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किडनी पेशेंट शिक्षक के तबादले पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, आदेश निरस्त करने शासन को पुनर्विचार के निर्देश

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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने दि‌‌व्यांग और किडनी पेशेंट टीचर के ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही शासन को उनका ट्रांसफर आदेश निरस्त करने पांच सप्ताह में पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस तरह से नियम विरुद्ध तबादला आदेश जारी करने पर चिंता भी जताई है।

27 खोली निवासी राजेंद्र शर्मा उनकी पोस्टिंग शासकीय बॉयज स्कूल सरकंडा में है। जो 70% दिव्यांग होने के साथ ही कई तरह की बीमारी से ग्रसित हैं। बीमार होने के बाद भी टीचर राजेंद्र शर्मा लगातार स्कूल जा रहे हैं। यहां तक किडनी खराब होने के बाद भी उन्होंने स्कूल जाना बंद नहीं किया। स्कूल टाइमिंग के बाद ही वे अपना इलाज कराते हैं। बावजूद इसके शासन ने उनका तबादला जांजगीर-चांपा जिले में कर दिया, जहां उनके इलाज की कोई सुविधा ही नहीं है। ऐसे में उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए टीचर राजेंद्र शर्मा ने एडवोकेट हर्षल चौहान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता टीचर 70% दिव्यांग होने के साथ-साथ हेपेटाइटिस सी के भी पेशेंट हैं, जिसके कारण बिलासपुर के कुछ अस्पताल में ही उनका डायलिसिस हो पाता है। शहर में पदस्थ होने के कारण उनका इलाज संभव है। दूसरे जिले में ट्रांसफर होने के बाद उनके जीवन पर संकट की स्थिति बन गई है। जस्टिस पीपी साहू ने केस की सुनवाई के दौरान शासन के वकील से सवाल किया कि नियम के अनुसार दिव्यांग कर्मचारियों के लिए उनके आवागमन का ख्याल रखते हुए ट्रांसफर करना है। लेकिन, इस मामले में ऐसे हालत क्यों बने, यह चिंता का विषय है। शासकीय वकील ने उनके सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। तब कोर्ट ने स्थानांतरण आदेश को निरस्त करने पर पांच सप्ताह के भीतर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। तब तक उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी है।

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