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उरांव समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व

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उरांव समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया सरहुल पर्व

बिलासपुर ,बतौली / विष्णु गुप्ता -आदिवासी हिन्दू उरांव समाज सरगुजा द्वारा अंबिकापुर में प्रकृति का पर्व सरहुल पूजा बहुत धूमधाम से मनाया गया, धरती माता को समर्पित यह पर्व हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी उरांव समाज भवन, पटेलपारा से शुरू होकर ढाक बाजा एवं मांदर की थाप के साथ शहर के मुख्य मार्ग अम्बेडकर चौक, गाँधी चौक, घड़ी चौक, संगम चौक, महामाया चौक, गुरुनानक चौक, लरंगसाय चौक, संजय पार्क से होते हुए सरना पूजा स्थल शंकरघाट में पहुँचें, इस दौरान पूरा समाज अपने पारंपरिक वेशभूषा एवं नृत्यों के साथ चला। शंकरघाट में मुख्य बैगा मानकेश्वर भगत के नेतृत्व में सामूहिक पूजा करके सभी के खुशहाली एवं अच्छी फसल, कृषि के लिए प्रार्थना किया गया।

प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी आदिवासी उरांव समाज ज़िला सरगुज़ा द्वारा सरहुल का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया । इस अवसर पर हज़ारों की संख्या में आदिवासी उराँव समाज के लोगों ने विशाल शोभायात्रा निकाली । यह शोभायात्रा उराँव समाज भवन पटेलपारा से शुरू होकर अम्बेडकर चौक, गाँधी चौक, घड़ी चौक, संगम चौक, महामाया चौक, गुरुनानक चौक, लरंगसाय चौक, संजय पार्क से होते हुए सरना पूजा स्थल शंकरघाट में पहुँची । इस दौरान पूरा समाज अपने पारंपरिक वेशभूषा में अपने पारम्परिक गीत नृत्य की प्रस्तुति के साथ शोभायात्रा में शामिल रहा, एवं पारम्परिक गीत नृत्य ने सभी नगरवासियों का मन मोह लिया । इस दौरान जगह जगह विभिन्न समाज के लोगों के द्वारा चौक चौराहों पर शोभयात्रा का स्वागत किया गया । एवं महादेव पार्वती की जय, धरती माता की जय जैसे नारों से गगन गुंजाएमान रहा ।

उराँव भाषा में सरहुल पर्व को खद्दी पर्व भी कहा जाता है । जिसमें धरती माता की पूजा की जाती है । ऐसी मान्यता है की सरहुल पूजा (धरती पूजा) से घर में ख़ुशहाली आती है एवं कृषि फसल अच्छी होती है ।

इस दौरान उराँव समाज के ज़िला अध्यक्ष डॉ. आज़ाद भगत ने सरहुल की शुभकामनाएँ देते हुए कहा की समाज की संस्कृति विरासत को बचा कर रखना समाज के सभी लोगों की ज़िम्मेदारी है । हम सभी की एकता ही हमारी शक्ति है ।

इस दौरान पूर्व मंत्री एवं समाज के संरक्षक गणेश राम भगत ने कहा की जनजाति समाज प्रकृति की पूजा करता है । हमारे आराध्य भगवान महादेव पार्वती हैं । सरहुल सहित समाज के सभी पर्वों के पीछे एक कहानी प्रचलित है जिसमें सभी की सुख समृद्धि की कामना करने का संदेश मिलता है ।

अंत में शंकरघाट सरना स्थल में मुख्य बैगा मानकेश्वर भगत के नेतृत्व में सामूहिक पूजा करके सभी के खुशहाली एवं अच्छी फसल, कृषि के लिए प्रार्थना किया गया।

इस दौरान बंसीधर उरांव, सरोज भगत जी, बंधुराम भगत, उमेश प्रधान, जय श्री उरांव, शिवभरोष राम , शशिकला भगत, ललिता तिर्की, अमर विजय, रामदास राम, रतन बघेल, मोहन राम , डॉ अशोक भगत, कलमू लकड़ा जी, भगत राम भगत , जगना राम प्रधान, रामजीत उरांव , जंयती भगत, जवाहर खलखो, दिलीप एक्का, प्रदीप एक्का, उमाशंकर भगत , टेकराम भगत, बालमुनी प्रधान, सरोज भगत, रज्जू राम, कमलेश टोप्पो, संजय कुजूर, सीताराम, अंकित तिर्की, सचिन भगत, सागर, पावन पूर्णाहुति भगत, ममता भगत, सुरेन्द्र भगत, शिव कुमार भगत, वीरेंद्र तिग्गा, मानसून भगत, सुमन, लक्ष्मी, पुष्पा, अलबिना, निर्मला उरमलिया, ललित, तरुण मिंज, अंजलि मिंज सहित समाज के हजारों की संख्या में हिन्दू उरांव समाज के गणमान्य जन उपस्थित रहे |

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