कोरिया ब्यूरो/ काफी समय से मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के वन परिक्षेत्र मनेन्द्रगढ़ व विहारपुर के अंतर्गत निर्माण कार्यों में भारी भर्राशाही का दौर व्याप्त रहा है।जिनके समाचार पूर्ण सत्यता के साथ प्रकाशित भी होते रहे है परन्तु भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियो का हाल जंगली शुतुरमुर्ग की तरह हो जाता है।जबकि इन्हें नही मालूम कि इनकी सारी करतुतों पर कलम के सिपाहियों की पैनी नजर भी होती है।
भ्रष्ट्राचारियों पर कार्रवाई करने से क्यों कतराते है डीएफओ, कहीं ये खुद भी तो संलिप्त नही??
बता दे कि कुछ माह पूर्व विहारपुर वन परिक्षेत्र में जमती नाला एनिकट बहने की खबर पत्रकार के द्वारा उजागर किया गया,सिर्फ उजागर ही नही बल्कि वनमंडलाधिकारी को मौके पर से वस्तुस्थिति से अवगत भी कराया गया।चूँकि उक्त एनिकट का कार्य महज तीन माह पूर्व ही पूर्ण करा दिया गया था,उस बाबत स्वीकृत पूरी राशि का आहरण भी कर लिया गया था।बाद में उसी क्षतिग्रस्त एनकिट पर मरम्मत के नाम पर दोबारा करीब पाँच लाख अतिरिक्त ख़र्च किया गया, आखिर ये अतिरिक्त व्यय किस मद से और क्यो कराया गया।जबकि निर्माण कार्य महज तीन माह पहले ही पूर्ण किया गया था,फिर क्या मरम्मत के नाम पर अतिरिक्त व्यय राशि क्या वन मंडलाधिकारी ने स्वयं के व्यय से किया या उस भ्रष्ट रेन्जर से वसूला गया अथवा कागजी पेंच पैतरों का उपयोग कर शासन को चुना लगाया गया।
भ्रष्ट्राचार पर नही है लगाम,पुनरावृत्ति बार-बार
ताजा माला करोड़ो के अर्दन डेम का,पहले तो प्राकलन अनुसार महज 65 लाख की स्वीकृत राशि से निर्माण किये जाने वाले अर्दन डेम की नींव डाली गई।केचमेंट एरिया भी है डेम का मेड भी उसी प्राकलन अनुसार ही बनाया गया,चूंकि भराव क्षेत्र काफी दूरी तक पहले ही भाप लिया गया था और उसी जल भराव के अनुसार मेड को मजबूती दी गई ताकि बाद में मेड क्षतिग्रस्त न हो क्योंकि इसके पूर्व उसी स्थान पर नरेगा से निर्मित तालाब बह चुका था।ख़रीनाल अर्दन डेम का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत शुरवाती बारिश के दिनों में इसका लोकार्पण कराया गया था फिर उक्त अर्दन डेम पर 65 लाख के अतिरिक्त दुगनी राशि रिवाइज कर कहाँ पर खर्च कर दिया गया।जिससे कहा जा सकता है कि मामला काफी संदेहास्पद है।

