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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने इस व्यवहार को माना है दान के समान श्रेष्ठ, आप भी जान लें

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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति वर्तमान समय में भी लाखों युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में ना केवल जीवन में सफलता के गुण बताएं हैं। बल्कि यह भी बताया है कि जीवन में व्यक्ति को किन-किन व्यवहारों का पालन करना चाहिए। हम सभी जानते हैं कि दान से बड़ा अन्य कोई धर्म नहीं होता है, किंतु आचार्य चाणक्य के नजर में एक ऐसी चीज भी है जिसे उन्होंने दान के समान माना है। यदि व्यक्ति इस नीति का पालन करता है तो वह अपने जीवन में सदा सफल ही प्राप्त है। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं मनुष्य के लिए वह गुण जिसे दान के समान माना गया है।

दान के समान है यह व्यवहार (Chanakya Niti in Hindi)

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः ।

तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।

अर्थात- मधुर वचनों का प्रयोग करना दान के समान होता है। इससे सभी लोगों को आनंद मिलता है। इसलिए सदैव मधुर वचन बोलना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से कोई निर्धन नहीं हो जाता है।

व्याखान- मनुष्य के लिए वचन ही उसका एक कहना माना गया है इसलिए अपने जीवन काल में एक व्यक्ति को सदैव मधुर वचन ही बोलना चाहिए आचार्य चाणक्य ने इसे दान के समान माना है जो व्यक्ति मधुर वचनों का प्रयोग करता है, वह ना केवल समाज में बल्कि विश्व में श्रेष्ठ कहलाता है। इस व्यवहार से न केवल उनका बल्कि उनके कुल का भी नाम ऊंचा होता है। लेकिन जो व्यक्ति अपने जीवन में हर समय कड़वाहट भरे वचनों का प्रयोग करता है, उस व्यक्ति के शत्रु कई गुना बढ़ जाते हैं। साथ ही आचार्य चाणक्य ने बताया है कि मधुर वचन बोलने में किसी को संकोच नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के धन का उपयोग नहीं होता है। बल्कि ऐसा करने से व्यक्ति सदैव अपना जीवन सुख एवं आनन्द के साथ व्यतीत करता है।

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