रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राजधानी स्थित अपने निवास कार्यालय में गोधन न्याय योजना के तहत आयोजित कार्यक्रम में हितग्राहियों को 56वीं किश्त के रूप में हितग्राहियों को ऑनलाइन कुल 7 करोड़ 14 लाख रूपए की राशि का अंतरण किया। इसमें गोबर विक्रेताओं को 4.55 करोड़ रूपए, गौठान समितियों को 1.17 करोड़ रूपए तथा स्व-सहायता समूहों को 1.42 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
मुख्यमंत्री बघेल ने गोधन न्याय योजना के तहत राशि का वितरण करते हुए खुशी व्यक्त किया कि राज्य में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत संचालित 9 हजार गौठानों में से अब तक 4 हजार से अधिक गौठान पूरी तरह से स्वावलंबी बन गए हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर खरीदने में सक्षम हो गए हैं, यह योजना का उल्लेखनीय और एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
मुख्यमंत्री बघेल ने गौ-पालक किसानों और गोबर विक्रेताओं तथा स्व-सहायता समूहों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा संचालित गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इससे हितग्राहियों को काफी तदाद में लाभ होने लगा है और वे आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। साथ ही इससे गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने लगी है। ये आंकड़े और परिणाम गोधन न्याय योजना की सफलता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। जिसकी चर्चा अब देशभर में होने लगी है और इसके परिणाम को देखते हुए अन्य राज्य भी गोधन न्याय योजना को अपनाने के लिए उत्सुक हैं। कभी किसी ने सोचा नहीं था कि गोबर से भी पैसा कमाया जा सकता है पर गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन कर छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने इसे साबित कर दिखाया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने आगे गौ पालक किसानों को अधिक से अधिक पैरादान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि आप अपने गांव के गौठान में जो पैरादान करेंगे, उससे गांव के पशुओं के लिए चारे का बेहतर इंतजाम होगा। साथ ही जैविक खाद भी बनाया जा सकेगा। पैरा दान का फायदा पूरे गांव को होगा और इससे गांव का वातावरण भी साफ-सुथरा तथा शुद्ध रहेगा। मुझे इस बात की खुशी है कि छत्तीसगढ़ के किसानों ने पैरादान को लेकर भी जागरूकता आई है। पिछले 4 वर्षों के दौरान हमारे प्रदेश के किसानों ने खेती-किसानी के क्षेत्र में देश में कई मिसालें प्रस्तुत की हैं। निश्चित तौर पर पैरादान अभियान को लेकर भी वे नई मिसाल प्रस्तुत करेंगे।