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बीएसएफ कैंप का विरोध जारी, ग्रामीणों का आरोप-बीएसएफ कैम्प हमारे विकास के रास्ते नहीं बल्कि विनाश के रास्ते के लिए बनाए जा रहे

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पखांजुर। बस्तर कभी अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जानी जाती थी लेकिन अब यही बस्तर जगह जगह पर हो रहे आंदोलन के लिए भी जाना जा रहा है। दरअसल कांकेर जिले में ही दो जगह पर आंदोलन चल रहा है। जिसमें से एक कोयलीबेड़ा ब्लॉक के पानीडोबीर पंचायत के आश्रित ग्राम चीलपरस में पिछले 8 दिनों से यहां के स्थाई आदिवासी सैकड़ों की जनसंख्या में बीएसएफ कैंप की विरोध कर रहे हैं। इन आदिवासियों की कहना है की यहां पेसा कानून लागू है। बिना ग्राम सभा के बीएसएफ कैम्प बनाया जा रहा जो गलत है । यहाँ बीएसएफ कैम्प हमारे विकास के रास्ते नहीं बल्कि विनाश के रास्ते बनाए जाएंगे जो इस क्षेत्र की खनिज संपदा की लूट करेगी।

आपको बता दे कि ग्राम चीलपरस पर पहुंचने के लिए कोई व्यवस्थित मार्ग नहीं है और न ही यहां के नदी नालों में पुल पुलिया बनी है । साथ ही कोयलीबेडा के ही बेचाघाट में पिछले एक वर्ष से ग्रामीण आंदोलन पर बैठे हुए है।

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