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पति के ऑफिस में पत्नी का जाना और तमाशा बनाना क्रूरता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

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बिलासपुरः छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने विवाह विच्छेद के एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि पति के ऑफिस में पत्नी का जाना और अभद्र भाषा का उपयोग कर माहौल बिगाड़ना क्रूरता है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने रायपुर फैमिली कोर्ट के तलाक के एक फैसले को बरकरार रखा।

धमतरी के रहने वाले एक शख्स ने रायपुर की रहने वाली विधवा महिला से 2010 में शादी की थी। इसके काफी साल बाद उसने रायपुर फैमिली कोर्ट में विभिन्न आधारों का हवाला देते हुए तलाक के लिए याचिका दायर की। दिसंबर 2019 में फैमिली कोर्ट ने तथ्यों और सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद पति के आवेदन को स्वीकार कर लिया और तलाक की अनुमति दे दी। महिला ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी।

महिला की ओर से अधिवक्ता शिशिर श्रीवास्तव ने दावा किया कि पति ने तलाक पाने के लिए झूठे सबूत बनाने की कोशिश की और निचली अदालत के फैसले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की। पति की ओर से अधिवक्ता सी जयंत के राव ने बताया कि उसे मुवक्किल को न केवल विवाहेतर संबंध के आरोप में चरित्र हनन का सामना करना पड़ा बल्कि पत्नी ने पति केऑफिस में जाकर तमाशा बनाया और मुख्यमंत्री को पत्र भी भेजा, जिसमें उन्होंने अपने स्थानांतरण की मांग तक कर डाली।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की खंडपीठ ने 18 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए रायपुर फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को बरकरार रखा। अदालत ने कहा कि पत्नी पति के कार्यालय का दौरा करती थी और अभद्र भाषा के साथ दृश्य बनाती थी। “ऐसी स्थिति में जब एक पत्नी पति के कार्यालय परिसर में जाती है, उसे गाली देती है और कुछ संबंधों का आरोप लगाती है, तो स्वाभाविक रूप से इससे सहकर्मियों के सामने पति की छवि कम हो जाएगी और कार्यालय का कद निश्चित रूप से नीचे चला जाएगा … यहां तक ​​​​कि कहा जाता है कि पत्नी ससुराल वालों को गाली देती थी और पति को उसके माता-पिता से मिलने से रोकती थी, जो कि क्रूरता की श्रेणी में आता है।”

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