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भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर देश के सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, ऐतिहासिक एवं साहित्य के परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रासंगिकता” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

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भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर देश के सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, ऐतिहासिक एवं साहित्य के परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रासंगिकता” विषय पर दिनांक 25.02.2023 को एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

 

कमलेश लौव्हातरे /  बिलासपुर। शासकीय बिलासा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बिलासपुर के अर्थशास्त्र विभाग, राजनीति विज्ञान विभाग, इतिहास विभाग, समाजशास्त्र विभाग एवं अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में “भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर देश के सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक, ऐतिहासिक एवं साहित्य के परिपेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रासंगिकता” विषय पर दिनांक 25.02.2023 को एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के संयोजक डॉ. व्ही. के. शर्मा, प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग ने स्वागत भाषण में कहा कि स्वतंत्रता के बाद यह भारत की केवल तीसरी शिक्षा नीति है। शिक्षा के लिए पहली नीति 1968 में प्रख्यापित की गई थी और दूसरी 1986 में लागू की गई थी। NEP 2020 का लक्ष्य 2040 तक एक कुशल शिक्षा प्रणाली बनाना है, जिसमें सभी शिक्षार्थियों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक समान पहुंच हो।

कार्यशाला का अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. एस. आर. कमलेश, प्राचार्य, शासकीय बिलासा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्कूल और उच्च शिक्षा में छात्रों की मदद करने के लिए आवश्यक सुधार प्रदान करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य प्रारंभिक बचपन की देखभाल, शिक्षक प्रशिक्षण को मजबूत करना, मौजूदा परीक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षा के सुधार खांचे में सुधार जैसे आवश्यक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना है। अतः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का केंद्र बिन्दु बहुविषयकता और समग्र शिक्षा है।

भारत में समग्र और बहु विषयक शिक्षा की प्राचीन परंपरा है, ज्ञान का विभिन्न कलाओं के रूप में दर्शन भारतीय चिंतन की देन है जिसे पुनः भारतीय शिक्षा में शामिल किया जाएगा, इसका एक बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव ये होगा कि युवाओं के लिए कभी भी भविष्य में अर्थोपार्जन का कोई रास्ता बंद नहीं होगा और वो अपने संपूर्ण ज्ञान का प्रयोग स्वयं के व्यक्तिगत विकास में सामाजिक और राष्ट्र के विकास में कर पाएंगे। हम मानव को शिक्षा देने का उदेश्य केवल और केवल रोजगार देना नहीं, अपितु शिक्षा का उदेश्य व्यक्ति के स्वत्व, चित्त का जागरण करना और उसे सभ्य समाज के निर्माण की लिए प्रेरित करना भी है ये ही तो भारत की पुरातन शिक्षा पद्धति का भी ध्येय था।

डॉ. कमलेश ने भारत की 75 वर्ष की विकास यात्रा का वर्णन करते हुए बताया कि जब 75 वर्ष के

भारत की बात करते हैं तो यह सन 1947 से सन 2022 तक की विकास यात्रा को दर्शाता है। सन् 1947

का भारत कैसे अनगिनत समस्याओं से उबरकर अब विश्व को अपने क्षमता के कारण नेतृत्व कर रहा है।

समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक भारत की विकास यात्रा अप्रतिम है। देश में खेती किसानी को मजबूती देने के लिए हरित क्रांति की शुरुआत 60 के दशक में हुई। इसने देश में खाद्यान संकट को दूर किया एवं भारत को खाद्यान में आत्म निर्भर बना दिया मौजूद वक्त में भारत दुनिया के अग्रणी कृषि पैदावार वाले देशों में शुमार है श्वेत क्रांति के जरिए बड़ा मुकाम देश में

डेयरी क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए 13 जनवरी, 1970 को श्वेत क्रांति की शुरुआत की गई। दुनिया के इस सबसे अनूठे कार्यक्रम ने दूध उत्पादन के क्षेत्र में भारत को दूग्ध उत्पादन के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचाने का काम किया आर्थिक विकास और जी डी पी की बात करे तो 1947 में जी डी पी 2.7 लाख करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर 236.65 लाख करोड़ हो गई है। यह वृद्धि लगभग 87 गुने के बराबर है।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत ने अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल बना है। यह अपने आप में हेल्थ और मेडिकल सेक्टर में भारत की उपलब्धि की कहानी बताता है। चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों का उन्मूलन एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। वैक्सीन निर्माण की क्षमता व पूरे देश में टीकाकरण की व्यापक योजनाओं ने स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कोविड काल में भारत ने अपने देश में बने कोविड वैक्सीन ( कोवैक्सीन और कोविशील्ड ) का जहाँ देश में वैक्सीनेशन का व्यापक कार्यक्रम चला रहा है। आजादी के बाद से अब तक बाल मृत्यु दर और औसत आयु में हालात सुधरे हैं।

