रायपुर। भाजपा नेताओं द्वारा आरक्षण के संबध में किये गये धरने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा भाजपाई आदिवासी आरक्षण को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे है। जब आरक्षण की बहाली के लिये कांग्रेस सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है तब धरना क्यो? रमन सरकार ने लापरवाही किया और जानबूझ कर हाईकोर्ट में ननकीराम कंवर और मुख्य सचिव की कमेटी की अनुशंशाओं को छुपाकर रखा उस समय रमन सरकार ने हाईकोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे में भी इन कमेटियों के बारे में छुपाया था जिससे अदालत में आरक्षण कम हो गया।
प्रदेश कांग्रेस मोहन मरकाम ने कहा जब आरक्षण बढ़ाने के लिए इन दोनों ही कमेटियों का गठन किया गया था और इनकी सिफारिशों को ही आरक्षण बढ़ाने का महत्वपूर्ण आधार बनाया गया था। अदालत में जब 50 फीसदी आरक्षण को बढ़ा कर 58 किये जाने के खिलाफ मुकदमा दायर हुआ तब रमन सरकार ने अदालत में इस मुकदमे के सम्बंध में जो एफिडेविड दिया उसमें इन दोनों ही कमेटियों के बारे में उल्लेख क्यो नही किया? यह सामान्य भूल नहीं हो सकती। अदालत में सरकार के तरफ से महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकीलों का पैनल खड़ा होता है अतः यह तो माना ही नही जा सकता कि इन कमेटियों को बिना किसी कारण के अदालत से छुपाया गया होगा जबकी इस मुकदमे को जीतने का बड़ा आधार ही आदिवासी समाज की 32 प्रतिशत जनसंख्या और इन दोनों कमेटियों की सिफारिश थी। यह कोताही बताती है कि रमन सरकार ने आदिवासी समाज के आरक्षण के खिलाफ मुकदमे को जानबूझ कर हारने की नीयत से ही यह षड्यंत्र रचा था। अदालत में चले मुकदमे में समय अधिक लगने के कारण यह फैसला अब आया जब रमन सरकार की बिदाई हो चुकी है। अदालत में कांग्रेस सरकार के महा अधिवक्ता ने जब दोनों कमेटी की सिफारिशों को रखना चाहा तब अदालत ने यह कह कर अनुमति नही दिया कि पूर्व में दायर एफिडेविड में इन कमेटियों के अस्तित्व के बारे में कोई उल्लेख नही है।इससे साफ है कि आदिवासी समाज का आरक्षण कम होने की गुनाहगार भाजपा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासी समाज के आरक्षण की बहाली के लिये विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है विधानसभा में चर्चा कर आदिवासी समाज के आरक्षण की बहाली के लिये कानूनी प्रावधान खोजे जायेंगे। भाजपा के नेता किस नैतिकता से आंदोलन कर रहे है।