नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को पेंशन, प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम और वृद्धावस्था देखभाल के संबंध में बुजुर्गों के लिए चल रही मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, “डॉ. अश्विनी कुमार को व्यक्तिगत रूप से और अन्य उपस्थित पक्षों के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सुना गया। हम निर्देश देते हैं कि बुजुर्गो के कल्याण के लिए चल रही योजनाएं (1) बुजुर्गों के लिए पेंशन, (2) प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम और (3) वृद्धावस्था देखभाल का स्तर, हमारे सामने पेश किया जाना चाहिए।”
राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश दे जानकारी- सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत का यह आदेश पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार की ओर से दायर एक याचिका पर आया है, जिसमें देशभर में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वाले वृद्धाश्रम स्थापित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। पीठ ने कहा, “संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन तीन प्रमुखों पर अपनी मौजूदा योजनाओं की जानकारी भारत संघ के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को प्रस्तुत करने दें। सभी संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जानकारी एकत्र करने के बाद दो महीने की अवधि में और भारत संघ की ओर से एक महीने बाद एक संशोधित स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी।”
माता-पिता, वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण पर रिपोर्ट देने को कहा
शीर्ष अदालत ने कहा, “राज्य सरकारों की रिपोर्ट में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में वर्तमान स्थिति पर विवरण देना चाहिए। राज्यों की संशोधित रिपोर्ट में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम लागू किए जाने के संबंध में मौजूदा हालात का भी खुलासा होगा।”
शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले साल जनवरी में होना निर्धारित करते हुए कहा, “इस आदेश की प्रतियां निहित निर्देशों के अनुपालन के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को रजिस्ट्री द्वारा भेजी जाएं।” कुमार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक दिशा-निर्देश मांगा था।