सुनते हैं कि बाज़ार की तरह कांग्रेस में भी एक्सचेंज ऑफर आ गया है। इसका लाभ दो आदिवासी नेताओं को मिल सकता है। तय योजना के मुताबिक चुनावी साल में मंत्री अमरजीत भगत पार्टी संभालेंगे और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम मंत्रिमंडल में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव को दिल्ली की हरी झंडी मिल चुकी है। बस मुहूर्त का इंतजार है।
अमन सिंह उलझे
आय से अधिक संपत्ति केस में पूर्व प्रमुख सचिव अमन सिंह से ईओडब्लू पूछताछ कर रही है। एक बार उनका भी बयान हो चुका है।
अमन सिंह की राजनीतिक और प्रशासनिक पकड़ जगजाहिर है। वो अडानी समूह में ऊंचे ओहदे पर है। उनके रसूख को देखते हुए जांच एजेंसी भी अतिरिक्त सतर्कता बरतते दिख रही है। उनसे 9 घंटे पूछताछ की गई थी। इसका पूरा वीडियोग्राफी हुआ है।
अमन सिंह को लेकर यह प्रचारित है कि वो फाईलों पर दस्तखत नहीं करते थे लेकिन उनमें सारा काम कराने की क्षमता रही है। कांग्रेस सरकार आने के बाद उनके विभागों में कई तरह की अनियमितता भी निकली, लेकिन उनका बाल बांका नहीं हुआ। आय से अधिक संपत्ति केस में भी उन्हें हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इतनी कड़ी है कि उन्हें अब तक अग्रिम जमानत नहीं मिल पाई है। उनका आगे क्या होता है, इस पर लोगों की नजर है।
सत्कार के बाद भी इंतजार
एआईसीसी अधिवेशन तो तामझाम से निपट गया। सीएम और प्रदेश संगठन ने बेहतर मेजबानी के लिए तारीफ भी बटोरी । लेकिन अतिथियों को बेहतर सर्विस देने वाले कई होटलों के बिल पेंडिंग हैं। उन्हें इंतजार करने के लिए कहा गया है, जिन्हें भुगतान का जिम्मा दिया गया था उन पर ईडी का शिकंजा कस रहा है। ऐसे में इंतजार के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिख रहा है।
मूणत के तेवर
भाजपा में विधानसभा टिकट के लिए मापदंड भले ही तय नहीं हुए हैं लेकिन रायपुर पश्चिम इलाके में पूर्व मंत्री राजेश मूणत की वाल रायटिंग चल रही है। जबकि पिछले चुनाव में में मूणत दस हजार से अधिक मतों से हारे थे । उन्होंने एक तरह हाईकमान को भी चुनौती दे दी है । यही नहीं, मूणत ने सह प्रभारी नितिन नबीन की बैठक को नजरअंदाज कर रविवार को होली मिलन का भी कार्यक्रम रख है और इसमें जिले के सभी पदाधिकारियों को आमंत्रित किया है । जबकि रविवार को ही नबीन दोपहर 2 बजे से रात तक लगातार बैठक लेने वाले हैं । अब बैठक को सफल बनाने के लिए जरूरी हो गया है कि नितिन नबीन भी कुछ देर के लिए मूणत के होली मिलन कार्यक्रम में शामिल हो जाए, अब आगे क्या होता ये रविवार को पता चलेगा। मगर मूणत के तेवर की पार्टी में खूब चर्चा हो रही है।
रेरा में नियुक्ति
रेरा में चेयरमैन और एक सदस्य के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। चेयरमैन के लिए दस से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। इसमें तीन न्यायाधीश, दो आईएएस ,दो आईएफएस सहित कुछ विशेषज्ञ हैं। विशेष सचिव पर्यावरण के चुनावी दौरे से लौैटते ही चयन के लिए कमेटी की बैठक की तिथि तय की जाएगी। चयन समिति के चेयरमैन जस्टिस संजय के अग्रवाल हैं । चेयरमैन की दौड़ में हेड आफ फारेस्ट फोर्स संजय शुक्ला नंबर वन है।इसके साथ ही नए हेड आफ फारेस्ट फोर्स की नियुक्ति भी विधानसभा सत्र निपटने के बाद हो सकती है।
