Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य मौर्य साम्राज्य के समकालीन थे। उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। इतिहासकारों की मानें तो मौर्य राजवंश की स्थापना की नींब आचार्य चाणक्य ने रखी थी। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कई शास्त्रों की रचना की है। इनमें अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति प्रमुख हैं। आज भी अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति प्रासंगिक हैं। आचार्य ने भाग्य से मिलने वाली चीजों के बारे में भी विस्तार से बताया है। उनकी मानें तो मां के गर्भ में रहने के दौरान प्राणी के भाग्य लिख दी जाती हैं। व्यक्ति चाहकर भी इसमें बदलाव नहीं कर सकता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
-आचार्य चाणक्य की मानें तो व्यक्ति की आयु भाग्य में पहले ही लिख दी जाती है। इसके लिए व्यक्ति का नियत समय पर जन्म होता है। वहीं, सांसारिक सुख-दुःख भोगने के पश्चात निश्चित तिथि पर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। व्यक्ति चाहकर भी अपनी आयु को बढ़ा नहीं सकता है।
-कर्म को लेकर भी आचार्य चाणक्य ने बड़ी महत्वपूर्ण बात कही है। आचार्य के अनुसार, व्यक्ति जो भी कर्म करता है। उसके भाग्य में पहले ही लिखा होता है। व्यक्ति पूर्व जन्म के कर्म से अज्ञान रहता है। इसके लिए वह अपने भाग्य को कोसता है।
-आचार्य चाणक्य ने कहा है कि व्यक्ति के जीवन में सुख और दुःख पहले से लिख दिया जाता है। इसके लिए उसके पास जितनी भी धन और संपत्ति होती है। वह पहले से लिखी होती है। उसके अनुरूप ही व्यक्ति को धन प्राप्त होता है।
-धन की तरह विद्या भी पहले से भाग्य में लिखा होती है। इसके लिए भाग्य में जितनी विद्या लिखी होती है। व्यक्ति को उतनी ही विद्या मिलती है। इंसान बल या धन से अधिक ज्ञान अर्जन नहीं कर सकता है।
-मृत्यु भी निर्धारित है। आचार्य चाणक्य की मानें तो तय समय पर व्यक्ति की मृत्यु निश्चित है। व्यक्ति लाख चाहकर धन और बल से मृत्य को रोक नहीं सकता है। तय समय पर व्यक्ति को धरातल छोड़कर जाना ही पड़ता है।