कोरोना के बाद बच्चों में वयस्कों से दोगुना बन रहीं एंटीबॉडी,
रायपुर/ध्ययन पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन का कहना है कि कोरोना महामारी की शुरुआत से बच्चों में इसके प्रभाव काफी कमजोर देखे गए हैं, लेकिन कुछ मामले इसके अपवाद भी रहे।कोरोना को लेकर पहली बार बच्चों और वयस्कों के बीच तुलनात्मक अध्ययन सामने आया है। इसके अनुसार, कोरोना के बाद बच्चों में वयस्कों से दोगुना ज्यादा एंटीबॉडी बन रही हैं। वायरस में भले ही अलग-अलग म्यूटेशन की जानकारियां मिल रही हों, लेकिन बीते दो वर्षों के दौरान शोधार्थियों ने इनका बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर कोई खास असर नहीं दर्ज किया।मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव पर प्रकाशित जॉर्जिया के एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने 23 से ज्यादा बच्चों पर संक्रमण से पहले और बाद की स्थिति का विश्लेषण किया है। पाया कि बच्चों में कोरोना से रिकवरी होने के 500 दिन बाद तक एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में दर्ज की गई हैं जो वायरस के म्यूटेशन से उनका बचाव कर रही हैं। वहीं, वयस्कों में एंटीबॉडी का स्तर तीन से छह माह के बीच कम होता दिखाई दे रहा है। साथ ही, विभिन्न म्यूटेशन भी उन्हें अलग-अलग समय में प्रभावित कर रहे हैं। शोधार्थियों का मानना है कि ये निष्कर्ष छोटे बच्चों और वयस्कों में प्रतिरक्षा अंतर के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाते हैं और इस आयु वर्ग में टीकाकरण और बूस्टर रणनीतियों के लिए व्यापक प्रभाव पड़ सकते है।