर रहे हरिचंदन…✒️✒️

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संविधान दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भले ही राज्यपाल के अधिकारों की समीक्षा करने पूरजोर वकालत की है,लेकिन उनके कामकाज पर बारीक नजर रखने वाले लोग उनकी तुलना छत्तीसगढ़ के तीसरे राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से कर रहे हैं ।
नए राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन कानूनविद भी हैं। वे तामझाम से दूर रहते हैं। पदभार संभालने के चंद दिनों के बाद भी दो विधेयक आरक्षण विधेयक और कुलपति की नियुक्ति के अधिकार संबंधी विधेयक को छोड़कर बाकी सभी विधेयकों को मंजूरी दे दी है।
बताते हैं कि दोनों विधेयक संविधान के मूल भावना के खिलाफ होने के कारण इसको किनारे रखा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में जितने विधेयक भी पारित किए गए सभी विधेयकों को मंत्रालय नियमानुसार कार्रवाई हेतु भेज दिया गया है और किसी को भनक भी नहीं लगी है। प्रदेश के तमाम कुलपतियों के लंबित कामों को मंजूरी देकर काम करने के निर्देश दे दिये गये हैं। कुछ कुलपतियों के खिलाफ शिकायत का मामला विचाराधीन है।
राज्य सरकार से जुड़े तमाम मामलों की फाईलों के लिए किसी सोलंकी की जरुरत नहीं है। दो मिनट में ही फाईल हस्ताक्षर होकर बाहर निकल जा रही है। उत्साहित भाजपा कार्यकर्ता या समाज प्रमुखों को मिलने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ.रमन सिंह व भाजपा संगठन मंत्री पवन साय को भी अकेले में मुलाकात के लिए समय नहीं मिल पा रही है। कुछ समय से विवादों में घिरे राजभवन की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए कई कोशिशें चल रही है।

आबकारी में थर्ड डिग्री का इस्तेमाल

ईडी के छापों के बाद आबकारी विभाग में इस समय अधिक हड़कंप मचा हुआ है। दिल्ली में आबकारी के छापे के बाद जिस तरह की कार्रवाई हो रही है। उसी तरह की कार्रवाई ईडी छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में कर सकती है। आबकारी का कागज एकत्रित करने कुछ आबकारी अधिकारी निशाने पर है। इन अधिकारियों के खिलाफ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल होने की चर्चा है। ऐसे अधिकारी व ठेकेदार लामबंद होकर फिर कोर्ट जाने की तैयारी में है।

कुंजाम के यहां छापे से गुस्सा

विशेष सचिव केडी कुंजाम के यहां ईडी ने छापेमारी की, तो प्रशासनिक अफसर चौंक गए। कुंजाम कभी मलाईदार जगहों पर नहीं रहे। वो सीधे-सरल अफसर माने जाते हैं। उनकी छवि भी अच्छी है। कुछ महीने के लिए बीजापुर कलेक्टर रहे और जब ईडी की टीम उनके यहां पहुंची, तो वे हैरान रह गए।
बताते हैं कि ईडी अफसरों ने उन जगहों का हिसाब-किताब पूछना शुरू किया, जहां वो कभी पदस्थ नहीं रहे। ईडी अफसरों को अहसास हो गया कि वो गलती से दूसरी जगह आ गए हैं। फिर भी ईडी अफसर घंटों टाल-मटोलकर कुछ-कुछ पूछताछ करते रहे। फिर उनका मोबाइल ले गए। इस घटना से कुंजाम व्यथित हैं। चर्चा है कि उन्होंने सीएस को पूरी घटना से अवगत कराया है। आदिवासी समाज के अफसरों में ईडी की कार्रवाई से नाराजगी है। संकेत हैं कि कुंजाम पर कार्रवाई का मामला अब तूल पकड़ेगा।

मरकाम का क्या होगा..

मोहन मरकाम को हटाने की चर्चाओं पर एकदम से विराम लग गया था। लेकिन प्रियंका गांधी के बस्तर दौरे के बाद फिर इन चर्चाओं को बल मिला है। प्रियंका ने सीएम और सरकार के कामकाज की खूब प्रशंसा की। इसके बाद से मोहन मरकाम की जगह दीपक बैज का नाम पर जोर दिया जा रहा है। वैसे प्रदेश कांग्रेस के दो बड़े नेताओं ने किसी तरह बदलाव न करने का सुझाव दिया था। लेकिन अब प्रियंका के रूख के बाद हफ्तेभर में कुछ होने के कयास लगाए जा रहे हैं। अब आगे क्या होता है यह देखने वाली बात है।

गुजराती सप्लायर का दबदबा

खेती-किसानी से जुड़े एक विभाग में दुर्ग के एक गुजराती कारोबारी का ऐसा दबदबा बना है, जिसके आगे विभाग के आला अफसर भी नतमस्तक हैं। वैसे तो यह कारोबारी भाजपा की महिला सांसद का करीबी है, लेकिन कांग्रेस राज में भी उसका सिक्का चल पड़ा है। विभाग के ज्यादातर सप्लाई के काम उसे ही दिए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सप्लायर के गुजरात के संपर्कों को देखकर ईडी- आईटी का विभाग के लोगों को डर नहीं रह गया है। ऐसे ताकतवर सप्लायर की पूछपरख तो होगी ही।

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