बिना निदाई गुड़ाई खाद के लहलहा रही धान की फसल
नवागढ़ संजय महिलांग
वर्तमान समय मे रसायनिक खाद, कीटनाशक का अंधाधुंध इस्तेमाल करने वाले कृषकों के लिए नगर पंचायत नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत के प्रेरणा स्रोत के रूप में उभरे हैं। उन्होंने अपने इस खेत में एक बार रसायनिक खाद डाला है न जैविक खाद का छिड़काव किया है।नींदाई गुड़ाई भी एक बार नहीं हुआ हैं। ये कम लागत में पूरी तरह से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।इस खेत को जहर मुक्त बनाने का संकल्प लेकर 3 वर्षों से देसी धान की बुवाई कर रहे हैं।
परंपरागत खेती का पुनर्विकास एवं पुनरुत्थान मुख्य उद्देश्य
प्राकृतिक खेती करने वाले किसान किशोर राजपूत ने बताया कि परंपरागत कृषि पद्धति का पुनर्विकास एवं पुनरुत्थान करना प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य है इस ऋषि कृषि तकनीक में खेती में लागत कम,उत्पादन सामान्य,धरती उर्वरा शक्ति को बढ़ाना है तथा जहर मुक्त अनाज उत्पन्न करना लक्ष्य हैं।
जैव विविधता को बचाने के लिए जरूरी कदम है प्राकृतिक खेती
मानसून में धान की प्राकृतिक तरीके से खेती करने से अच्छे मित्र कीटों के संख्या बढ़ती है जो कि खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं। इसलिए कृषि जैव विविधता को बचाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की तरफ एक बड़ा कदम है। इस तरीके में अनाज भी हानिकारक रसायनों से प्रभावित नहीं रहेगा।
न लगा कोई रोग न ही धान गिरा
धान की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटो जैसे तना छेदक, पत्ती लपेटक, भूरा माहो, झुसला, ब्लास्ट, आभासी कंड, गंधीबग की कोई समस्या नहीं है। धान पूरी तरह से स्वस्थ हैं। धान का एक भी पौधा हवा पानी के चलते गिरा नही है।
मिश्रित फसल की बुवाई इस खेत पर
इस खेत पर एक साथ पांच तरह की बीज की उतेरा विधि से बुवाई करते हैं जिसमे तीवरा, मटर, सरसों, मसूर, धनिया शामिल हैं।