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प्रस्तावना भारतीय संविधान की आत्मा है-: आकांक्षा बेक

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कानूनी अधिकार आम लोगों को दिलाने के लिए संविधान में की गई व्यवस्थाओं का व्यापक नतीजा देश में देखने को मिल रहा

आफताब आलम/ बलरामपुर/ संविधान दिवस के अवसर पर आज नवीन महाविद्यालय राजपुर में छात्राओं को संबोधित करते हुए न्यायाधीश आकांक्षा बेक ने कहा कि भारतीय संविधान उल्लिखित प्रस्तावना भारत के संविधान की आत्मा है और उसमें उल्लिखित एक- एक शब्द के व्यापक अर्थ है व्यापक मायने हैं हमारा संविधान में उल्लिखित हम भारत के लोग से स्पष्ट है कि देश के सभी नागरिकों द्वारा निर्मित हमारा भारतीय संविधान है जो नागरिकों को कर्तव्यों के पालन के नसीहत के साथ-साथ उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए हर नागरिक को आबद्ध करता है।
विधान दिवस पर वरिष्ठ अधिवक्ता के.एन. पांडेय ने कहा कि आजादी के दौरान 1935 में बनाई इंडिया एक्ट भी देश के संविधान के रूप में उस समय था परंतु आजादी के बाद आजाद भारत की नई गाथा लिखी गई और उस दौरान बना हमारा संविधान भारत की आजादी के लिए संघर्षरत महान बलिदानीयों के बलिदानों का ग्रंथ है जिसमें सभी के लिए समान अवसर सबके लिए न्याय की व्यवस्था है,दुनिया भर में भारतीय संविधान के अध्ययन के लिए लोग जुटे हुए हैं आप जितना अधिक हमारे संविधान को जानते हैं उतना ही कम आप हमारे संविधान को जानते हैं क्योंकि संविधान में दी गई व्यवस्थाएं व्यापक तौर पर हैं।
अधिवक्ता एच.सी. अग्रवाल ने कहा की कानूनी अधिकार आम लोगों को दिलाने के लिए संविधान में की गई व्यवस्थाओं का व्यापक नतीजा देश में देखने को मिल रहा है और जिस तरह से संविधान में दिए गए व्यवस्थाओं के अनुरूप हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है उससे स्पष्ट है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान को बनाने के पीछे अथक परिश्रम किया है।
अधिवक्ता जय गोपालअग्रवाल ने कहा कि संविधान में बताए गए मूल 11 कर्तव्यों को छोड़कर सिर्फ अधिकारों की बात नहीं की जा सकती देश के संविधान में जिन 11 कर्तव्यों के पालन की बात कही है हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि उन सभी कर्तव्यों का पालन करें ताकि देश की उत्तरोत्तर प्रगति हो सके।
इस दौरान कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवक्ता सुनील सिंह ने कहा कि दुनिया भर में हमारा संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है इस संविधान में 22 भाग 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां हैं हमारे संविधान में 7 मौलिक अधिकार भी बताए गए हैं अधिकारों के हनन की स्थिति में आम नागरिक भी उच्चतम न्यायालय की शरण ले सकता है।

संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान अधिवक्ता उमेश झा,जितेंद्र गुप्ता,अशोक बेक,रामनारायण जयसवाल,वीरेंद्र जायसवाल व अन्य अधिवक्ता गण महाविद्यालय के प्राध्यापक व अन्य स्टाफ भी उपस्थित थे।

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