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नर-नारी धान की खेती कर ले रहे अधिक आमदनी

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बालोद- इन दिनों अंचल में रबी फसल धान कटाई का काम जोर पकड़ लिया है। हरूना धान के साथ अब देर-देर से पकने वाली धान की कटाई भी शुरू हो गई है। किसान सुबह से शाम तक खेतों में नजर आने लगे हैं।बालोद ब्लाक के गांवों में जहां सिंचाई के लिए नहर कुछ जगहों पर ही पहुंचती हैं तथा स्वयं के सिंचाई का साधन हैं। ऐसे किसान समय से पहले ही धान की रोपाई पूरी कर लेते हैं। इन फसलों की कटाई अब जोरों से शुरू हो गई है, वहीं देर से पकने वाले धान की कटाई भी शुरू हो गई है, धान के कटाई के बाद किसान ट्रैक्टर या गाड़ा से फसल को खलिहान तक पहुंचाने में जुटे हुए हैं।दूसरे प्रांत से पहुंचने लगे हार्वेस्टरः धान की कटाई व मिंजाई एक साथ करने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर पंजाब, हरियाणा से पहुंच रहे हैं। इसमें मजदूरों की अपेक्षा काम सस्ते में होता है और किसान सीधे धान को खेत में खलिहान ले जाने के बजाए खरीदी केंद्र में ले जाते हैं।

नर-नारी धान की खेती कर ले रहे अधिक आमदनी

जिले के सभी गांवों में लगभग सभी किसानों ने अधिक आमदनी कमाने एवं फसल चक्रण अपनाने के लिए रबी सीजनों में नर-नारी धान की बहुतायत में खेती कर रहे है। यह बीज कंपनी की माध्यम से पहले तो स्वयं की खर्चे से कंपनी दवाई एवं खाद की लागत को कंपनी वाहन करती है, लिहाजा बाद में एकमुश्त धान बेचने के बाद यह राशि लागत हुए पैसा को काट लेते हैं।कहने का मतलब यह राशि कृषि कार्य के लिए कंपनी पैसा को ब्याज के रूप में एकमुश्त काटते है। विगत तीन चार सालों से रबी फसल के मौसम में यह धान की बोवाई की जाने वाली धान की बुवाई कर उपज लिया जाता है। नर-नारी एक अलग किस्म का धान है। जिसे रोपाई एवं निंदाई गुड़ाई से लेकर अंत तक अलग ही प्रक्रिया होती है। धान की रोपाई के वक्त नर-नारी धान में दो किस्म का धान होता है।
नर व नारी धान को एक के बाद एक की रोपाई करते है। जिसे बालियाँ निकलने के समय नर व नारी धान को एक दूसरे से टकराना होता है तभी नर व नारी धान की अच्छी फसल होती है मजदूरी बढ़ने से किसानों को हो रही परेशानीकटाई करने वाले मजदूरों की मजदूरी बढ़ जाने से किसानों को थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों तेज गर्मी के चलते क्षेत्र में बमुश्किल से धान कटाई के लिए मजदूर मिल रहे हैं। क्षेत्र के किसान पुष्पेंद्र साहू ने बताया कि मजदूर शुरूआत में अपने फसल की कटाई कर लेते हैं। इसके बाद ही दूसरे के खेतों में मजदूरी करने जाते हैं। आने वाले समय में मजदूरी में और इफाजा होने की संभावना है।

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