Thursday, July 4, 2024
Latest:
प्रांतीय वॉच

राखी बांधने से पहले जान लें रक्षा बंधन का सही तरीका, शुभ मुहूर्त और भद्रा काल

Share this

रायपुरः रक्षा सूत्र का पावन पर्व सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षा बंधन पर पुराणों में देवताओं या ऋषियों द्वारा जिस रक्षासूत्र बांधने परम्परा है। इसका सबसे पहला उदाहरण राक्षसों से इन्द्रलोक को बचाने के लिए देव गुरू बृहस्पति ने इन्द्र देव की पत्नी को एक उपाय बताया था। इन्द्र देव की पत्नी ने देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र सिद्ध करके श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षा सूत्र बांधा था, इसी सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजयी हुए।

रक्षा बंधन के दिन अपरान्ह में रक्षासूत्र का पूजन करें और उसके बाद रक्षा बंधन का विधान है। यह रक्षाबंधन राजा को पुरोहित द्वारा यजमान के ब्राह्मण द्वारा, भाई के बहन द्वारा और पति के पत्नी द्वारा दाहिनी कलाई पर किया जा सकता है। विधिपूर्वक जिसके रक्षा बंधन किया जाता है, वह संपूर्ण दोषों से दूर रहकर संपूर्ण वर्ष सुखी रहता है।

रक्षा सूत्र बांधने की विधि
• प्रातः उठकर स्नान-ध्यान करके उज्ज्वल तथा शुद्ध वस्त्र धारण करें।
• घर को साफ करके, चावल के आटे का चैक पूरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना करें।

• चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एक साथ मिलाएं। फिर पूजा की थाली तैयार कर दीप जलाएं। उसमें मिठाई रखें।
• इसके बाद भाई को पीढ़े पर बिठाएं (पीढ़ा यदि आम की लकड़ी का हो तो सर्वश्रेष्ठ माना जाता है)।
• भाई को पूर्वाभिमुख, पूर्व दिशा की ओर बिठाएं। बहन का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
• इसके बाद भाई के माथे पर टीका लगाकर दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधें।
• शास्त्रों के अनुसार रक्षा सूत्र बांधते समय “येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः” मंत्र जाप करना चाहिए।
• राखी बांधने के बाद आरती उतारें फिर भाई को मिठाई खिलाएं। बहन यदि बड़ी हों तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और यदि छोटी हों तो बड़े भाई को प्रणाम कर आशीर्वाद ग्रहण करें।

रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन में मुख्यतः पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र का होना जरूरी माना गया है। 11 अगस्त के दिन पूर्णिमा तिथि के साथ श्रवण नक्षत्र भी है। श्रवण नक्षत्र प्रातः 6:53 से प्रारंभ होगा। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:38 से प्रारंभ होकर 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।

• अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:37 से 12:29।
• विजय मुहूर्त : दोपहर 02:14 से 03:07 तक।
• गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:23 से 06:47 तक।
• सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:36 से 07:42 तक।
• अमृत काल मुहूर्त: शाम 06:55 से 08:20 तक।प्रात: 10:38 से शाम 08:50 तक है।

रक्षा बंधन पर भद्रा काल
भद्रा पूंछ समय शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक। भद्रा मुख शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक। भद्रा का अंत समय रात 08 बजकर 50 मिनट पर है।। 11 अगस्त को प्रदोषकाल में भद्रा पूंछ के समय शाम 5 बजकर 18 मिनट से 6 बजकर 18 मिनट तक के बीच रक्षा सूत्र बंधवा सकते हैं। इसके अलावा भद्रा समाप्त हो जाने पर रात 08:52:15 से 09:13:18 के बीच राखी बंधवा सकते हैं।

11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा व्याप्त है परंतु ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा मकर राशि में होने से इसका वास पाताल लोक में माना गया है। इसलिए भद्रा का असर नहीं होगा। मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु या मकर राशि के चन्द्रमा में भद्रा पड़ रही है तो वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है। अत: स्पष्ट है कि रक्षा बंधन को त्योहार 11 अगस्त 2022 को ही मनाया जाना चाहिए।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *