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आज की रात होगा सुपर मून का दीदार, इस समय होगी चंद्रमा और पृथ्वी के बीच सबसे कम दूरी

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खगोल प्रेमियों के लिए 13 जुलाई का रात खास होने वाली है. बुधवार को आप सुपर मून का दीदार कर सकेंगे. आसमान में दिखने वाला चंद्रमा बुधवार को बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देगा. इस खगोलीय घटना को सुपर मून (Supermoon ) कहा जाता है इस घटना के दौरान चंद्रमा (moon) अपनी कक्षा में निकटतम बिंदु पर होता है और इसी कारण चंद्रमा और पृथ्वी की बीच की दूरी सबसे कम होती है. इसे पेरिगी कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत तक ज्यादा चमकीला नजर आएगा।

इस समय दिखेगा सबसे बड़ा चंद्रमा 

चंद्रमा 12 बजकर 7 मिनट पर अपने चरम सीमा पर दिखाई देगा। वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला (Veer Bahadur Singh Nakshatrashala) के खगोलविद अमर पाल सिंह (Astronomer Amar Pal Singh) ने बताया कि इसे साधारण आंखों से भी देखा जा सकता है। अगर आप खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं वो विशेष जानकारी हेतु आप नक्षत्र शाला में विशिष्ट टेलीस्कोप्स के माध्यम से भी इस सुपर मून को देख सकते हैं।

क्या होता है सुपर मून

खगोलविद् ने बताया कि सुपर मून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सन 1979 में रिचर्ड नौल्ले (Richard Noule) द्वारा किया गया था। सुपर मून के दौरान चंद्रमा सामान्य दिनों के मुकाबले बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई देता है। ये पृथ्वी के चक्कर लगाने के दौरान अपने निकटतम बिंदु पर आने के कारण ऐसा होता है। चंद्रमा का अपने इस निकटतम बिंदु पर आने को ही पेरीगी कहा जाता है। इस दौरान पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 357,264 किलोमीटर होगी। जबकि सामान्य दिनों में यह दूरी 384,366 किलोमीटर रहती है और चंद्रमा का अपनी कक्षा में दुरुस्त बिंदु पर होने के कारण पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 4,05,500 किलोमीटर होती है। इसे एपोजी कहा जाता है।

इन नामों से भी जाना जाता है सुपर मून

सुपर मून को अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे डियर मून, थंडर मून, हे मून, बर्ट मून, सेलमोन मून, रॉक्सवेरी मून, कैल्मिंग मून इत्यादि नामों से भी जाना जाता है।

हो सकती हैं उच्च ज्वार भाटे की घटनाएं

खगोलविद ने बताया कि एक साल में तीन या अधिकतम चार सुपर मून हो सकते हैं। इस बार सुपर मून का दीदार नही कर पाए तब अगली बार ऐसा सुपर मून 3 जुलाई सन 2023 में दिखाई देगा। इस प्रकार की सुपर मून की घटनाओं में चंद्रमा का पृथ्वी के इतने नजदीक आने के कारण उच्च ज्वार भाटे की घटनाओं का होना संभव हो सकता है।

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