मुख्य वक्ता डॉ. एन डी. आर चन्द्रा, कुलपति, नागालैण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कोहिमा ने अपने उदबोध ने कहा कि वर्ष 1947 में साक्षरता मात्र 12 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 74.04 प्रतिशत हो गई है। आज भारत में 15 लाख स्कूल है जो चीन से 3 गुना (5 लाख) अधिक है। देश में आईआईटी, आईआई एन मेडिकल कालेज, इंजिनीरिंग कालेज और विश्वविद्यालयों से अच्छे स्तर के मानव सम्पदा का विकास हुआ है। पूरे भारत में राज्य की स्थानीय भाषा के साथ साथ अंग्रेजी की शिक्षा के कारण श्रेष्ठ मानव सम्पदा विकसित हुई है जो विश्व के साथ समन्वय बनाने में सफल रही है।

आज भारत एक परमाणु शक्ति होने के साथ ही बड़ी सैन्य शक्ति भी है। यही नहीं चांद और मंगल पर मानव रहित मिशन भेजने वाले 5 देशों की सूची में भारत का भी नाम शामिल है जो कि हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है साथ ही भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने बहुत कम खर्चों में मंगल मिशन को पहली बार ने ही सफल बनाया। बात की जाए उत्पादन की तो इस मामले में भी भारत ने कई देशों की पीछे छोड़ा दिया है।

इसरो के साथ अंतरीक्ष में लंबी छलांग स्पेस के क्षेत्र ने आत्मनिर्भरता को अमली जामा पहनाने के लिए 1989 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन किया गया आज भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के चुनिंदा देशों में शामिल है। भारत चंद्रमा और मंगल मिशन को अंजाम दे रहा है। डॉ. जी. ए. घनश्याम, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग, रायपुर ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को भी भारत के शिक्षण संस्थान आकर्षित करेंगे और भारत विश्वगुरु के रूप में अपनी नई पहचान बना पाएगा।
युवा वर्ग का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वो वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों का सामना निर्भीकता से कर
पाएंगे किसी भी देश के विकास, संपन्नता और सुदृढ़ सांस्कृतिक विकास का आधार सशक्त शिक्षा नीति
होती है और नई शिक्षा नीति ऐसे सभी पहलुओं को लेकर चलेगी जिससे कि सारे ऊंचे मानकों पर स्वयं को स्थापित कर सके।
डॉ. अनुपमा सक्सेना, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग, गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर ने कहा कि 75 साल में भारत की एक और स्वर्णिम उपलब्धि है जिस पर हम गर्व कर सकते है, वह है लोकतांत्रिक ढाँचे का दिन पे दिन मजबूत होना। भारत में सत्ता का हस्तांतरण निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों के नतीजों के आधार पर शांतिपूर्ण ढंग से हुए है भारतीय संविधान के 1950 में लागू होने के बाद और भारत निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324 में व्यवस्था ) के नेतृत्व में सर्वप्रथम 1951-52 में आम चुनाव हुए थे जो आज तक अनवरत जारी है अब तक 17 आम चुनाव हो चुके है। 1951-52 में भारत की जनसंख्या 36.10 करोड़ थी और 17.32 करोड आम मतदाता थे जो 2019 में बढ़कर 91 करोड़ मतदाता हो गए हैं। आज देश में 10.36 लाख पोलिंग बूथ है 2019 के आम चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़कर 674 प्रतिशत हो गया है। यह भारत के मजबूत लोकतन्त्र का परिचायक होने के साथ साथ भारत निर्वाचन आयोग के निष्पक्ष और पारदर्शी कार्य प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है। भारतीय सत्ता में कभी भी सैनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ है। जब हम इस स्थिति को अपने आस पास के देशों से तुलना करते है तो हमें संतोष होता है व गर्व भी ।

डॉ. मनीषा दुबे, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर ने कहा कि लर्निंग मोड शिक्षा में आना होगा। नई शिक्षा नीति 2020 में स्टाफ टीचिंग एंड लर्निंग होगा। ऑनलाईन शिक्षा पर जोर देना होगा। बलैण्डेड लर्निंग होगा। महिला सशक्तीकरण में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है आज भारतीय महिलाओं की सुरक्षा उनकी निर्णयन प्रक्रिया में योगदान तथा मोबिलिटी यानी गतिशीलता में वृद्धि हुई है। वर्ष 1947 महिलाओं की साक्षरता मात्र 8 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 65.46 प्रतिशत हो गई है शिक्षा, विज्ञान, टेक्नॉलजी और विभिन्न प्रतियोगिताओं में बालिकाएं अव्वल आ रही है। सर्विस सेक्टर से लेकर राजनीति तक में भारतीय महिलाओं की भागीदारी वर्ष 1947 को तुलना में अत्यधिक बढ़ी है। यह भारत के सशक्त होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण है।

