रायपुरः एक सफल और स्वस्थ इंसान वह होता है जो शारीरिक रूप से सक्षम, मानसिक तौर पर सचेत, भावानात्मक तौर पर शांत व आध्यत्मिक तौर पर सजग है। क्योंकि पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक और मानसिक पक्ष दोनो ही महत्वपूर्ण होता है। कहा भी गया है कि दुनिया में तीन ही प्रकार के सुख हैं तन, मन और धन अर्थात् शारीरिक तौर पर स्वस्थ्य एवं मानसिक स्तर पर सक्षम रहने पर धन का सुख तो मिल ही सकता है। मन की व्यथा को दूर कर भावनात्मक शांत रहने के लिए जीवन में संतुष्टि तो चाहिए ही किंतु भौतिक सुख संतुष्टि का कारण नहीं बन पाती इसका कारण हम कुंडली से जानेंगे।
कुंडली का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि तीसरा स्थान मन और मनोबल को होता है और यदि तीसरे स्थान का स्वामी अगर क्रूर ग्रहों से आक्रांत हो जाए कि अथवा लग्न, तीसरे, एकादश अथवा द्वादश स्थान में बुध हों अथवा तीसरे स्थान का स्वामी छठवें, आठवें या बारहवें स्थान पर हो तो ऐसे में मन विचलित रहता है और मनोबल कमजोर होता है। अतः यदि कुंडली में ऐसी स्थिति बने और सब कुछ होते हुए भी मन शांत ना हो तो तीसरे स्थान के स्वामी बुध की शांति करना चाहिए।
ज्योतिषीय विद्या में माना जाता है कि मन का कारण ग्रह चंद्रमा है और चंद्रमा के कारण ही मन अशांत होता है अतः मन की शांति के लिए चंद्रमा तथा उसके देव शंकरजी की पूजा करनी चाहिए। शुभ श्रावण मास का प्रांरभ हो चुका है और इस मास में सभी प्रकार के सुख को प्राप्त करने के लिए शिव पूजा सर्वोपरी है अतः चंद्रमा और बुध की शांति और शिवजी की प्रियता के लिए रूद्राभिषेक करना, दूध का दान करना तथा ऊँ नमः शिवाय का जाप करने से मन की विकलता को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही गणपति की आराधना जरूरी करनी चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी प्रचलित मान्यताओं, धर्मग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र के आधार पर ज्योतिषाचार्य अंजु सिंह परिहार का निजी आकलन है। आप उनसे मोबाइल नंबर 9285303900 पर संपर्क कर सकते हैं। सलाह पर अमल करने से पहले उनकी राय जरूर लें।