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अंधाधुंध विकास की दौड़ में विज्ञान मूल्यविहीन हो रही है : डॉ. सिंह

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कमलेश लौव्हातरे

बिलासपुर। शासकीय बिलासा कन्या स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में रसायन विज्ञान विभाग एवं आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में 1 व 2 मार्च 2023 को राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया यह आयोजन छत्तीसगढ़ विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के द्वारा सम्पोषित था। इस आयोजन में द्वितीय दिवस समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डा. ए डी बंश गोपाल सिंह (कुलपति, पं. सुन्दर लाल शर्मा मुक्त विवि बिलासपुर ) थे। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. आर. कमलेश ने की। विशिष्ट अतिथि के रुप में डा. शंकर जी अग्रवाल (दिल्ली) एवं डा. डब्ल्यू बी. गुरनुले (नागपुर) की गरिमामयी उपस्थिति रही। आयोजन का सारांश सेमिनार के संयोजक डॉ. किरण बाजपेयी ने प्रस्तुत किया ।

मुख्य अतिथि डॉ. सिंह ने कहा कि अंधाधुंध विकास की दौड़ में विज्ञान मूल्यविहीन हो रही है इसलिए मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो रही है, विज्ञान को मूल्यवान होना चाहिए। पर्यावरण की समस्याओं का समाधान करना विज्ञान की प्राथमिक जिम्मेदारी है। विज्ञान को स्वार्थी नहीं, परमार्थी बनाना होगा। वायु प्रदूषण से अनेको स्वस्थ्यगत समस्यायें उत्पन्न हो रही है जैसे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर आदि । अतः वायु में उपस्थित नाइट्रोजन डॉईआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, कार्बन डाय आक्साइड, ओजोन आदि गैसो की मात्रा की नियमित माप होना अत्यन्त आवश्यक है। वायु की गुणवत्ता की जांच हेतु मॉडन टेक्नालॉजी का उपयोग किया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. शंकर जी अग्रवाल ने कहा कि सेमिनार में विज्ञान और पर्यावरण से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विभिन्न आयामों से चर्चा हुई यह व्यापकत्व संगोष्ठी की सार्थकता है। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ से मेरा गहरा नाता है इसलिए मैं चाहता हूं कि बिलासपुर में विज्ञान में शोध का एक बड़ा और अंतर्विषयक शोध केन्द्र स्थापित हो वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि से अनेक दुष्परिणाम हो रहे है, अत वृक्षारोपण वन संरक्षण, सौर एवं पवन उर्जा आदि स्त्रोतों का उपयोग कर ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक द्वारा वायु की क्वालटी की माप की जा सकती हैं।

डा. गुरनुले ने कहा कि सेमिनार का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष ये रहा कि सारे आमंत्रित विषय विशेषज्ञ

और उनके व्याख्यान बहुत ज्ञानवर्धक सार्थक और उपयोगी रहे। उन्होंने आयोजन की बहुत प्रशंसा की।

बहुक्रिया शील नैनो कणों में इलेक्ट्रानिक, चुम्बकीय प्रकाशीय आदि गुणों को संयोजित करने की क्षमता

होती है। इनका उपयोग फार्मास्यूटिकल बायोमेडिकल एवं अनेको रसायनिक क्रियाओं में होता है।

डॉ. एस. आर. कमलेश प्राचार्य ने संगोष्ठी की सार्थकता को रेखांकित करते हुए इसे पर्यावरण जागरूकता और शोध के क्षेत्र में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि इससे विज्ञान में शोध के अनेक मार्ग खुलेंगे। जैसे कि चयनित स्तर पर विषय विशेषज्ञों द्वारा व्यवख्यान दिए गए। सेमिनार से शोधार्थियों, छात्रों को लाभ होगा और भविष्य में शोध कार्यों के द्वार खुलेगें। मैं समस्त विषय के विशेषज्ञों को धन्यवाद व बधाई देता हूँ के अपने शोध कार्य एवं अनुभव को साझा कर हम सभी को लाभान्वित किये। धन्यवाद।

इसके पूर्व आमंत्रित विषय विशेषज्ञ के रूप में डा. शंकर जी अग्रवाल ने वायुमंडल में वायु की गुणवत्ता वायु प्रदूषण, पार्टीकुलेट मैटर प्रदूषित वायु का परीक्षण एवं प्रदूषित वायु से होनेवाली स्वास्थ्यगत समस्याओं पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. बी. के. गुप्ता ने फोटो केमिकल फॉर्मेशन ऑफ बायोमिमेटिक फोटोऑटोट्रॉफिक सेल्फसस्टेनिंग प्रोटोसेल विषय पर शिकागो अमेरिका से सारगर्भित ऑनलाइन व्याख्यान दिया। डॉ. लतिका भाटिया ने लिग्नोसेलुलोज डिराइव्ड फंक्शनल ओलिगो सैकेराइड्स के उत्पादन गुणधर्म और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसके लाभ विषय पर सार्थक व्याख्यान दिया। कार्यक्रम के आयोजन, सफलता और संचालन में डॉ. अम्बुज पाण्डेय, डॉ. पुष्पा भंडारी. डॉ. मीना खेत्रपाल, डा. निशा तिवारी, डा. अर्चना पाटले एवं समस्त कर्मचारियों और छात्राओं का विशेष योगदान रहा। संगीत विभाग के डॉ. राजकुमार शर्मा एवं

छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना, राजगीत एवं स्वागतगीत की प्रस्तुति दी गई। इस आयोजन में देश व प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षाविद, प्राध्यापक शोधार्थी एवं विद्यार्थीगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इसमें बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने पेपर प्रजेंटेशन, पोस्टर प्रजेंटेशन और मॉडल प्रजेंटेशन दिए। समापन सत्र में इन्होंने अपने अनुभव और फीडबैक भी साझा किए।

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