अगर ग्लोबल आंकड़ों की बात करे तो इस समय भारत संयुक्त राज्य अमेरिका (19.48 ट्रिलियन डालर ) चीन (12.23 ट्रिलियन डालर ) जापान (4.87 ट्रिलियन डालर) व जर्मनी (3.69 ट्रिलियन) के बाद 3.3 ट्रिलियन डालर के साथ पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत ने 5 ट्रिलियन डालर की इकॉनमी बनाने का लक्ष्य रखा है। आज भारत 190 देशों की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 63 वे स्थान पर पहुँच गया है। दक्षिण एशिया में श्रीलंका जब अपने आर्थिक इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। और उसका प्रभाव राजनीतिक सत्ता के परिवर्तन तक पहुँच गया है ऐसी स्तिथि में भारत अपने मजबूत आर्थिक आधार के साथ मदद भी दे रहा है । ये बुनियादी तौर पर भारत के सबल आर्थिक स्तिथि को दर्शाता है । व्यापार को सुगम बनाने के लिए भारत ने कई प्रकार के ब्यूरोक्रेसी अड़चनों को दूर कर सिंगल विडो पोर्टल पर सर्विसेज उपलब्ध करा कर निवेश के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाया है।

अस्सी के दशक के मध्य में बड़े पैमाने पर कम्प्यूटरीकरण का आगमन, स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए महत्वपूर्ण सकारात्मक विकासों में से एक है, जिसने अंततः भारत को एक विशाल आईटी शक्ति के रूप में माना। देश का भविष्य डिजिटल है डिजिटल लेनदेन का उदय और छोटे व्यापारियों में क्यूआर कोड की बढ़ती लोकप्रियता सुर्खियों में है जी से जहां संचारक्रांति आई वहीं इसरो ने एक साथ 100 से जयादा उपग्रह प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया है।

डॉ. मोहम्मद शमशाद अंसारी, सहा प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बिहार

ने कहा कि एनईपी 2020 में प्रौढ़ शिक्षा पर बल दिया गया है सामाजिक और आर्थिक गतिशीलता को
बढ़ावा देने में प्रौढ़ शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एनईपी 2020 में प्रौढ़ शिक्षा पर भी जोर दिया गया है. इसके तहत आजीवन सीखने की प्रक्रिया को जारी रखना और समय के साथ आने वाले बदलाव और चुनौतियों के लिए लोगों को तैयार करना है।

किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छूट जाती है इसका दुख अगर वयस्क होने पर किसी इंसान को होता है तो NEP 2020 जैसी शिक्षा नीति उसके पढ़ाई करने के रास्ते उस उम्र में भी खोल देती है इसलिए NEP 2020 बहुत अच्छी स्कीन है. यही नहीं ऑनलाइन और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पढाई की जा सकती है. इससे वयस्कों के लिए आसानी होगी, क्योंकि वह घर बैठकर भी अपनी शिक्षा को पूरा कर सकते हैं अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) जो छात्रों को समय के साथ क्रेडिट जमा करने और विभिन्न
डिग्री अर्जित करने की आजादी देता है, केवल कुछ संस्थानों के लिए ही अभी सुविधाएं दे रहा है। क्रेडिट का बचाना गरीब छात्रों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए एक फायदेमंद सौदा हो सकता है, जिन्हें अक्सर आर्थिक और सामाजिक कारणों से शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

डॉ. मनु गौरहा, सहायक प्राध्यापक, समाज शास्त्र विभाग विकन विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा कि, वर्षों के परिश्रम के बाद आखिरकार शिक्षा क्षेत्र में बदलाव और सामाजिक न्याय एवं समरस समाज निर्माण का दस्तावेज नई शिक्षा नीति के रूप हमारे सामने है। इस नीति के निर्माण की समिति में ही समाज के सभी वर्गों की हिस्सेदारी और उनकी अपेक्षा एवं भावों को इसमें सम्मिलित किया गया है।

कार्यशाला पर देश-प्रदेश के शिक्षाविद शोधार्थी, प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

कार्यक्रम संचालन डॉ. मधुलिका सिन्हा, सहा. प्राध्यापक, अंग्रेजी विभाग ने किया सह संयोजक डॉ. मुक्ता दुबे विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक राजनीति विज्ञान विभाग, डॉ. शारदा दुबे, विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक
समाजशास्त्र विभाग, डॉ. रजनी सिंह, विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक, इतिहास विभाग, डॉ. रूबी मिलहोत्रा,विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक अंग्रेजी विभाग एवं महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक विभागों के विभागाध्यक्ष एवं प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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