मोदी और भूपेश की केमेस्ट्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच गजब की राजनीतिक केमेस्ट्री देखने को मिली है। लगभग दो महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दूसरी बार मुलाकात कर विरोधियों को भी चौकाया दिया है। इस मुलाकात के बाद राज्य सरकार को बड़ी राशि जारी होने के संकेत भी मिल रहे हैं। प्रधानमंत्री निवास फोटो समाचार के मामले में काफी चौकन्ना रहता है परंतु भूपेश व प्रधानमंत्री की मुलाकात फोटो शुक्रवार शाम को राज्य सरकार ने जारी कर दिया और प्रधानमंत्री निवास में शनिवार सुबह 9 बजे जारी किया। एक तरफ भाजपा व कांग्रेस के बीच चलती खंदक लड़ाई चल रही है। राज्य हित में हुई इस मुलाकात पर देशभर के सोशल मीडिया में बहस चल पड़ी है।
दिल्ली पर टिका है राज….
विधानसभा चुनाव के करीब आने के बाद भाजपा की बेचैनी बढ़ती जा रही है। दिल्ली से सर्वे टीम, दिल्ली से भाजपा के नेताओं की टीम, दिल्ली से फार्मूला व दिल्ली के भरोसे जीत की उम्मीद ने स्थानीय नेताओं की विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। जितने भाजपाई चेहरे बयानों और विरोध में अगवाई करते दिख रहे हैं । क्या उनकी बात को प्रदेश की जनता व उनके कार्यकत्र्ता मैदान में स्वीकार कर रहे हैं ? भ्रम और कुहासे को शायद केन्द्रीय एजेंसी व संघ का नेतृत्व हल कर पायें।
नये मुद्दे की तलाश में भाजपा…
भाजपा अभी तक राज्यसरकार के खिलाफ कोई बड़ा चुनावी मुद्दा खड़ा करने में असफल रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के काट भूपेश बघेल के निकालने के बाद भाजपा अपनी चुनावी रणनीति बदलने पर विचार कर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा कर्मचारियों का नियमितीकरण व शराबबंदी बनने के आसार बढ़ गये हैं। कर्मचारियों का नियमितीकरण की रिपोर्ट राज्य सरकार के पास पहुंचने के बाद बवाल खड़ा होने के संकेत मिल रहे हैं। नियम ,कानून प्रक्रिया के तहत नियमितीकरण असंभव नजर आने लगा है। दूसरी तरफ शराब बंदी से घोषित व अघोषित राजस्व व शराब के प्रति तेजी से बढ़ते लगाव गले की फांस बनने वाली है।
नौकरशाहों पर भरोसा
साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में कई चौंकाने वाले चेहरे नज़र आ सकते हैं। कुछ चेहरे तो सरकारी दफ्तरों की बजाय पार्टी दफ्तरों में देखे जायेंगे। दरअसल, सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा भी मौजूदा व कुछ पूर्व विधायकों के खिलाफ जनता के गुस्से को कम करने के लिये आईएएस-आईपीएस अफसरों को टिकट देने पर विचार कर रही है। भाजपा ने तो इस लाइन पर बकायदा काम भी शुरू कर दिया है। कलेक्टरी छोड़कर राजनीति में करियर बनाने आये नेताजी को इसका जिम्मा सौंपा गया है। वे कुछ मौजूदा व रिटायर्ड अफसरों के संपर्क में हैं। मिशन कामयाब रहा तो एससी-एसटी की कम से कम दर्जनभर सीटों पर नौकरशाही चुनाव लड़ते नज़र आयेगी। वैसे भी मोदी मंत्रिमंडल में कई बड़े ओहदों को पूर्व नौकरशाह सुशोभित कर रहे हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ भी इसी राह पर चल पड़े तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।