दीपों का पर्व दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना गया है। भाईदूज को यम द्वितीया,भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह पर्व 26 और 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि एवं दीर्घायु की कामना करती है।
परंपरा के अनुसार इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं। बहनें अपने भाईयों के मस्तक पर चंदन, अक्षत अथवा रोली का तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं फिर दाहिने हाथ में कलावा बांधती हैं।
भाई दूज 27 अक्तूबर-शुभ मुहूर्त ( subh muhrat)
जो बहनें 27 अक्तूबर को भाई दूज का त्योहार मना रही हैं वे सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भाईदूज का त्योहार मना सकती है। इसके अलावा भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में भी रहेगा।
यमुना मैं स्नान का महत्व-( importance)
धार्मिक मान्यता के अनुसार भाई दूज या यम द्वितीया के दिन भाई-बहन का साथ-साथ यमुना नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है।इस दिन भाई-बहन हाथ पकड़कर यमुना में डुबकी लगाते हैं।शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से यम की फांस और पापों से मुक्ति मिलती है। इसी मान्यता के साथ यम और यमुना का पूजन कर विश्रामघाट पर भाई-बहन स्नान करते हैं और धर्मराज-यमुनाजी के मंदिर के दर्शन करते हैं।