प्रांतीय वॉच

मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल में क्या उच्च अधिकारी के मौखिक आदेश पर हो रहे कार्य…भौंता अर्दन डैम में लोकार्पण उपरांत 33 लाख खर्च का मामला

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दिलीप पाण्डेय, कोरिया वॉच ब्यूरो/ वनमण्डल मनेन्द्रगढ़ के वर्तमान डीएफओ अपने उच्च अधिकारियों के मौखिक आदेश पर नव निर्मित अर्दन डैम जिसका लोकार्पण कुछ माह पूर्व ही हो चुका है अब उसी अर्दन डैम में 33 लाख अतिरिक्त खर्च होने से मामला तूल पकड़ते जा रहा है।वन विभाग में किसी उच्च अधिकारी के सिर्फ मौखिक आदेश पर लाखों के कार्य हो जाने से शासकीय नियम और कायदे धरे के धरे दिख रहे है।क्या सत्ता परिवर्तन उपरांत वन विभाग में लिखित आदेश महज खानापूर्ति रह गया है।क्योकि मनेन्द्रगढ़ डीएफओ खुद ही स्वीकार कर रहे कि भौंता के अर्दन डेम में तय इस्टीमेट अनुसार कार्य न होकर उच्च अधिकारी के कहने पर अतिरिक्त कार्य होने के कारण 33 लाख का अतिरिक्त व्यय हुआ है।

मामला मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के ग्राम भौंता में नव निर्मित अर्दन डैम का है, जहां वन मंडल मनेन्द्रगढ़ के वन परिक्षेत्र मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत राज्य कैंपा मद से 65 लाख खर्च कर डैम का निर्माण इसी वर्ष कराया गया है।कार्य पूर्ण हो जाने के बाद मुख्यमंत्री के हाथों बकायदा अर्दन डैम का वर्चुअल लोकार्पण भी संपन्न हो गया, तब उस समय डैम की कुल लागत राशि 65 लाख ही था,जिसे मनेन्द्रगढ़ डीएफओ ने लोकार्पण के दौरान संक्षिप्त विवरण में बताया भी है।चूंकि डैम का लोकार्पण बरसात के शुरुआती दिनों में सम्पन्न हुआ, बाद में अचानक उसी अर्दन डैम में 33 लाख फिर अतिरिक्त खर्च होना वनमंडलाधिकारी के द्वारा बताया जा रहा है वह भी विभागीय उच्च अधिकारियों के मौखिक आदेश पर?ऐसे में अब मनरेगा के तालाब के स्थान पर बने अर्दन डैम की लागत राशि एक करोड़ के करीब पहुँच चुका है।अगर ऐसे ही वन विभाग में उच्च अधिकारियों का मौखिक आदेश आगे भी चलता रहा तो डैम की लागत राशि में और भी वृद्धि होना स्वभाविक है।

आखिर किस उच्च अधिकारी के कहने पर खर्च हुए 33 लाख?

वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ़
अनुसार भौता के अर्दन डैम में विभाग के किसी उच्च अधिकारी द्वारा उनके कार्यालय में आकर कहने मात्र से इस्टीमेट में बदलाव कर 33 लाख अतिरिक्त खर्च होना बताया जा रहा है।अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर में उच्च अधिकारी है कौन?क्योंकि जिस समय अर्दन डैम का निर्माण कार्य चल रहा था उस समय कैम्पा के सीईओ श्री वी. श्रीनिवास राव दौरे में मनेन्द्रगढ़ वन मंडल पहुँचे थे,तो क्या यह मान ले कि कैम्पा के सीईओ ही वह उच्च अधिकारी है जिनके कहने से estimate rewised कर 33 लाख खर्च होने की बात सामने आ रही है।यह सिर्फ एक अंदेशा है,उच्च अधिकारी कौन है, इसकी पुष्टि हम यहाँ नही कर रहे हैं।

अर्दन डैम की क्या है हकीकत ऐसे समझिए

मनेन्द्रगढ़ विकास खंड के ग्राम भौंता में जिस स्थान पर वन विभाग ने अब करीब एक करोड़ की लागत राशि से जिस अर्दन डैम का निर्माण कराया है उसी स्थान पर पूर्व में मनरेगा योजना से भी वर्ष 2016 में जल संसाधन विभाग ने 42 लाख की लागत राशि से बसकोहा तालाब का निर्माण कराया था। गुणवत्ता विहीन कार्य होने से 2019 में मनरेगा से निर्मित तालाब के मेड़ का कुछ हिस्सा बह गया था। अब उसी स्थान पर वन विभाग ने अर्दन डैम बना दिया है।अर्दन डैम बनने और लोकार्पण तक उसकी लागत राशि 65 लाख ही बताया गया था।लेकिन लोकार्पण के कुछ माह बाद उसी डैम की लागत राशि करोड़ो तक जा पहुंची।वह भी वन विभाग के उच्च अधिकारियों के मात्र कहने पर।गौर करने वाली बात यह है कि क्या डैम निर्माण कार्य पूर्ण होने पर ही उसका लोकार्पण कराया गया या आधे-अधूरे डैम को ही सूबे के मुख्यमंत्री को पूर्ण बताकर लोकार्पण करा दिया गया?वही दूसरी बात यह कि,जब अर्दन डैम का स्टीमेट कार्य शुरू होने के पूर्व बनाया गया होगा तब क्या डैम में लगने वाली लागत राशि का आंकलन किये ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया?एक और गौर करने वाली बात यह भी है कि जब डैम में लगने वाली लागत राशि ही तय नही थी,(जैसा कि निर्माण निर्माण स्थल पर बने बोड में लागत राशि अंकित नही है)फिर लोकार्पण के दौरान वनमंडलाधिकारी लोकनाथ पटेल ने लागत राशि 65 लाख किस आधार पर बताया।और अब किस अधिकारी के मौखिक आदेश पर 33 लाख अतिरिक्त खर्च और किस चीज में किया गया यह अब वनमंडलाधिकारी महोदय ही बता पाएंगे।

दैनिक छत्तीसगढ़ वॉच ने प्रमुखता से उठाया था मामला

बता दें कि ग्राम भौंता में मनरेगा तालाब के स्थान पर वन विभाग द्वारा अर्दन डैम बनाए जाने की खबर को दैनिक छत्तीसगढ़ वॉच ने प्रमुखता से उठाया था।खबर प्रकाशित के बाद से ही मनरेगा सहित वन विभाग में खलबली मची हुई है।वही वन विभाग के अर्दन डैम में नित नए खुलासे भी हो रहे है।पूर्व में डैम की लागत राशि जहां 65 लाख ही था अब वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ़ के अनुसार 98 लाख पहुँच चुका है।अब देखना यह है कि वन विभाग के उच्च अधिकारी इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों पर कार्रवाई लिखित रूप से करते हैं,या यह भी सिर्फ मौखिक ही होगा।

क्या कहते है अधिकारी

मामले में जब मुख्य वन संरक्षक  नावेद सुजाउद्दीन से चर्चा की गई तो उन्होंने, कहा मामले की जानकारी मुझे अभी नही है मेरे ज्वाइनिंग को कुछ ही दिन हुए है,मामले को पता कर ही कुछ कह पाना सम्भव होगा।

“अर्दन डैम की लंबाई स्टीमेट से ज्यादा हो जाने से बाद में उच्च अधिकारी द्वारा कार्यालय में आकर कहने उपरांत REVISED ESTIMATE (परिशोधित प्राक्कलन)तैयार कर 33 लाख के करीब राशि बाद में बढ़ाया गया है”

 

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